डॉ० बिन्दा सिंह क्लीनिकल साइक्लॉजिस्ट ने मॉडर्न पेरेंटिंग का बच्चों पर क्या पड़ रहा है असर बताया
क्या मॉडन पैरेटिंग का बच्चों पर पड़ सकता है बुरा असर ?
बच्चो के लिए बेहतरी के लिए सख्ती भी जरूरी है जानिए कैसे ?
आज पैरेटिगा स्वरूप बढ़ गया है, समय तेजी से बदल रहा है इंटरनेट की दुनिया लोग जीने लगें हर काम रोबट की तरह होने लगा है तो भला पैरेटिंग क्यों पीछे रह सकता है जो बच्चे के सही विकास के लिए जरूरी होता है लेकिन संयुक्त परिवार के टूटने एकल परिवार के साथ साथ, माता-पिता दोनों कामकाजी है तो ज्यादातर घरों में बच्चे की पररिश नैनी के हाथों होने लगी है कि बच्चे को सारी सुविधा दे रहे हैं, दुनिया का सबसे ज्यादा मंहगे खिलौनें उनके बच्चों को खास समय दे रहें। उन्हें इतना कुछ कभी मिला कहां उन्हें जो चीजें मिली भाई बहन में शेयर करनी पड़ी आज के बच्चे उनके अकेले हैं तो वे सब सुविधा उन्हें दे रहे हैं यही वजह हैं कि आज के आधुनिक पैरेन्ट हेलीकॉप्टर पैरेन्ट हो चुके हैं। हर चीज उनके अनुसार एक दम रोबट की तरह बच्चों डान्स, डिवेट, गाना पेंटिंग, खेलकुल, हर चीज में एक दम सटीक हो परफेक्ट हो।
अब मिसेज राखी को देखें कॉरपेट सेन्टर में कार्यरत है, 6 साल की बेटी नैनी के पास छोड़कर जाती है बच्ची क्या खायेगी उनकी मर्जी चलती है, उनसके खाने से सोने तक की होने वाली है लेकिन खाना नहाना कपड़े पहना उसे नहीं आता लेकिन उनका कहना है कि वे कमा क्यों रही बच्चे के लिए ना, फिर उसके आराम में क्या और क्यों कभी करें।
इसमें कोई शक नहीं कि आज माता-पिता को बच्चों के लालन-पालन में अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। चुकी माता-पिता दोनों व्यस्त
रहते हैं, इसका नतीजा होता है बच्चों का ज्यादा समय तकनीक के साथ मोबाईल गेम के साथ बीतता है जिसके कारण सामाजिक कौशल (शोशल स्किल) कमजोर पड़ जाता है लोगों के साथ कैसे बात करनी है नहीं सिखते साथ ही खेलकुद से बंचित रहने की वजह से शारीरिक रूप से भी सही ढंग से विकास नहीं हो पाता है। माता-पिता चुकी उतना समय नहीं दे पाते तो लगता है इस कमी को पुरा करने के लिए बच्चों को उनके पसंद का खाना बाहर से ऑर्डर कर देते हैं बच्चे भी खुश, फिर तो बच्चों को फास्टफुड खाने एवं कभी कभी मोटापे के शिकार भी हो जाते हैं।
मॉर्डन पैरेटिंग का मतलब होता है माता-पिता बच्चों से खूलकर बात करते है उनकी बातों का ध्यान से सुनते हैं और समझने की कोशिश करते हैं एवं उनके विचार की अहमियत देते हैं। बच्चों के निर्णय लेने में उनका सपोर्ट करते हैं, बच्चों की भावनाओं को समझते हैं, आज के जीवन से संबंधित को चैलेंज को समझते हैं इसके लिए कुछ पेरेंटिंग टिप्स का पालन करते हैं जैसे-बच्चों को मोबाइल का समय निर्धारित करना और खूद भी पालन करना। बच्चों के स्क्रीन टाइम को उनके द्वारा ही पालन कने के लिए तैयार करना। पढ़ाई के अलावे अन्य कार्यकलापों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करना। खुद अनुशासन के साथ बच्चों को भी इसकी सीख देना। बुजुर्गों को सम्मान देने की आदत के साथ खूद के व्यवहार पर भी निगरानी रखना कहीं वे आक्रमक तो नहीं।
मॉडर्न पैरेटिंग में कभी कभी माता-पिता ड्रेस, घुमने, दोस्तों के साथ कुछ ज्यादा स्वतंत्र छोड़ देते हैं कि आत्मनिर्भर रहेंगे पर बच्चे सही गलत को नहीं समझ पाते हैं और कुछ ज्यादा ही स्वतंत्र हो जाते हैं। जिसके कारण कई बार वे गलत फैसले ले लेते हैं, उन्हें सही गलत में अन्तर करना नहीं आता जिससे अनुशासनहीन हो जाते हैं।कई बार मॉडन पैरेटिंग में बच्चो माता-पिता के इतने दोस्त हो जाते हैं उनके प्रति सम्मान वह नहीं रह जाता जो रहनी चाहिए लिहाज भी कम करने लगते हैं और उनकी मन मानी भी बढ़ जाती है।
ज्यादा छूट देने, ज्यादा दोस्त बना देने से, घर के वातावरण गलत होने से बच्चों की भावनात्मक और मानसिक सेहत पर बुरा असर पड़ता है मॉडन पैरेटिंग से कुछ नुकसान ज्यादा दिखने लगते हैं जैसे बच्चे माता पिता से दूर हो सकते हैं। अत्याधिक प्यार केयर एवं ढील देने से उनके व्यवहार में गुस्से एवं जिद्धी प्रवृति बढ़ जाती है। उन्हें सही गलत में अंतर करना नहीं आता जिसे वे भटक भी जाते हैं साथ ही अनुशासनहीन हो जाते हैं।
लगातार मॉनिटर करने से बच्चों के किसी काम में चाहे पढ़ाई हो खेल हो सीखना हो मजा नहीं आता और उनके सम्पूर्ण विकास पर नाकारात्मक असर पडता है और यही लालन पालन का असर उनके आत्म विश्वास को कम कर देता है, चिता अवसाद बढ़ते है साथ ही बड़ा होने पर भी देखने को मिल जाता है। अगर बच्चों की परविरश सही ढंग से करनी है तो खूद एक अच्छा रोल मॉडल बने माता-पिता, तुलना से बचे। बच्चे के अन्दर सही दिशा व्यवहार शारीरिक मानसिक स्वास्थता रखनी है तो खूद के व्यवहार विचार को भी संतुलित रखे लोगों की इज्जत करें निराशावाद मनोवृति से बच्चे। आधुनिकात का मतलब भीड़ का हिस्सा बनना नहीं बल्कि एक संतुलित व्यक्तित्व का अभिावक भी बनना है ताकि आपका बच्चा आपसे सीख कर एक अच्छा व्यवाहर कुशल व्यक्ति बन सकें।
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