*नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को इतराने से बाज आना चाहिए*

*नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को इतराने से बाज आना चाहिए*

जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना, 08 जुलाई, 2024 ::

लोक सभा चुनाव परिणाम में 99 सीट लाकर और गठबंधन की सीट को मिलाकर कांग्रेस इतरा रही है, जबकि कांग्रेस को इतराने से बाज आना जरूरी है। कांग्रेस की इस इतराहट से, उसे बार-बार मात खाना पड़ रहा है। यही कारण है कि संसद में प्रधानमंत्री ने अपनी तर्क से उनकी बोलती बंद कर दी है।

नरेन्द्र मोदी को देश की जनता ने नकारा नहीं है। लेकिन एनडीए की सरकार को तीसरी बार केन्द्र की सत्ता में आने की बहुमत मिली है और केन्द्र में भाजपा गठबंधन की सरकार नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में बनी है। इसबार भाजपा गठबंधन सरकार के लिए विपक्ष की अवहेलना करना आसान नहीं होगा। क्योंकि इसबार मजबूत विपक्ष है। मजबूत विपक्ष होने के कारण केन्द्र सरकार को अपना रवैया नरम रखना होगा। इसका प्रमाण भी सदन में देखने को मिल रहा है।

राहुल गांधी को नेता विपक्ष बनाया गया है। नेता विपक्ष के तौर पर राहुल गांधी की पुरानी छवि टूटने की और एक नयी छवि बनने की उम्मीद जतायी जा रही है। बदले हुए हालात में केन्द्र की भाजपा सरकार पिछले कार्यकाल की तरह विपक्ष को दरकिनार कर के सदन की कार्यवाही नहीं चला पायेगी, जो सदन में दिख रही है।  मजबूत विपक्ष रहने और राहुल गांधी के प्रतिपक्ष का नेता बनने से केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार को अब अपने नजरिये में फेरबदल करनी होगी।  
18वीं लोकसभा सत्र की शुरुआत हो चुकी है। सभी सांसद शपथ ले चुके हैं। लोकसभा स्पीकर चुन लिए गए हैं और नेता प्रतिपक्ष भी घोषित हो चुके है। केन्द्र की सरकार तीसरी पारी शुरू कर चुकी है। विपक्ष सदन में अपनी दबाव लगातार बनाए हुए है लेकिन विपक्ष के दबाव के बावजूद केन्द्र सरकार पोछे नहीं हटेगी, ऐसा दिख रहा है। आधिकारिक रूप से राहुल गांधी प्रतिपक्ष के नेता है और सदन में जब नेता प्रतिपक्ष बोल रहे थे, तब प्रधानमंत्री भी सदन में मौजूद रहे। यही भारत की संसदीय परंपरा रही है। ऐसा सदन में देखने को मिल रहा है। 

एनडीए में भाजपा थोड़ी कम संख्या जीत कर नरेन्द्र मोदी को फिर से तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री बनाया गया हैं। जो लोग नरेन्द्र मोदी के राजनीतिक व्यक्तित्व की बारीकियों को गहराई तक समझते हैं उन्हें शायद यह समझाने की जरूरत नहीं है कि सत्ता और सरकार में आकर नरेन्द्र मोदी किसी भी फ्रंट पर पराजय का मुंह देखने वाले नहीं है।
आपातकाल की बरसी पर विपक्षी दलों के हंगामे के बीच सदन में निंदा प्रस्ताव पारित किया गया। अपने प्रस्ताव में स्पीकर ने कहा कि यह सदन 1975 में, देश में आपातकाल लगाने के निर्णय की कड़े शब्दों में निंदा करता है। इसके साथ ही, हम उन सभी लोगों की संकल्य शक्ति की सराहना करते हैं, जिन्होंने आपातकाल के समय अभूतपूर्व संघर्ष किया और भारत के लोकतंत्र की रक्षा की। 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि भाजपा सरकार का एकमात्र लक्ष्य भारत सर्वप्रथम है। उन्होंने कहा है कि लंबे समय तक तुष्टिकरण की राजनीति का मॉडल देश ने देखा है, लेकिन उन्होंने तुष्टिकरण की बजाय सन्तुष्टीकरण पर देश चलाया है। उन्होंने यह भी कहा कि विपक्ष की साजिश, षड्यंत्र, अराजकता और शोर शराबा की राजनीति से डरने वाले नहीं हैं। उनकी सरकार संकल्प की सिद्धि को पूरा करेगी।

