राष्ट्रीय सहकारिता नीति 2025 - सहकारिता के क्षेत्र में मिल का पत्थर।
सहकारिता के मुख्यतः पांच सिद्धांत हैं - आत्म सहायता, आत्म जिम्मेदारी, लोकतंत्र, समानता समता और एकजुटता। मोदी जी की सरकार ने यह अनुभव किया है कि गांवों में गरीबों, युवाओं और महिलाओं को रोजगार प्रदान करने के लिए, सहकारिता ही एकमात्र साधन है। इसी विचार से इन्होंने "राष्ट्रीय सहकारिता नीति 2025" लागू की है जो सहकारी क्षेत्र के तेज, समग्र और व्यवस्थित विकास का रोडमैप है। ज्ञातव्य है कि इसके पूर्व वर्ष 2002 में माननीय अटल जी की सरकार में राष्ट्रीय सहकारिता नीति बनाया गया था। यह नीति दूरदृष्टीपूर्ण , व्यावहारिक और रिजल्ट ओरिएंटेड है जो माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के "सहकार से समृद्धि" योजना को लागू करने में सहायक होगा। यह नीति ऐसे समय में प्रतिपादित किया जा रहा है, जब पूरा विश्व अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष मना रहा है। सहकारिता पूरे विश्व के लिए एक आर्थिक प्रणाली है, लेकिन भारत के लिए यह जीवन का एक पारंपरिक दर्शन है। राष्ट्रीय सहकारिता नीति दिनांक 24 जुलाई 2025 को मूर्त रूप ले लिया है और इसका उद्घाटन माननीय केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह जी द्वारा किया गया है। इस नीति का लक्ष्य ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करना और युवाओं को जोड़ना है। इस नीति से टूरिज्म, टैक्सी, इंश्योरेंस और ग्रीन एनर्जी जैसे क्षेत्रों में भी सहकारी समितियां बन पाएगी। सहकारी समितियों की संख्या में 30 प्रतिशत की वृद्धि और हर गांव में कम से कम एक सहकारी समिति बनाने की योजना इस नीति में है। मोदी जी की सहकार से समृद्धि परिकल्पना के अनुसार वर्ष 2027 तक भारत विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थ व्यवस्था के तौर पर उभरेगी। आजादी के 75 साल बाद सहकारिता मंत्रालय बना है, जिससे देश की छोटी से छोटी सहकारी इकाई का सदस्य गर्व और आत्म विश्वास से भरा है।बीते चार साल में कॉपरेटिव सेक्टर हर पैमाने पर कॉरपोरेट क्षेत्र की तरह समानता के आधार पर खड़ा है। 140 करोड़ लोगों को साथ रखकर देश के अर्थ तंत्र का विकास करने की क्षमता केवल और केवल सहकारिता क्षेत्र में है। इस नीति में सहकारिता को प्रोफेशनल, टिकाऊ और समावेशी बनाने पर जोर दिया गया है। यह नीति लोकतंत्र, सामुदायिक भावना और समान लाभ को बढ़ावा देती है। इस नीति द्वारा सहकारिता क्षेत्र के लिए तय किए गए लक्ष्य को हासिल करने के लिए छह स्तंभ बनाए गए हैं - नींव का सशक्तिकरण, जीवंतता को प्रोत्साहन, सहकारी समितियों को भविष्य के लिए तैयार करना, समावेशिता को बढ़ावा और पहुंच का विस्तार, नए क्षेत्रों में विस्तार और सहकारी विकास के लिए युवा पीढ़ी को तैयार करना शामिल है। नए उभरते क्षेत्रों में सहकारी इकाइयों की भागीदारी का मतलब होगा कि सफल सहकारी इकाइयां एकजुट होकर नई सहकारी इकाई बनाएगी, जो नए क्षेत्रों में काम शुरू करेगी। इसका मुनाफा इकाइयों के माध्यम से अंततः ग्रामीण स्तर की पैक्स के सदस्यों तक पहुंचेगा। इस तरह एक बड़ा और मजबूत सहकारी इकोसिस्टम तैयार करने का लक्ष्य है। इस नीति के आधार पर वर्ष 2047 में देश की आजादी की शताब्दी तक देश का सहकारिता आंदोलन और आगे बढ़ेगा। सहकारिता में सहकार के माध्यम से आगे बढ़ेगा। पैक्स में जन औषधि के लिए 4108 पैक्स की स्वीकृति दी जा चुकी है। 