जानलेवा हो सकती है लीवर सिरोसिस
मानव शरीर कई अवयवों (अंगों) एवं तत्त्वों के संयोग से निर्मित है और प्रत्येक अंग अपना एक खास महत्त्व रखता है। लेकिन कुछ अंग ऐसे भी हैं जिसमें थोड़ा - सा भी व्यवधान उत्पन्न हो जाता है तो मानव शरीर की वृद्धि रूक जाती है। कभी-कभी को मानव मृत्यु के द्वार तक पहुंच कर मौत को गले लगा लेता है।
मानव शरीर का एक ऐसा ही महत्वपूर्ण अंग है लीवर या यकृत। यह एक ग्रंथी होते हुए एक बहुक्रियाशील अंग भी है जो शरीर के लिए कई महत्त्वपूर्ण कार्य करता है जैसे रक्त को शुद्ध करना, पित्त का उत्पादन करना, शर्करा और वसा को ऊर्जा के रूप में संग्रहीत कर शरीर के विभिन्न हिस्सों में भेजता है, प्रोटीन का उत्पादन करता है, खनिज और विटामिन को संग्रहीत करता है, हार्मोन को संसाधित करता है और शरीर के तापमान को निमंतित करने में मदद करता है। यह प्रोटीन ,वसा, कार्बोहाइड्रेट और पित्त के चयापचय (मेटाबॉलिज्म) की क्रिया में अहम् भूमिका निभाता है। लीवर ग्लूकोज को ग्लाइकोजन के रूप में संचित रखता है। इसे ऊर्जा एवं विटामिन का मुख्य संचयक भी कहते हैं। रक्त को थक्का बनाने के लिए आवश्यक प्रोथॉम्बिन का निर्माण यकृत के द्वारा ही होता है। इन कार्यों में से किसी एक में भी व्यवधान उत्पन्न होता है तो मानव लीवर संबंधी रोगों का शिकार हो जाता है।
आजकल बहुधा लोग सही जानकारी के अभाव में लीवर
संबंधी गंभीर रोगों का शिकार बनकर अकाल मृत्यु को प्राप्त कर रहे हैं। आज लीवर संबंधी रोग कैंसर, एड्स और हेपेटाइटिस जैसे भयानक रोगों के समान फैलता जा रहा है। यह रोग अपने क्रूर पंजों से लोगों को लहूलुहान करके अकाल मृत्यु की गोद में ढकेल रहा है। इस रोग के संबंध में यदि लोगों को सही जानकारी उपलब्ध कराई जाए तो संभव है कि समय रहते इस रोग को निमंत्रित किया जा सकता है। जनता के हितों को ध्यान में रखकर हमारे संवाददाता सुरेन्द्र कुमार रंजन ने CC-90,P.C.COL0NY, KANKARBAGH स्थित INCURE CLINIC के संस्थापक डॉ धीरज कुमार से कुछ महत्त्वपूर्ण जानकारियां एकत्रित की है। उसी साक्षात्कार के कुछ प्रमुख अंश यहां प्रस्तुत हैं -
लीवर सिरोसिस क्या है?
लीवर संबंधी बिमारियों में हेपेटाइटिस (ए,बी,सी,ई) लीवर कैंसर, फैटी लीवर संबंधी रोग और लीवर सिरोसिस को गंभीर माना गया है। लीवर सिरोसिस लीवर संबंधी एक बीमारी है जो मानव के यकृत को क्षति पहुंचाती है। इस रोग से ग्रसित व्यक्ति की यकृत सामान्य माप से अधिक बढ़ जाता है। इसमें सूजन आ जाती है जिसके कारण लीवर का सामान्य ढांचे में बदलाव आ जाता है। इस रोग से ग्रसित रोगी का लीवर सिकुड़ जाता है जिससे सामान्य क्रियाकलाप में व्यवधान उत्पन्न हो जाता है।
रोग के सामान्य लक्षण
लीवर सिरोसिस के प्रारंभ में कोई लक्षण नहीं दिखते हैं लेकिन जैसे-जैसे स्थिति बिगड़ती जाती है वैसे - वैसे लक्षण स्पष्ट दिखाई देने लगते हैं।इस रोग के सामान्य लक्षणों में अधिक थकान होना, अधिक कमजोरी महसूस होना,पेट में दर्द एवं सूजन, त्वचा एवं आंखों में गंभीर पीलापन (पीलिया रोग), पैर और टखने में सूजन, पेट में द्रव का संचय (जलोदर), लीवर में अतिरिक्त वसा का जमाव भूख नहीं लगना, रक्त स्राव, उल्टी होना, भोजन का नहीं पचना (अपच), कभी-कभी सारे बदन में सूजन होना,मल - मूत्र का रंग गहरा पीला होना आदि प्रमुख लक्षण हैं। शरीर में ऐसे लक्षण दिखाई देने पर अविलंब चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।
लीवर सिरोसिस के कारण
इसके कई कारण हो सकते हैं, जिनमें अत्यधिक शराब का सेवक, अधिक धूम्रपान, हेपेटाइटिस बी और सी जैसे वायरल संक्रमण ,लीवर में अधिक वसा का जमा होना, ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस, विल्सन डिजीज,हेमोक्रोमैटोसिस, दूषित जल एवं खाद्य पदार्थों का सेवन, अधिक फास्ट-फूड एवं डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों का सेवन आदि प्रमुख कारण हैं।
लीवर सिरोसिस की पुष्टि के लिए आवश्यक जांच
