13 अगस्त 2025 को “कॉरपोरेट्स भारत छोड़ो” दिवस के रूप में मनाया जाएगा।

13 अगस्त 2025 को “कॉरपोरेट्स भारत छोड़ो” दिवस के रूप में मनाया जाएगा।


 *एसकेएम को आशंका है कि मोदी  सरकार कृषि और डेयरी क्षेत्र को खोलने हेतु मुक्त व्यापार समझौते के मामले में अमेरिकी साम्राज्यवाद के सामने समर्पण कर रही है।* 

 *13 अगस्त 2025 को “कॉरपोरेट्स भारत छोड़ो” दिवस के रूप में मनाया जाएगा।* 

 *ट्रैक्टर/मोटर वाहन परेड आयोजित कर ट्रंप और मोदी के पुतले जलाए जाएंगे* 

 *10 साल पुराने ट्रैक्टरों पर प्रतिबंध, स्मार्ट मीटर और उच्च बिजली दरों के थोपे जाने पर किसानों में तीव्र आक्रोश* 

 *15 अगस्त से राष्ट्रीय अभियान, 26 नवंबर 2025 को विशाल मजदूर-किसान प्रदर्शन में परिणत होगा* 

*पटना, 21 जुलाई 2025*

*नई दिल्ली में 20 जुलाई 2025 को आयोजित एसकेएम की जनरल बॉडी बैठक में भाग लेकर पटना लौटे अखिल भारतीय किसान महासभा के बिहार राज्य सचिव जो एस के एम के राष्ट्रीय सचिवालय के भी सदस्य हैं उमेश सिंह ने प्रेस को बताया कि एस के एम के जेनरल बॉडी ने कई महत्वपूर्ण निर्णय लिया है।*

एसकेएम 13 अगस्त 2025 को देशभर में “कॉरपोरेशन्स भारत छोड़ो” दिवस के रूप में मनाएगा। एसकेएम को गंभीर आशंका है कि मोदी सरकार अमेरिकी साम्राज्यवाद के दबाव में एफटीए पर हस्ताक्षर कर भारतीय अर्थव्यवस्था, विशेष रूप से कृषि, दुग्ध और खाद्य बाजार क्षेत्रों को खोलने की ओर बढ़ रही है, जो पूरे देश और जनता के हितों को नुकसान पहुंचाएगा। यह एफटीए 1 अगस्त 2025 से प्रभाव में आने की संभावना है। 9 अगस्त ब्रिटिश उपनिवेशवाद के खिलाफ भारत छोड़ो आंदोलन की 83वीं वर्षगांठ है। भाजपा नेतृत्व वाली एनडीए सरकार द्वारा अमेरिका के दबाव स्वीकार करने, जीएम खाद्य सहित खाद्य और दुग्ध उत्पादों के आयात में वृद्धि और खाद्य बाजारों में बहुराष्ट्रीय कंपनियों की पैठ के विरोध में  जन आंदोलन के माध्यम से एक जन चेतावनी जारी करेगा। किसान 13 अगस्त 2025 को ‘कॉरपोरेशन्स भारत छोड़ो’ का नारा लगाते हुए ट्रैक्टर/मोटर वाहन परेड और प्रदर्शन आयोजित करेंगे तथा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पुतले जलाएंगे।

एसकेएम जेनरल बॉडी बैठक ने आदानी समूह की कोयला खदानों के लिए ज़मीन के जबरन अधिग्रहण का विरोध कर रहे सिंगरौली के आदिवासी किसानों के संघर्ष के प्रति पूर्ण एकजुटता प्रकट की।

26 नवंबर 2025, 2020-21 के ऐतिहासिक किसान आंदोलन की 5वीं वर्षगांठ है। एसकेएम ट्रेड यूनियन आंदोलन और कृषि श्रमिक आंदोलन के साथ समन्वय कर दिल्ली और राज्य की राजधानियों में विशाल मजदूर-किसान संयुक्त प्रदर्शन आयोजित करेगा। 

