राम भारत की अस्मिता के प्रतीक हैं :  एमएलसी सर्वेश कुमार

राम भारत की अस्मिता के प्रतीक हैं : एमएलसी सर्वेश कुमार

श्रीविश्वबंधु पुस्तकालय में   तुलसी जयंती के मौके  दो सत्रों में सम्पन्न कार्यक्रम के समापन समारोह को संबोधित करते हुए एमएलसी सर्वेश कुमार ने कहा कि राम भारत की अस्मिता के प्रतीक हैं।  राम और रामचरितमानस की प्रासंगिकता इस मायने में भी प्रतिष्ठापित होती है कि राम मंदिर के निर्माण हेतु तीन हजार करोड़ की राशि आम जनता द्वारा जुटा कर मंदिर ट्रस्ट को दे दी जाती है।  बोले,बखरी का श्रीविश्वबंधु पुस्तकालय यहां की धरोहर है। लिच्छवि गणतंत्र की तरह लोकतांत्रिक व्यवस्था से सम्पन्न यहां की चुनाव व्यवस्था सम्पूर्ण देश की बौद्धिक संस्थाओं के लिए उदाहरण बन सकती है। उन्होंने विधान पार्षद निधि से वाचनालय निर्माण हेतु 14 लाख की राशि देने को घोषणा करते हुए तत्क्षण जिला योजना पदाधिकारी के नामित पत्र पुस्तकालय अध्यक्ष प्रो सुरेन्द्र केसरी को सौंपा।  कार्यक्रम को संबोधित करते हुए एसडीएम सन्नी कुमार सौरभ ने कहा कि पुस्तकालयों की महत्ता कभी कम नहीं होगी। उन्होंने बीपीएससी की तैयारियों का अनुभव साझा करते हुए कहा कि सफलता, पुस्तकों के सतत् अध्ययन से ही मिलती है। वहीं जिला कार्यक्रम क्रियान्वयन समिति के उपाध्यक्ष सह भाजपा जिलाध्यक्ष राजीव वर्मा ने कहा कि पुस्तकालय के सर्वांगीण विकास के लिए हर संभव प्रयास किया जायेगा।  उन्होंने स्थानीय सांसद व केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह की निधि से पुस्तकालय परिसर में पं.दीनदयाल उपाध्याय सभागार निर्माण कराने में सार्थक पहल किये जाने की घोषणा की। 
       मौके पर आयोजित "वर्तमान परिप्रेक्ष्य में रामचरितमानस की प्रासंगिकता" विषयक विचार गोष्ठी में विषय प्रवेश करते हुए पूर्व पार्षद सिधेश आर्य ने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम राम का सम्पूर्ण जीवन चरित मानव मूल्यों के लिए पथ प्रदर्शक का काम करता है।  रामायण काल में,   भारत भूमि से आततायियों का सफाया करने में प्रभु राम ने लेशमात्र भी दया नहीं दिखलायी थी।  आतंकवाद व कट्टरपन की लङाई में हमें राम के आदर्शो से सीखना पङेगा। कोशी काॅलेज के हिन्दी विभागाध्यक्ष कपिलदेव प्रसाद ने मानस की प्रासंगिकता पर बोलते हुए कहा कि गुलामी के कालखंड में तुलसीदास जी ने रामचरितमानस की रचना कर देश के राष्ट्रीय समाज को एक बार फिर से सनातन संस्कृति से जोडने का काम किया। वहीं बिहार साहित्य परिषद के अध्यक्ष चन्द्रिका प्रसाद ने महाकाव्य में वर्णित रस,छंद वगैरह की विशद व्याख्या प्रस्तुत की। 
पुस्तकालय के अध्यक्ष सुरेन्द्र केसरी की अध्यक्षता व पूर्व अध्यक्ष जयदेव सान्याल के संचालन में सम्पन्न विचार गोष्ठी में उपाध्यक्ष पवन कुमार सुमन, सह सचिव मो.साबिर आलम,नवल किशोर जयपुरिया, मणीश कुमार, पूर्व मुख्य पार्षद कुमारी संगीता राय, दशरथ राय,प्रेम किशन मन्नू, जयशंकर जायसवाल,नीरज राय,संतोष भारती गुड्डू, रूद्रांश,सक्षम आदि मौजूद थे। कार्यक्रम के अंत में आगत अतिथियों ने भाषण प्रतियोगिता में सफल प्रतिभागियों को मोमेंटो व प्रमाण पत्र देकर सम्मानित भी किया।

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