393 पैक्स पेट्रोल और डीजल का आवेदन कर चुके हैं। एलपीजी के लिए 100 से अधिक पैक्स आवेदन कर चुके हैं। इतना ही नहीं हर घर नल से जल का प्रबंधन और पीएम सूर्य घर योजना आदि के लिए भी पैक्स काम करेगी। इसमें राष्ट्रीय संघों की भूमिका को भी अहम माना गया है। माननीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह जी 24 जुलाई 2025 को नई दिल्ली में इस "राष्ट्रीय सहकारिता नीति 2025" का शुभारंभ किए हैं। इस नीति को तैयार करने के लिए मंत्रालय ने पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री सुरेश प्रभु जी की अध्यक्षता में 40 सदस्य समिति का गठन किया था, जिसमें सहकारी संघों, विभिन्न मंत्रालयों और शिक्षाविदों को शामिल किया गया था। व्यापक विचार विमर्श और क्षेत्रीय कार्यशालाओं से प्राप्त 648 सुझावों के आधार पर यह नीति तैयार की गई है जो आर बी आई, नाबार्ड के साथ परामर्श कर नीति को अंतिम रूप दिया गया है। यह नीति सहकारी क्षेत्र के समग्र और तेज विकास का रोडमैप प्रस्तुत करेगी। "राष्ट्रीय सहकारी नीति 2025" ग्रामीण समृद्धि की ओर एक ऐतिहासिक कदम है। देश भर में सहकारी आंदोलन को नई ऊर्जा और दृढ़ मार्गदर्शन प्रदान करने के उद्देश्य से माननीय केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह जी इसका औपचारिक अनावरण 24 जुलाई 2025 को किए हैं। यह नीति सहकारिता आधारित आर्थिक संरचना को सुदृढ़ करने, नीतिगत सुधारों की आधारशिला रखने और ग्रामीण जनों तक समृद्धि पहुंचाने के उद्देश्य से तैयार की गई है जो नए भारत को "सहकार से समृद्धि" के मार्ग पर सतत रूप से अग्रसर करेगी। राष्ट्रीय सहकारी नीति 2025 का उद्देश्य है कि को-ऑपरेटिव के माध्यम से महिलाओं और युवाओं को सशक्त बनाकर तथा नई उड़ान देकर एवं तकनीकी स्किल्स से लैस कर सहकारी क्षेत्र में बेहतर भविष्य बनाना, अनुसूचित जाति /जनजाति और दिव्यांगजनों की भागीदारी को संस्थागत रूप से सुनिश्चित करने हेतु टारगेटेड योजनाएं और बेहतर प्रतिनिधित्व, जलवायु अनुकूल खेती और सहकारी शासन, डिजिटल परिवर्तन, सहकारिता को जन-जन तक पहुंचाने के लिए बड़े स्तर पर जागरूकता अभियान इसका मुख्य उद्देश्य होगा। तभी हर गांव, हर युवा और हर महिला बनेगी सहकारिता की शक्ति। तकनीकी प्रशिक्षण, नेतृत्व में भागीदारी, जागरूकता अभियान और मॉडल बायलॉज के माध्यम से सहकारिता सबकी साझेदारी का माध्यम बनेगी। राष्ट्रीय सहकारी नीति महिलाओं और युवाओं को सहकारी आंदोलन का सशक्त हिस्सा बनाने हेतु व्यापक रणनीति लेकर आई है। यह नीति एक समावेशी, आत्मनिर्भर और सशक्त भारत की दिशा में ठोस कदम है। इसका लक्ष्य वर्ष 2034 तक सहकारी क्षेत्र के जी डी पी में योगदान को तीन गुना बढ़ाना, 50 करोड़ लोगों को सहकारिता से जोड़ना, युवाओं