अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस पर बिहार में दो दिवसीय राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन, श्रमिकों के अधिकार और भविष्य पर हुई महत्वपूर्ण चर्चा
पटना, 30 अप्रैल 2025: अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस 2025 के अवसर पर श्रम संसाधन विभाग, बिहार सरकार के अंतर्गत बिहार भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड के द्वारा दशरथ मांझी श्रम एवं नियोजन अध्ययन संस्थान, पटना में दो दिवसीय राज्य स्तरीय सेमिनार और कार्यशाला की शुरुआत की गई। 30 अप्रैल और 1 मई को आयोजित इस कार्यक्रम का उद्घाटन विभाग के सचिव श्री दीपक आनन्द के द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया। उक्त अवसर पर निदेशक नियोजन श्री सुनील कुमार यादव, श्रमायुक्त श्री राजेश भारती सहित अन्य विभागीय पदाधिकारीगण उपस्थित रहे।
कार्यशाला का मुख्य विषय "समकालीन समय में श्रम कानून: चुनौतियाँ और संभावनाएँ" रखा गया। पहले दिन चार पैनल डिस्कशन आयोजित किए गए, जिनमें श्रमिकों से जुड़े समसामयिक मुद्दों पर गहन विमर्श हुआ। पहले सत्र में निर्माण कार्यस्थलों पर श्रमिकों के समक्ष चुनौतियाँ और बाधाएँ विषय पर चर्चा हुई। इस दौरान नेशनल प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर, पीआरएस प्रोजेक्ट (ILO) श्रीमती बैशाली लाहिरी ने अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप निर्माण श्रमिकों के कार्यस्थल की स्थिति और उनके अधिकारों पर प्रकाश डाला। वहीं वि.वि. गिरी नेशनल लेबर इंस्टीट्यूट के सीनियर फेलो श्री ओतोजित ने कार्यस्थल पर सामाजिक-आर्थिक समस्याओं, सुरक्षा मानकों और श्रमिकों के समुचित कल्याण की आवश्यकता पर अपने विचार साझा किए। साथ ही, सेवानिवृत्त ज्वाइंट लेबर कमिश्नर (JLC), बिहार श्री अरुण कुमार श्रीवास्तव ने राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर सरकार द्वारा श्रमिकों के हित में किए जा रहे प्रयासों पर चर्चा की तथा तेजी से न्यायसंगत सुधारों की आवश्यकता पर बल दिया। वक्ताओं ने निर्माण श्रमिकों के लिए बेहतर कार्य वातावरण, सामाजिक सुरक्षा और कानूनी संरक्षण को मजबूत करने की आवश्यकता को रेखांकित किया।
दूसरे सत्र में ह्यूमन ट्रैफिकिंग और बाल श्रम – एक सिक्के के दो पहलू विषय पर सारण के आयुक्त श्री गोपाल मीणा, यूनिसेफ बिहार प्रमुख श्री बंकू बिहारी, अधिवक्ता (एस सी) अपर्णा भट्ट और वरिष्ठ फेलो हेलेन सरकार ने विचार साझा किए। उन्होंने बाल श्रम और मानव तस्करी के बीच गहरे संबंध, सामाजिक-आर्थिक कारण और कानूनी उपायों की आवश्यकता पर प्रकाश डाला और बताया कि बाल मजदूरी उन्मूलन, उसकी चुनौतियाँ, पुनर्वास आदि के क्षेत्र में बिहार बेहतर कार्य कर रहा है। बिहार में बाल श्रमिकों के रेस्क्यू के लिए भी धन राशि दी जा रही है । उन बच्चों को बिहार कौशल विकास मिशन द्वारा संचालित प्रशिक्षण कार्यक्रम से भी जोड़ा जा रहा है। विशेषज्ञों ने कहा कि मानव तस्करी और बाल श्रम की रोकथाम के लिए बहुस्तरीय रणनीति, बेहतर निगरानी तंत्र और सामाजिक चेतना अत्यंत आवश्यक है।
तीसरे सत्र में श्रम संहिता – आकांक्षा और वास्तविकता विषय पर सेवानिवृत्त केंद्रीय श्रम आयुक्त श्री ओंकार शर्मा, सेवानिवृत्त संयुक्त श्रम आयुक्त श्री अमरकांत सिंह और श्रीमती एलिना सामंतराय ने नए लेबर कोड्स के उद्देश्य, चुनौतियाँ और क्रियान्वयन की स्थिति पर चर्चा की। उन्होंने असंगठित क्षेत्र में जागरूकता की कमी और सामाजिक सुरक्षा प्रणाली को मजबूत करने की आवश्यकता बताई। लेबर कोड्स के लागू होने में आ रही व्यावहारिक चुनौतियों, राज्यों द्वारा धीमे क्रियान्वयन और जमीनी स्तर पर जागरूकता की कमी जैसे मुद्दों को रेखांकित किया। लेबर कोड्स के सामाजिक-आर्थिक प्रभाव, असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के अधिकार संरक्षण और सामाजिक सुरक्षा तंत्र को मजबूत करने की आवश्यकता पर विस्तार से चर्चा की गयी।
दिन के अंतिम पैनल डिस्कशन में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) - श्रम बाजार पर प्रभाव विषय पर प्रो. पुष्पेंद्र (TISS), प्रो. नलिन भारती (IIT पटना), प्रो. एससी रॉय (CNLU) और अधिवक्ता डीपी सिंह ने एआई के कारण रोजगार में आ रहे बदलाव, आवश्यक कौशल प्रशिक्षण, डेटा प्राइवेसी और श्रमिक कानूनों में संशोधन की आवश्यकता को रेखांकित किया। विशेषज्ञों ने कहा कि कि यह नए प्रकार के रोजगार सृजन का भी अवसर प्रदान कर सकता है, बशर्ते श्रमिकों को आवश्यक कौशल का प्रशिक्षण मिले। उन्होंने श्रम कानूनों में आवश्यक संशोधन और एआई आधारित कार्यस्थलों के लिए नए विनियमन की जरूरत पर जोर दिया। एआई का प्रभाव अवश्यंभावी है, परंतु इसके सामाजिक प्रभावों को ध्यान में रखते हुए नीतिगत तैयारी बेहद जरूरी है।
कार्यक्रम का समापन पहले दिन के सत्रों की संक्षिप्त समीक्षा एवं निष्कर्ष के साथ बोर्ड के DLC श्री रोहित राज सिंह द्वारा किया गया। इसके पश्चात श्रमिकों के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें उत्साहपूर्वक भागीदारी देखी गई।
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