कांग्रेस नेतृत्व को चुनावी मूड से बाहर निकलकर वास्तविक धरातल पर चलने की आदत डालनी होगी। उसे अधिक उत्साह दिखाकर केंद्र सरकार को पलटने के पैतरे छोड़ देने और लोकतांत्रिक मूल्यों की मर्यादाओं के साथ आगे का सफर तप करना ज्यादा आवश्यक है। यही उसे जनता का भरोसा जीतने में कामयाब भी कालांतर में बना पाएगा।

18वीं लोकसभा के लिए निर्वाचित सदस्यों को शपथ दिलाये जाने के दौरान एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने शपथ लेने के बाद नारा लगाया जय भीम, जय तेलंगाना और फिर जय फिलस्तीन कहा। फिर उन्होंने अल्लाह-ओ-अकबर के भी नारे लगाये। इसपर भाजपा के कई सदस्यों ने आपत्ति जाहिर की। उन्होंने विरोध दर्ज करवाया। इसपर प्रोटेम स्पीकर ने कहा कि यदि ओवैसीने कोई आपत्तिजनक बात कही है उसे कार्यवाही के रिकार्ड से हटा दिया जायगा। ओवैसी हैदराबाद से लोकसभा से निर्वाचित हुए हैं। वह पांचवी बार सांसद बने हैं। 

नेता प्रतिपक्ष की सदन में महत्वपूर्ण भूमिका और संवैधानिक अधिकार होते हैं। इनमे कटौती करना सत्तारुढ़ दल के लिए संभव नहीं है। यह एक सम्मानीय पद है। राहुल गांधी के लिए भाजपा जिस तरह का वक्तव्य हर वक्त इस्तेमाल करती रही है, वह अब संभव नहीं होगा। नेता प्रतिपक्ष की हैसीयत सत्तारुढ़ दल के नेता से कम नहीं होती है। राहुल गांधी सदन में विपक्ष की आवाज उठाते हुए नजर आने वाले हैं। लोकसभा चुनाव के नतीजों ने बहुत कुछ बदलकर रख दिया है। राहुल गांधी के तौर पर पूरे दस सालों बाद सदन के भीतर विपक्ष को अपना सेनापति मिला है। 

नेता प्रतिपक्ष न सिर्फ अपनी पार्टी को, बल्कि पूरे विपक्ष का नेतृत्व करता है। नेता प्रतिपक्ष कई जरूरी नियुक्तियों में प्रधानमंत्री के साथ बैठता है। मतलब यह है कि अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और प्रतिपक्ष नेता राहुल गांधी साथ मिलकर कई फैसले लेंगे। दोनों के राय से फैसले लिये जायंगे। चुनाव आयुक्त, केन्द्रीय सतर्कता आयोगके अध्यक्ष, मानवाधिकार आयोगके अध्यक्ष इन सभी पदोंका चयन एक पैनलके जरिये किया जाता है, जिसमें प्रधान मंत्री और नेता प्रतिपक्ष शामिल रहते हैं। 

अब तक राहुल गांधी कभी भी नरेन्द्र मोदी के साथ किसी पैनल में शामिल नहीं हुए हैं। राहुल गांधी भारत सरकार के खर्चों की जांच करने वाली लोक लेखा समिति के अध्यक्ष होंगे। अब  राहुल गांधी सरकार के कामकाज की लगातार समीक्षा करेंगे। वह ये जानने की कोशिश करेंगे कि सरकार कहां पर कितना पैसा खर्च कर रही है। 

इतना ही नहीं राहुल गांधी दूसरे देशों के राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री को राष्ट्रीय मुद्दों पर अपना दृष्टिकोण देने के लिए भारत बुला सकते हैं। मतलब कि यदि वह किसी मुद्दे पर विदेशी मेहमानों से चर्चा करना चाहें तो वह ऐसा कर सकेंगे। नेता प्रतिपक्षके तौरपर राहुल गांधी अब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और सीबीआई जैसी केंद्रीय जांच एजेंसियों के प्रमुखों के चयन में भी अहम भूमिका निभा सकते हैं। वह पिछले दस साल से इन एजेंसियोंपर काफी आरोप लगाते आये हैं। नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद राहुल को पद भी मिला है और उनका कद भी बढ़ गया है। नेता विपक्ष के तौर पर राहुल गांधी को कई अधिकार और सुविधाएं मिलेंगी।
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