इस रोग की पुष्टि के चिकित्सक सबसे पहले फाइबर स्कैन करवाने की सलाह देते हैं।लीवर फंक्शन जांच ,सीरम बिलरुबिन जांच,आस्ट्रेलिया एंटीजन जांच, लीवर का अल्ट्रासाउंड, सी टी स्कैन, एम आर आई, लीवर का बायोप्सी टेस्ट आदि प्रमुख जांचों सहित कई अन्य छोटे- मोटे जांच कराए जाते हैं।
लीवर सिरोसिस का इलाज
अगर लीवर सिरोसिस compensated हो तो उसका निदान संभव है क्योंकि इसमें यकृत पर निशान तो पड़ जाता है लेकिन वह अपने महत्त्वपूर्ण कार्यों को करने में सक्षम होता है।लीवर सिरोसिस का एकमात्र स्थायी निदान यकृत प्रत्यारोपण (लीवर ट्रांसप्लांट) है। इसके अलावा पेट से पानी निकालकर पेशाब की मात्रा बढ़ाने के लिए दवा भी दी जाती है। परहेज एवं दवा के माध्यम से इसे कुछ दिनों तक रोका या स्थिर रखा जा सकता है। लेकिन स्थायी इलाज के लिए यकृत प्रत्यारोपण ही एकमात्र विकल्प है। यह इलाज महंगा होने तथा सभी जगह उपलब्ध नहीं होने के कारण आम जनता के लिए सुलभ नहीं है। परहेज के लिए रोगी को नमक कम मात्रा में सेवन करना चाहिए। तली हुई चीजें, धूम्रपान एवं मद्यपान (शराब) पूरी तरह से बंद कर देना चाहिए। साथ ही साथ अपनी दिनचर्या में योग एवं व्यायाम को शामिल करना चाहिए। इससे ग्रसित रोगियों को साफ- सफाई पर ध्यान देना चाहिए और स्वच्छ एवं ताजे जल का सेवन करना चाहिए। चिकित्सक के निर्देशानुसार ही दवा का सेवन करें और उनके द्वारा बताए गए खानपान की वस्तुओं का सेवन करें। समस्या होने पर तुरंत विशेषज्ञ चिकित्सक से संपर्क करें।
रोगियों को चिकित्सक की सलाह
1) लीवर से संबंधित कोई भी परेशानी हो तो तुरंत विशेषज्ञ चिकित्सक से संपर्क करें। लापरवाही बरतने पर गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।
2) फैटी लीवर हो तो उसे हल्के में ना लीजिए और ना अनदेखा कीजिए क्योंकि इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। फैटी लीवर हो तो फाइबर स्कैन कराकर इस बात से आश्वस्त हो जाना चाहिए कि लीवर की कोई गंभीर बिमारी तो नहीं है। इसमें कुछ पता नहीं चलने पर बायोप्सी करवाना चाहिए।
3) अगर जांच में लीवर सिरोसिस का पता चलता है तो उसके कारणों का पता लगाने के लिए संबंधित जांच करवाना चाहिए।
4) लीवर सिरोसिस में हेपेटिक एन्सेफैलोपैथी का मुख्य कारण रक्त में अमोनिया का स्तर बढ़ना है।इसको कुछ दवाओं और जीवन शैली में बदलाव लाकर प्रतिबंधित किया जा सकता है। विघटित यकृत सिरोसिस लीवर सिरोसिस का एक उन्नत चरण है जिसमें यकृत की कार्यक्षमता गंभीर रूप से कम हो जाती है।
5) चिकित्सक यदि यकृत प्रत्यारोपण की सलाह दे तो उसे हल्के में नहीं लेना चाहिए। उसकी जांच प्रक्रिया में तुरंत लग जाना चाहिए क्योंकि पूरी जांच प्रक्रिया में करीब छह महीने लग जाते हैं। जैसे-जैसे इलाज में देरी होती है वैसे- वैसे यकृत प्रत्यारोपण की सफलता का प्रतिशत कम होते जाता है। इसलिए अविलंब चिकित्सक की सलाह मानकर यकृत प्रत्यारोपण करवा लेना चाहिए।
चिकित्सक की विशिष्टताएं
1) जे एन बी विद्यालय, राजगीर से प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की।
2) बाल विद्या निकेतन, जहानाबाद से इंटर की परीक्षा उत्तीर्ण की।
3) 2008 में मेडिकल पात्रता परीक्षा पास की।
4) 2014 में दरभंगा मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की उपाधि हासिल किया।
5) 2018 में पटना मेडिकल कॉलेज से एमडी की डिग्री हासिल किया।
6) 2020 में नीट एसएस की गैस्ट्रोएंटरोलॉजी की परीक्षा उत्तीर्ण किया
7) 2024 में बिहार के स्वास्थ्य मंत्री श्री मंगल पांडे ने इन्हें" बेस्ट गैस्ट्रोलॉजिस्ट (पेट और लीवर) ऑफ बिहार" अवार्ड से सम्मानित किया।
8) वे बिहार के पहले चिकित्सक हैं जिन्होंने भारत व इंग्लैंड की उच्चतम गैस्ट्रोएंटरोलॉजी की उपाधि हासिल किया है।
9) MBBS,MD (INTERNAL MEDICINE)
10) MRCP (GASTROENTEROLOGY)
11) DM (GASTRO),IGIMS
12) MEMBER OF ISG, ACG, BSG & API
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