जिलाधिकारी, पटना डॉ. चन्द्रशेखर सिंह की अध्यक्षता में आज समाहरणालय सिथत सभाकक्ष में जिला कृषि टास्क फोर्स की बैठक आयोजित हुई।

जिलाधिकारी, पटना डॉ. चन्द्रशेखर सिंह की अध्यक्षता में आज समाहरणालय सिथत सभाकक्ष में जिला कृषि टास्क फोर्स की बैठक आयोजित हुई।

पटना, मंगलवार, दिनांक 19.11.2024: जिलाधिकारी, पटना डॉ. चन्द्रशेखर सिंह की अध्यक्षता में आज समाहरणालय सिथत सभाकक्ष में जिला कृषि टास्क फोर्स की बैठक आयोजित हुई। फसलों के अवशेष को खेतों में जलाने से होने वाले नुकसान के प्रति किसानों तथा आम जनता के बीच वृहद स्तर पर जागरूकता अभियान चलाने का निदेश दिया गया। डीएम डॉ. सिंह ने कहा कि फसल अवशेष को जलाने से मिट्टी, स्वास्थ्य तथा पर्यावरण पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। इसके बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए गाँव-गाँव तक ओरिएन्टेशन सेशन आयोजित की जाए। इन सत्रों में फसल अवशेष प्रबंधन पर विस्तार से चर्चा की जाए। कृषि, वन एवं पर्यावरण, स्वास्थ्य, शिक्षा, जीविका, पशुपालन, जन-सम्पर्क, त्रि-स्तरीय पंचायती राज संस्थाओं, सहकारिता सहित सभी विभागों के जिला-स्तरीय पदाधिकारी अपने-अपने क्षेत्रीय कर्मियों तथा पदाधिकारियों के द्वारा जन-जागरूकता अभियान चलाएं तथा इसका अनुश्रवण करें। लोगों को बताएं कि फसल अवशेष जलाने का क्या दुष्प्रभाव होता है, इसे बचाव के क्या-क्या उपाय है तथा सरकार द्वारा क्या-क्या सुविधाएं दी जाती है। उन्होंने प्रखंडों के स्तर पर नियमित तौर पर ऐसे कार्यक्रमों के आयोजन का निदेश दिया। 

डीएम डॉ. सिंह ने कहा कि किसानों को बताया जाए कि फसल अवशेष प्रबंधन हेतु कौन-कौन से यंत्र हैं तथा सरकार द्वारा इसके क्रय  पर क्या सुविधाएं दी जा रही है। किसानों को इन यंत्रो-बेलर मशीन, जीरो टिलेज, हैप्पी सीडर, रीपर कम्बाइंडर, सुपर सीडर, सेल्फ प्रोपेल्ड रीपर- के फंक्शन, उपयोग एवं अनुदान के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाए तथा उन्हें इसके उपयोग के लिए प्रोत्साहित किया जाए। किसान भाइयों एवं बहनों से अपील करें कि यदि फसल की कटनी हार्वेस्टर से की गई हो तो खेत में फसलों के अवशेष पुआल, भूसा आदि को जलाने के बदले खेत की सफाई करने हेतु बेलर मशीन का उपयोग किया जाए। अपने फसलों के अवशेष को खेतों में जलाने के बदले उससे वर्मी कम्पोस्ट बनायें या मिट्टी अथवा पलवार विधि से खेती कर मिट्टी को बचायें। इस प्रकार किसान संधारणीय कृषि पद्धति में अपना योगदान दे सकते हैं।

डीएम डॉ. सिंह ने कहा कि पटना जिला में पराली जलाने वालों की संख्या वर्षवार कम हो रही है। साल 2021 में 127 मामले आए थे जबकि वर्ष 2022 में 27 मामले आए। वर्ष 2023 में भी कम मामले आए थे। जिलाधिकारी ने जिला कृषि पदाधिकारी को इस वर्ष पराली जलाने की घटना को रोकने के लिए विशेष प्रयास करने को कहा ताकि वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) के अनुसार वायु प्रदूषण की स्थिति ख़राब न हो। उन्होंने कहा कि फसल अवशेष (पराली) को जलाना दंडनीय है। ऐसा करने वालों के विरूद्ध विधिसम्मत सख्त कार्रवाई की जाएगी। सैटलाईट इमेज से उनकी पहचान की जाती है। जिलाधिकारी, पटना द्वारा अनुमंडल पदाधिकारियों को पराली जलाने पर भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के सुसंगत दंडात्मक प्रावधानों के अन्तर्गत दोषी व्यक्ति के विरूद्ध कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया। उन्होंने कहा कि ई-किसान भवनों पर भी ऐसे किसानों की सूची प्रदर्शित की जाएगी तथा उन्हें सरकार की अन्य योजनाओं के लाभ से भी नियमानुसार वंचित रखा जाएगा। उनसे धान की अधिप्राप्ति भी नहीं की जाएगी।

जिलाधिकारी ने बताया कि पराली जलाने की समस्या के निराकरण हेतु जिलास्तर पर विभिन्न विभागों के बीच समन्वय होना तथा उनके द्वारा दायित्वों का समुचित निर्वहन किया जाना आवश्यक है।