15 अगस्त से 26 नवंबर तक एक राष्ट्रीय अभियान का आयोजन किया जाएगा जो राष्ट्रीय एकता और जन एकता के लिए मजदूर-किसान एकता और हिंदू-मुस्लिम एकता के दो स्तंभों पर आधारित होगा और विभिन्न धर्मों एवं आस्थाओं की धर्मनिरपेक्ष एकता तथा मेहनतकश जनता की वर्गीय एकता की ओर अग्रसर होगा। एक व्यापक अभियान और स्थानीय विरोध प्रदर्शन, प्रचार सामग्री और साहित्य वितरण के साथ आयोजित किए जाएंगे ताकि किसान वर्ग और अन्य वर्गों को विभिन्न मांगों पर ‘जीत तक संघर्ष’ के लिए तैयार किया जा सके:

1. कृषि क्षेत्र/खाद्यान्न उत्पादन और दुग्ध क्षेत्र को नुकसान पहुंचाने वाले किसी भी द्विपक्षीय व्यापार समझौते और सस्ते आयात को अस्वीकार करें।
2. संघीय अधिकारों को कमजोर करने और सरकारी कृषि बाजारों के कॉरपोरेट अधिग्रहण को बढ़ावा देने वाले कॉरपोरेट समर्थक एनपीएफएएम को रद्द करें।
3. सभी फसलों के लिए एमएसपी/ सी2 + 50 फीसदी और गारंटीकृत खरीद।
4. किसान और कृषि श्रमिकों के सभी वर्गों के लिए समग्र ऋण माफी ताकि किसान आत्महत्याओं को रोका जा सके।
5. अंधाधुंध भूमि अधिग्रहण, भूमि पूलिंग योजनाएं, औद्योगिक मॉडल टाउनशिप नहीं और भूमि अधिग्रहण पुनर्वास व पुनर्स्थापना अधिनियम 2013 का सही कार्यान्वयन।

6. बिजली का निजीकरण नहीं, स्मार्ट मीटरों का थोपना नहीं, सभी ग्रामीण परिवारों को 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली दी जाए।

इस राष्ट्रीय अभियान, इसकी तैयारियों और साहित्य में एसकेएम केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच, कृषि श्रमिक यूनियनों के मंच और अन्य ट्रेड यूनियनों के साथ भी समन्वय करेगा।

जनरल बॉडी ने 9 जुलाई 2025 को हड़ताल कार्रवाई को प्रभावी बनाने में श्रमिक वर्ग और संयुक्त ट्रेड यूनियन आंदोलन के नेतृत्व की सराहना की। यह नवउदारवादी नीतियों के बाद से 22वीं आम हड़ताल थी और इसकी सफलता ने समाज के सभी जनवादी वर्गों में विश्वास भरा है कि पूरा मेहनतकश वर्ग शासक वर्गों की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ लड़ने के लिए तैयार है।

एसकेएम ने सभी अधिग्रहित ज़मीनों के लिए ज़मीन मालिकों को बाज़ार दर पर पूर्ण मुआवज़ा की मांग की है। उसने यह भी मांग की कि सर्किल रेट की अनिवार्य पुनरीक्षण प्रत्येक वैकल्पिक वर्ष में सुनिश्चित किया जाए; पुनर्वास और पुनर्स्थापन के बिना कोई अधिग्रहण नहीं होना चाहिए; पूर्व पुनर्वास के बिना झुग्गियों और बस्तियों को नहीं तोड़ा जाए; बुलडोज़र राज समाप्त हो; कृषि भूमि पर हाई वोल्टेज ट्रांसमिशन लाइन के जबरन निर्माण को रोका जाए; भूमि उपयोग नीति लागू की जाए और देश की खाद्य सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कृषि भूमि को खेती के लिए संरक्षित किया जाए।

बैठक ने 10 साल से अधिक पुराने ट्रैक्टरों पर प्रतिबंध हटाने, उर्वरक सब्सिडी बहाल करने, नकली उर्वरकों और कीटनाशकों के व्यापार को रोकने, जमाखोरी, कालाबाजारी, व्यापक भ्रष्टाचार समाप्त करने और गुणवत्तापूर्ण उर्वरकों और कीटनाशकों के घरेलू उत्पादन में आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करने हेतु एक विशेष न्यायाधिकरण की व्यवस्था की मांग की ताकि वन्यजीवों के प्रकोप के शिकार लोगों को उचित मुआवजा मिल सके और जीवन, फसल और घरेलू पशुओं के नुकसान के गंभीर खतरे के स्थायी और वैज्ञानिक समाधान सुनिश्चित हो सकें। वन संरक्षण अधिनियम में संशोधन जनजातियों के विरोध में और कॉरपोरेट समर्थक है।

