*कृषि भूमि के जबरन अधिग्रहण और चौसा के किसानों पर हुए हिंसक दमन के विरोध में 26 जून 2024 को पटना में दमन-विरोधी मार्च* *संयुक्त किसान मोर्चा,बिहार ने आयोजित कर आवाज बुलन्द की*
बिहार में विकास के नाम पर कानून को ठेंगा दिखाते हुए धड़ल्ले से चल रहे कृषि भूमि के जबरन अधिग्रहण और चौसा के किसानों पर हुए हिंसक राज्य दमन के विरोध में संयुक्त किसान मोर्चा ने आज पटना में दमन-विरोधी मार्च का आयोजन किया।
"जबरन भूमि अधिग्रहण नहीं चलेगा!", "विकास योजनाओं के नाम पर कृषि भूमि की लूट बंद करो!", "चौसा के किसानों पर हिंसक दमन क्यों? नीतिश सरकार जवाब दो!", "जन आंदोलनों पर पुलिसिया दमन बंद करो!", "कृषि भूमि संरक्षण कानून बनाओ!", "जल-जंगल-जमीन की लूट बंद करो!", "आंदोलनकारी किसानों पर लादे गए मुकदमे वापस लो!", "गिरफ्तार किसानों को रिहा करो!" जैसे नारे लगाते हुए मार्च गांधी मैदान के गेट नंबर दस से साढ़े बारह बजे रवाना हुआ।
मार्च को प्रशासन ने जेपी गोलंबर पर बैरिकेड लगा कर आगे बढ़ने से रोक दिया। यहां किसानों ने जम कर नारेबाजी की। इसके बाद संयुक्त किसान मोर्चा ने यहीं एक सभा का आयोजन किया। सभा की अध्यक्षता तीन सदस्यीय अध्यक्षमंडल ने किया, जिसमें अखिल भारतीय किसान महासभा के राज्य सचिव उमेश सिंह,बिहार राज्य किसान सभा के महासचिव विनोद कुमार, और जय किसान आंदोलन के ऋषि आनन्द शामिल थे।
सभा को अवधेश कुमार, अशोक बैठा, बालेश्वर प्रसाद यादव,उमेश शर्मा, रुदल राम, शंभू नाथ मेहता, फूलन यादव,मनीष कुमार, अनिल तिवारी,राधिका रमण प्रसाद,पुकार, कृष्णदेव शाह और मनोज कुमार ने संबोधित किया। जो विभिन्न किसान संगठनों व प्रभावित किसान थे। कार्यक्रम में कई विधायक व पूर्व विधायक जो किसान आंदोलन के नेता हैं क्रमशः अरुण सिंह,रामबली सिंह यादव,महानंद सिंह एवं चंद्रदीप सिंह शामिल थे।
जैसा कि सर्वविदित है बक्सर जिला के चौसा प्रखंड में सतलुज जल विद्युत निगम द्वारा निर्मित कोयला बिजली संयंत्र के लिए किसानों से 1064 एकड़ भूमि अधिग्रहण किया है। हालांकि, इस प्रक्रिया में भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन में उचित मुआवजा और पारदर्शिता का अधिकार कानून, 2013 का कहीं पालन नहीं किया गया है। इसके अलावा रेल कॉरिडोर और वॉटर पाइपलाइन परियोजना के लिए किसानों से 250 एकड़ भूमि अधिग्रहण की जा रही है। किसानों के मुताबिक इसमें बिना उनकी सहमति के उनकी जमीन अधिग्रहण की जा रही है। मुआवजा, रोजगार, पुनर्वास और पुनर्स्थापन के अधिकार के लिए 17 अक्टूबर 2022 से किसानों का लोकतांत्रिक जन आंदोलन चल जारी है।
किसानों की मांगों को लेकर प्रशासन का रवैया उदासीन रहा है। किसानों की जायज़ मांगों को स्वीकार करने के बजाय उनके विरोध को दबाने की निरंतर कोशिश की गई है। पिछले वर्ष, जनवरी में, किसानों को पुलिसिया दमन का सामना करना पड़ा था। 20 मार्च 2024 को एक क्रूर दमन की कार्रवाई में पुलिस और प्रशासन ने बक्सर जिला के चौसा प्रखंड के तीन गांव — बनारपुर, मोहनपूरवा, कोचाढ़ी — में संध्या पांच बजे घरों में घुस कर महिलाओं, बच्चों, और बुजुर्गों सहित अन्य किसानों के साथ बेरहमी से मार-पीट की। छोटे-छोटे बच्चे से लेकर अस्सी वर्ष की बुजुर्ग महिला तक के हाथ-पांव तोड़ डाले। घरों को बुरी तरह से क्षतिग्रस्त कर भारी लूट पाट को अंजाम दिया गया। इस क्रूर और भीषण कार्रवाई में कई लोग गंभीर रूप से जख़्मी हुए।