को रोजगार से जोड़ने का काम करना है। प्रत्येक पंचायत में पैक्स का गठन, हर जिलों में जिला केंद्रीय सहकारी बैंक और शहरी क्षेत्र में नए अर्बन बैंक को एक सामान्य एकीकृत प्रौद्योगिकी मंच पर स्थानांतरित करने में सुविधा प्रदान करना है, जो उन्हें राष्ट्रीय स्तर के अनुसूचित बैंकों के समान सेवाएं प्रदान करने, दक्षता, मापनीयता और ग्राहक अनुभव को बढ़ाने में सक्षम बनाना है। इस राष्ट्रीय सहकारिता नीति का यह भी विशेषता होगा कि अपने-अपने आधार पर सभी राज्य अपनी जरूरत के अनुरूप सहकारी नीति तैयार कर लक्ष्य प्राप्त कर सकेंगे। ग्रामीण सहकारी बैंकों के लिए आई टी ढांचा और सहकारी समितियों के लिए राष्ट्रीय डिजिटल रोजगार मंच बनाया जाएगा। इस नीति के तहत सहकारी समितियों से दालों, मिलेट्स, मक्का और तिलहनों का उत्पादन और खरीद को बढ़ावा मिलेगा। पैक्स किसानों को जलवायु के अनुकूल फसल चक्र और सौर पवन जैसी नवीकरणीय ऊर्जा अपनाने के लिए प्रोत्साहित करेगा। सहकारी समितियां को ODOP योजना और GeM-ONDC जैसे प्लेटफार्म से जोड़कर बेहतर बाजार पहुंच के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। राष्ट्रीय सहकारी नीति 2025 "विकसित भारत 2047" के लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में एक अहम कदम साबित होगा। इन बिन्दुओं को ध्यान में रखकर ही इस नीति में मोदी जी की सरकार ने कानून में संशोधन कर राष्ट्रीय सहकारिता नीति 2025 तैयार की है जो 24 जुलाई 2025 से लागू हो गया है। श्री अमित शाह जी ने कहा है कि राष्ट्रीय सहकारिता नीति के तहत प्रत्येक राज्य की सहकारी नीति उस राज्य की सहकारी परिस्थितियों के अनुसार तैयार की जाएगी और विशिष्ट लक्ष्य निर्धारित किए जाएंगे जिससे भारत स्वतंत्रता की शताब्दी तक एक आदर्श सहकारी राज्य बन सकता है। मोदी जी ने बहुत दूरदर्शिता के साथ सहकारिता मंत्रालय की रचना की है जिसका उद्देश्य समाज के हर वर्ग को आगे बढ़ाना और विकास को सर्वस्पर्शीय और सर्वसमावेशी बनाना है। यह सहकारी नीति आने वाले 25 साल तक सहकारिता क्षेत्र को प्रासंगिक बनाएगी, योगदान देने वाला बनाएगी और भविष्य का क्षेत्र भी बनाएगी।
इस परिपेक्ष्य में माननीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह जी से अनुरोध होगा कि नई राष्ट्रीय सहकारी नीति 2025 को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए मेरे विचार से केंद्र और प्रदेश में "सहकारिता आयोग" का गठन किया जाना आवश्यक है। "सहकारिता आयोग" के गठन से प्रशासनिक व्यवस्था चुस्त दुरुस्त रहेगी और किसी भी अड़चन अथवा लाल फीताशाही को दूर करने में आयोग समर्थ रहेगी, जिससे राष्ट्रीय सहकारिता नीति 2025 के प्रभावी होने में निश्चित रूप से सहायक हो पाएगी। बिहार में सहकारिता आयोग के गठन हेतु ज्ञापन श्री प्रणव कुमार, माननीय विधायक, मुंगेर विधान सभा, मुंगेर को दी गई थी। इन्होंने दिनांक 24.07.2025 को बिहार विधान सभा में ध्यानाकर्षण में सहकारिता आयोग गठन हेतु प्रस्ताव समर्पित किए हैं।
जय सहकारिता।
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