बैठक ने केंद्र सरकार से यह भी मांग की कि वह शीर्ष 1ः अति-धनाढ्य लोगों पर 2 फीसदी कर लगाए; कॉरपोरेट टैक्स बढ़ाए; एक-तिहाई के रूप में संपत्ति कर और उत्तराधिकार कर को पुनः लागू करें ताकि सकल घरेलू उत्पाद के 7 फीसदी के अनुपात में वित्तीय संसाधन जुटाकर श्रमिकों, किसानों और मेहनतकश लोगों में संपत्ति का न्यायसंगत और समान वितरण सुनिश्चित किया जा सके और सभी नागरिकों को भोजन, रोजगार, स्वास्थ्य, शिक्षा और पेंशन के पांच मौलिक अधिकार सुनिश्चित किए जा सकें।

आमसभा ने कर्नाटक के देवनहल्ली किसानों को बधाई दी, जिन्होंने 1198 दिनों के निरंतर संघर्ष के बाद भूमि संघर्ष में जीत हासिल की। बैठक ने कर्नाटक होरट्टा समिति, 13 प्रभावित गांवों की संयुक्त कार्रवाई समिति, सभी वर्ग और जन संगठनों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, कलाकारों और जीवन के विभिन्न क्षेत्रों के लोगों, मीडिया कर्मियों सहित, को इस जीत के लिए सराहना की। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के निर्देशानुसार, अब 1774 एकड़ ज़मीन को जबरन अधिग्रहण से डिनोटिफाई कर दिया गया है। यह जीत भारत भर में 600 से अधिक संघर्ष स्थलों पर किसानों और ज़मीन मालिकों को प्रेरणा देती है, जो अंधाधुंध, अवैध भूमि अधिग्रहण का विरोध कर रहे हैं।

एसकेएम का बिहार अभियान एसकेएम नेतृत्व सितंबर 2025 में बिहार का दौरा करेगा, अभियान के हिस्से के रूप में भाजपा-एनडीए को उनकी कॉरपोरेट नीतियों के लिए सज़ा देने हेतु, और इसकी विस्तृत योजना एसकेएम की बिहार समन्वय समिति द्वारा बनाई जाएगी।
बैठक ने भारत के गरीब लोगों को मतदान के अधिकार से वंचित करने के उद्देश्य से बनाए गए विशेष गहन मतदाता सूची संशोधन को रद्द करने और बिहार पुलिस के एडीजी(मुख्यालय) कुथन कृष्णन के खिलाफ कार्रवाई की मांग की, जिन्होंने बिहार के सभी किसानों को सुपारी मर्डर में संलिप्त अपराधियों के रूप में चित्रित किया।

विदर्भ, महाराष्ट्र में किसान आत्महत्या पीड़ित परिवारों के दौरे की तिथि और अन्य विवरण एसकेएम/समन्यव समिति के साथ परामर्श कर तय किए जाएंगे।

बैठक ने हरियाणा के सोहना, मेवात में किसानों के संघर्ष के समर्थन में प्रस्ताव पारित किया, जहां ज़मीन मालिकों के साथ विश्वासघात कर उचित मुआवजा दिए बिना ज़मीन अधिग्रहण किया गया, जिससे भूमि अधिग्रहण पुनर्वास व पुनर्स्थापना अधिनियम 2013 का उल्लंघन हुआ; और हिमाचल प्रदेश में किसानों के उस संघर्ष के समर्थन में प्रस्ताव पारित किया जहां कई पीढ़ियों से जंगल की ज़मीन पर खेती कर रहे बटाईदार किसानों के सेब के पेड़ों को काटा जा रहा है और उनके घरों से उन्हें बेदखल किया जा रहा है, जो वन अधिकार कानून, पुनर्वास और पुनर्स्थापन के अधिकार का उल्लंघन है।
जारीकर्ता  

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