जिलाधिकारी द्वारा 9 विभागों के जिला स्तरीय पदाधिकारियों को निदेश दिया गया है जो निम्नवत हैः-
1.        कृषि विभागः- 

* जिला में आत्मा एवं कृषि विज्ञान केन्द्रों के माध्यम से किसानों को प्रशिक्षण प्रदान करना

* खेतों में फसल को जलाने के बदले खेत की सफाई हेतु बेलर मशीन का प्रयोग एवं फसल के अवशेष खेतों में जलाने के बदले वर्मी कम्पोस्ट बनाने, मिट्टी में मिलाने या पलवार (मल्ंिचग) विधि से खेतों में व्यवहार कर मिट्टी को बचाना, हैप्पी सीडर से गेहूँ की बोआई के प्रत्यक्षण को प्रोत्साहित करना 

* पंचायत स्तर पर आयोजित किसान चौपाल तथा कृषि विभाग के अन्य कार्यक्रमों में फसल न जलाने के संबंध में किसानों को जागरूक करना 

* किसानों को समय-समय पर समाचार पत्रों में विज्ञापन के माध्यम से जागरूक करना 

* फसल न जलाने से संबंधित लघु वृतचित्र, रेडियो एवं जिंगल के माध्यम से किसानों को जागरूक करना, आत्मा के माध्यम से प्रचार वाहन रथ का परिचालन करना इत्यादि

* कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा प्रशिक्षण, किसान गोष्ठी, सोशल मीडिया इत्यादि जागरूकता कार्यक्रम चलाया जाना
 
2. वन एवं पर्यावरण विभागः-
* फसल अवशेष को जलाने से वायुमण्डल में कार्बन डाईऑक्साईड, कार्बन मोनोऑक्साईड तथा वोलेटाइल ऑर्गेनिक कम्पाउंड की मात्रा बढ़ती है, जिसके कारण वायु प्रदूषित होता है और जलवायु परिवर्तन का एक कारण हो सकता है। इसके प्रति आम जन को जागरूक करना।

3. स्वास्थ्य विभागः-

* ए.एन.एम. एवं आशा कार्यकर्त्ता के माध्यम से फसल अवशेषों को जलाने के कारण मनुष्य विशेषकर छोटे बच्चों के स्वास्थ्य यथा श्वास लेने मे तकलीफ, आँख, नाक, गला में जलन, अन्य बीमारियों के होने के बारे में लोगों को जागरूक करना

4. शिक्षा विभागः-

* प्राथमिक, माध्यमिक, उच्च एवं उच्चतर माध्यमिक के पाठ्यक्रम में फसल अवशेष को खेतों में न जलाने पर पढ़ाना, छात्र/छात्रों के बीच फसल अवशेष न जलाने पर वाद-विवाद प्रतियोगिता, चित्रकला आदि का आयोजन करना

5. ग्रामीण विकास विभागः-

* जीविका दीदी तथा मनरेगा के कार्यकर्त्ताओं के माध्यम से फसल अवशेष न जलाने के प्रति जागरूक करना।

6. पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग-

* पशुपालकों को फसल कटनी के उपरान्त खेतों में अवशेषों तथा खर-पतवार को भेड़ तथा बकरी को खेतों में चराने के लिए जागरूक करना, भूसा का बेलर मशीन से फॉडर ब्लॉक बनाकर उपयोग करना।

7. सहकारिता विभाग

* पैक्सों तथा प्रखंड सहकारिता पदाधिकारी के माध्यम से फसल अवशेष उपयोग पर किसानों को जागरूक करना

8. पंचायती राज विभाग-

* त्रि-स्तरीय तथा प्रखंड पंचायती राज संस्थाओं तथा पंचायत सेवकों के माध्यम से फसल अवशेष के उपयोग पर किसानों को जागरूक करना

9. सूचना एवं जन-सम्पर्क विभाग-

* विभिन्न प्रचार-प्रसार तंत्र के माध्यम से फसल अवशेष खेतों में न जलाने हेतु किसानों तथा आमजन को जागरूक करना
जिलाधिकारी ने कहा कि फसल अवशेष प्रबंधन के आधुनिक उपकरण यथा हैप्पी सीडर, जीरो टाईलिज, रोटरी मर्ल्चर, रोटरी बेलर एवं सुपर सीडर की उपयोगिता के बारे में व्यापक जन प्रसार की आवश्यकता है। जिलाधिकारी ने इस बात पर जोर दिया कि सभी संबंधित पदाधिकारी नियमित रूप से क्षेत्र भ्रमण करें, किसानों से उनकी समस्याओं के बारे में प्रतिक्रिया लें एवं उन्हें इन आधुनिक उपकरणों के बारे में बतायें। जिलाधिकारी ने बताया कि आत्मा के द्वारा 21 नवंबर से 15 दिसंबर तक पंचायतों में किसान चौपालों का आयोजन किया जा रहा है। उक्त चौपाल में सभी पंचायत स्तरीय/प्रखंड स्तरीय/जिला स्तरीय प्रतिनिधिगण भाग लेंगे। वे किसानों की समस्या सुनेगें एवं फसल अवशेष प्रबंधन के नवीनतम उपकरणों के बारे में किसानों को जागरूक भी करेंगे।


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