श्रीविश्वबंधु पुस्तकालय में संत शिरोमणि गोस्वामी तुलसीदास जी की जयंती समारोह पूर्वक मनायी गयी।
क्षेत्र की प्रसिद्ध साहित्यिक बौद्धिक संस्था श्रीविश्वबंधु पुस्तकालय में संत शिरोमणि गोस्वामी तुलसीदास जी की जयंती समारोह पूर्वक मनायी गयी। मौके पर प्राथमिक, माध्यमिक व महाविद्यालय स्तर के छात्र छात्राओं के बीच भाषण प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बिहार विधान परिषद् की सदस्या प्रो.उर्मिला ठाकुर ने कहा कि श्रीविश्वबंधु पुस्तकालय बिहार का माॅडल पुस्तकालय बनने की सभी अर्हताओं को पूरा करता है। विधानमंडल के आगामी सत्र में इसको लेकर वे सरकार के समक्ष ध्यानाकर्षण प्रस्ताव लायेंगी। आवश्यकता पङी तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और केन्द्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान तक बातों को लाया जायेगा। उन्होंने कहा कि साहित्य और शिक्षा के संवर्धन में राजनीति कभी आङे नहीं आती। प्रो.ठाकुर के अनुसार, आजादी के बाद से अब तक बखरी विधानसभा क्षेत्र का समुचित विकास नहीं हो पाया है।
तुलसी जयंती समारोह में विषय प्रवेश करते हुए पुस्तकालय के पूर्व अध्यक्ष सिधेश आर्य ने कहा कि धर्म और साहित्य की तमाम विधाओं को अपने में समेटे हुए रामचरितमानस सार्वदेशिक व सर्वकालिक महाकाव्य बन चुका है। तुलसीदास जी ने रामचरितमानस की रचना कर सम्पूर्ण भारत के ग्रामीण अंचलों तक राम के व्यक्तित्व को जन सुलभ बनाया। वाल्मीकि के राम मर्यादा पुरुषोत्तम थे। किन्तु तुलसी के राम जन जन के राम हो गये। उन्होंने कहा कि वैश्विक परिदृश्य में, जब सभ्यताओं का संघर्ष चल रहा हो,तब राम का जीवन चरित्र और तुलसीकृत रामचरितमानस की चौपाइयां शांति का मार्ग सुझाने का काम कर रहीं हैं।
अध्यक्षता करते हुए पुस्तकालय के अध्यक्ष सुरेन्द्र केसरी ने कहा कि श्रीविश्वबंधु पुस्तकालय में तुलसी जयंती समारोह का क्रेज़ रहा है। दशकों से इस प्रकार के आयोजनों की परम्परा आज भी कायम है। कार्यक्रम को उपमुख्यपार्षद ज्ञानती देवी,संरक्षण समिति के सदस्य वैद्यनाथ प्रसाद केसरी, राजेश अग्रवाल,रामचंद्र केसरी, पूर्व अध्यक्ष जयदेव सान्याल,सीताराम केसरी, प्रो.अशोक यादव,पुस्तकालय के उपाध्यक्ष सह कार्यक्रम संयोजक पवन कुमार सुमन, सह सचिव मो.साबिर,प्रो.आजाद सिंह राठौड़,प्रो.दिनेश सिंह, गोपेश कुमार, जयशंकर जायसवाल, मणीश कुमार, नीरज राय,राहुल केसरी, कृष्कांधा, संतोष भारती गुड्डू, दीपक तुलस्यान आदि ने भी संबोधित किया।
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