इसी तरह, बिहार में अनेकों परियोजनाओं के नाम पर किसानों की उपजाऊ जमीन का बिना उचित मुआवजा का भुगतान किए अधिग्रहण किया जा रहा है। भारत माला सड़क परियोजना के तहत आमस (गया) से जयनगर (मधुबनी) तक प्रस्तावित सड़क परियोजना के नाम पर कृषि भूमि का जबरन अधिग्रहण किया जा रहा है। भूमि को लेकर गया, रोहतास, कैमूर, कजरा, जमालपुर, औरंगाबाद, खगड़िया, मुजफ्फरपुर, फतुहा, बख्तियारपुर, बिहटा, कोइलवर, बबुरा, बेगूसराय, पूर्वी चम्पारण, नालंदा तक के किसानों की सरकारी-गैरसरकारी योजनाओं के नाम पर लूट जारी है। संयुक्त किसान मोर्चा भूमि अधिग्रहण से संबंधित इन तमाम मामलों में प्रशासन की मनमानी और धांधली पर चिंता व्यक्त करता है और किसानों के संघर्ष के प्रति अपनी एकजुटता प्रकट करता है।
विरोध प्रदर्शन व सभा के पश्चात संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से मुख्यमंत्री के यहां मुख्य सचिव ,बिहार से एक छः सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल मिला। इस प्रतिनिधिमंडल में प्रभुराज नारायण राव, राजेंद्र पटेल, रामबृक्ष राम, पुकार, सुभाष यादव, और इंद्रदेव राय शामिल थे। प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री को एक सात सूत्री मांग पत्र सौंपा।
यह मांग निम्नलिखित हैं:
1. चौसा पुलिस दमन कांड के पूरे मामले की जांच एक उच्च स्तरीय न्यायिक समिति से कराई जाए। पुलिस दमन में शरीक बक्सर जिला के तमाम प्रशासनिक अधिकारियों को दंडित किया जाए।
2. कैग की रिपोर्ट में बक्सर के जिन अधिकारियों पर उंगली उठाई गई है, उनको तत्काल निलंबित किया जाए।
3. जिन किसानों पर फर्जी मामले दायर करके उन्हें जेल में बंद कर दिया गया है, उन्हें तुरंत रिहा किया जाए। किसानों के ऊपर दायर मामले वापस लिए जाए। पुलिस दमन के दौरान किसानों को हुई जान-माल की क्षति के लिए अविलम्ब समुचित मुआवजा दिया जाए।
4. भूमि अधिग्रहण कानून, 2013 के प्रावधानों का उल्लंघन कर कृषि भूमि के जबरन भूमि अधिग्रहण पर सख्ती से रोक लगाई जाए।
5. बिहार में पुनर्वास और पुनर्स्थापन को लेकर कोई स्पष्ट नीति नहीं है, जिसके चलते इस मामले में हर जगह अनदेखी की जा रही है। इसलिए राज्य में पुनर्वास और पुनर्व्यवस्थापन को लेकर स्पष्ट नीति बनायी जाए और उसे सख्ती से लागू किया जाए।
6. मसौढ़ी के नोनिया बीघा में किसानों का खतियान के आधार पर जमीन का जमाबंदी कर उन्हें समुचित मुआवजे का भुगतान किया जाए।
7. कैमूर पठार में व्याघ्र परियोजना के नाम पर आदिवासियों और वन-वासियों के विस्थापन पर रोक लगाई जाए।
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