*गैर-संचारी रोगों पर गोलमेज़ चर्चाः विज्ञान और मीडिया को एकजुट होकर काम करना होगा*
पटना, 27 जून 2024: रीच REACH :Resource Group for Education and Advocacy for Community Health ने आज पटना में ऐक्ज़िबिशन रोड स्थित होटल गार्गी ग्रैंड के गंगा हॉल में गैर-संचारी रोगों से निपटने में विज्ञान एवं मीडिया के एकजुट होकर काम करने के महत्व पर एक गोलमेज़ चर्चा की सफल मेज़बानी की, जिसका शीर्षक था नॉन-कम्यूनिकेबल डिसीसिज़ (एनसीडी): ब्रिंगिंग साइंस एंड मीडिया टूगैदर। इस आयोजन में स्वास्थ्य एवं मीडिया के अग्रणी विशेषज्ञ एक मंच पर आए और उन्होंने भारत में गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) की चुनौतियों के समाधान तथा दायित्वपूर्ण रिपोर्टिंग के महत्व पर बातचीत की।
इस गोलमेज़ चर्चा की शुरुआत श्री मयंक मोहंती के स्वागत संबोधन के साथ हुई जो की REACH में सीनियर मीडिया एवं कम्यूनिकेशंस ऐसोसिएट हैं और उन्होंने गैर-संचारी रोगों पर रीच के काम के बारे में बताया। रीच के ध्येय एवं प्रतिबद्धता का विवरण देते हुए उन्होंने कहा, यह बहुत अहम है कि हैल्थ रिपोर्टिंग (खास कर गैर-संचारी रोगों की) का फोकस विकेन्द्रीकृत हो जाए। एक भी व्यक्ति फॉलो-अप और देखभाल के नेटवर्क से छूट न जाए यह सुनिश्चित करने के लिए यह अनिवार्य है कि हम ज़मीनी स्तर की रिपोर्टिंग पर जोर दें। स्वागत संबोधन के बाद प्रतिष्ठित वक्ताओं द्वारा जानकारीपूर्ण सत्रों की श्रृंखला आरंभ हुई।
पहले सत्र का शीर्षक था भारत में एनसीडी को समझना जिसका संचालन पटना के जानेमाने ऐंडोक्रीनोलॉजिस्ट डॉ कुमार अनुज ने किया। उन्होंने भारत में गैर-संचारी रोगों की वर्तमान स्थिति का गहन विश्लेषण प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा, एनसीडी यानी गैर-संचारी रोग भारत की स्वास्थ्य प्रणाली के सामने एक बड़ी चुनौती पेश कर रहे हैं जिससे निपटने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण की जरूरत है जिसमें जन शिक्षा, नीतिगत हस्तक्षेप और बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं शामिल हों। हमें एक ऐसा विस्तृत सहयोग नेटवर्क बनाने की आवश्यकता है जो महज़ डॉक्टरों तक सीमित न हो, बल्कि उससे परे तक जाता हो, जिसमें पोषण व मानसिक सेहत भी शामिल हो।
दूसरे सत्र का शीर्षक था स्वास्थ्य में रिपोर्टिंग की वास्तविकताएं जिसकी अगुआई की पीरामल फाउंडेशन के प्रोग्राम डायरेक्टर (सीओई, मीडिया एवं प्रोग्राम ऑपरेशंस) डॉ संजय सुमन ने। उन्होंने स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों की रिपोर्टिंग में मीडिया के समक्ष पेश आने वाली चुनौतियों पर अपना दृष्टिकोण साझा किया। उन्होंने कहा, स्वास्थ्य के मुद्दों पर पत्रकारिता और खास कर एनसीडी के मुद्दे पर सटीकता, समानुभूति और विषय की गहन समझ जरूरी है। जन स्वास्थ्य विशेषज्ञ एवं पत्रकार होने के नाते हम यहां एकत्र हुए, यह दायित्व उठाने के लिए की बेहतर स्वास्थ्य नीतियों की हिमायत करते हुए हम जनता को जानकारी प्रदान करेंगे। रीच राउंडटेबल और इसी प्रकार के अन्य मंच इस प्रकार के सहयोग व समन्वय हेतु अत्यंत मूल्यवान हैं ताकि अभीष्ट संतुलन की प्राप्ति की जा सके।
हिन्दुस्तान अखबार के पत्रकार और पूर्व रीच मीडिया फैलो श्री संजय कुमार ने अपना दृष्टिकोण साझा करते हुए कहा, मैंने कोविड के दौरान स्वास्थ्य रिपोर्टिंग शुरु कर दी थी और रीच मीडिया फैलोशिप हासिल करना मेरे लिए आंखें खोल देने वाला अनुभव रहा। प्रशिक्षण कार्यशाला के जरिए मैंने टीबी के विषय पर सटीक एवं प्रभावी रिपोर्टिंग करने के बारे में महत्वपूर्ण ब्यौरे सीखे।
इस गोलमेज चर्चा में प्रमुख समाचार पत्रों एवं मीडिया संगठनों के पत्रकार शामिल हुए जैसे हिन्दुस्तान, प्रभात खबर, दैनिक भास्कर और राष्ट्रीय सहारा आदि। इस आयोजन में रीच मीडिया फैलोज़ के संग एक खुली चर्चा भी शामिल रही जिसमें सहभागिता करने वालों ने अपने सुझाव व सवाल साझा किए।
क्लीनिशियंस, जन स्वास्थ्य विशेषज्ञों एवं पत्रकारों के मध्य हुई जीवंत बातचीत का लक्ष्य था गैर-संचारी रोगों पर जिम्मेदार रिपोर्टिंग हेतु प्राथमिक दिशानिर्देश तय करना, विज्ञान एवं मीडिया के बीच सहयोगात्मक प्रयास को बढ़ावा देना ताकि इन बीमारियों की सार्वजनिक समझ में वृद्धि हो, जिससे की सम्प्रेषण एवं जागरुकता पहलों में निपुणता सुनिश्चित की जा सके।
इस गोलमेज़ चर्चा का समापन धन्यवाद प्रस्ताव के साथ हुआ, सभी सहभागियों के मूल्यवान योगदान को स्वीकार किया गया तथा वैज्ञानिक अनुसंधान एवं जन जागरुकता के बीच के अंतर को पाटने के लिए रीच की प्रतिबद्धता को दोहराया गया।
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