डीएम ने जेई-एईएस के रोकथाम हेतु सघन जागरूकता अभियान चलाने का दिया निदेश

डीएम ने जेई-एईएस के रोकथाम हेतु सघन जागरूकता अभियान चलाने का दिया निदेश


-दिनांकः 05.04.2024                                                                                                                        

जिला पदाधिकारी, पटना श्री शीर्षत कपिल अशोक ने सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों, अनुमंडलीय अस्पतालों के उपाधीक्षकों तथा सिविल सर्जन, पटना को जापानी इन्सेफ्लाईटिस-एक्यूट इन्सेफ्लाईटिस सिन्ड्रोम (जेई-एईएस) के रोकथाम हेतु पूरे जिला में सघन तौर पर जागरूकता अभियान चलाने का निदेश दिया है। वे आज समाहरणालय स्थित सभाकक्ष में जेई-एईएस के नियंत्रणार्थ जिला टास्क फोर्स की बैठक में पदाधिकारियों को संबोधित कर रहे थे। इस बैठक में सिविल सर्जन, अपर जिला दण्डाधिकारी, आपूर्ति, जिला जन-सम्पर्क पदाधिकारी, जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी आईसीडीएस,  जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी, शिक्षा, कार्यपालक अभियंता पीएचईडी, जिला कार्यक्रम प्रबंधक स्वास्थ्य, जिला पशुपालन पदाधिकारी, जिला कार्यक्रम प्रबंधक जीविका तथा अन्य भी उपस्थित थे। जिलाधिकारी ने कहा कि जेई-एईएस के नियंत्रणार्थ ‘‘क्या करें, क्या न करें’’ का गाँव-गाँव में प्रचार-प्रसार करें। लोगों के बीच संवेदीकरण कार्यशाला का आयोजन करें तथा उन्हें मस्तिष्क ज्वर के बारे में सावधानियों, लक्षणों तथा सामान्य उपचार के बारे में बताएं। अभिभावकों को बताएं कि अपने बच्चों को रात में भरपेट खाना खिलाकर ही सुलाएँ। कार्बाेहाइड्रेट-रिच खाना खिलाएं। खूब पानी पिलाएं। गर्मी के दिनों में बच्चों को ओआरएस अथवा नींबू-पानी चीनी का घोल पिलाएं। बच्चों को तेज धूप से बचाएं।  जिलाधिकारी ने सभी अभिभावकों से सावधानियाँ बरतने का भी आह्वान किया। उन्होंने कहा कि जेई-एईएस के रोकथाम हेतु जिला प्रशासन पूरी तरह सजग एवं तत्पर है। सिविल सर्जन के कार्यालय में जिला-स्तरीय नियंत्रण कक्ष (0612-2249964) की स्थापना की गई है। किसी भी प्रकार की सूचना इस पर दी जा सकती है। जिला स्तर से हर तरह की सहायता प्रदान की जाएगी। जिलाधिकारी ने सिविल सर्जन, पटना को सभी अनुमंडल स्तरों पर भी नियंत्रण कक्ष क्रियाशील रखने का निदेश दिया है।

सिविल सर्जन, पटना द्वारा जेई-एईएस के रोकथाम हेतु की गई तैयारियोें के बारे में जिलाधिकारी के संज्ञान में लाया गया। उन्होंने कहा कि 196 एमबीबीएस डॉक्टर्स तथा 344 स्वास्थ्य अधिकारियों को मास्टर ट्रेनर के रूप में प्रशिक्षित किया गया है। 2,452 आशा, 901, एएनएम, 419 आँगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, 26 पीआरआई सदस्यों तथा 23 आरएचपी को स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा प्रशिक्षण दिया गया है। 211 ईएमटी को प्रशिक्षित किया गया है। प्रखंडों में सक्रिय मामलों को डिटेक्ट करने का कार्य नियमित तौर पर चल रहा है। हैंडबिल, बैनर/पोस्टर का वितरण किया जा रहा है। सभी स्वास्थ्य संस्थानों में 01  चिकित्सक को नोडल ऑफिसर के तौर पर तैनात किया गया है।

सिविल सर्जन द्वारा बताया गया कि वर्ष 2023 में जेई-एईएस के 17 मामले आए थे। 

जिलाधिकारी ने जेई-एईएस के रोकथाम हेतु विभिन्न विभागों के जिला-स्तरीय पदाधिकारियों को निर्धारित दायित्वों का तत्परता से निर्वहन करने का निदेश दिया है। स्वास्थ्य, आईसीडीएस, कल्याण, शिक्षा, आईपीआरडी, जीविका, पंचायती राज, ग्रामीण विकास, परिवहन, पीएचईडी सहित सभी संबंधित विभागों के पदाधिकारियों को आपस मंे समन्वय स्थापित कर कार्य करने को कहा गया है। आँगनबाड़ी सेविकाओं एवं सहायिकाओं, विकास मित्रों, जीविका दीदियों, शिक्षकों सहित सभी स्टेकहोल्डर्स को जन-जन को जागरूक करने एवं जेई-एईएस के रोकथाम हेतु आवश्यक सभी कार्य करने का निदेश दिया गया है। जिलाधिकारी ने जिला शिक्षा पदाधिकारी को विद्यालयों में शनिवारीय कार्यक्रमों में ‘‘चमकी को धमकी’’ या एईएस प्रबंधन को शामिल करने, प्रार्थना तथा चेतना सत्रों में ‘‘क्या करें, क्या न करें’’ का उल्लेख करने तथा मध्याह्न भोजन में प्रोटीन-युक्त आहार शामिल करने का निदेश दिया है। डीपीओ आईसीडीएस को वीएचएसएनसी में आँगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की सक्रिय सहभागिता सुनिश्चित करने, आईसीडीएस के अर्न्तगत पंजीकृत कुपोषित बच्चों के लिए अतिरिक्त टीएचआर की योजना का क्रियान्वयन करने, अतिकुपोषित बच्चों को न्यूट्रिशन रिहैबिलिटेशन सेंटर (एनआरसी) में केयर करने एवं आँगनबाड़ी केन्द्रों पर ओआरएस, सिरप एवं पैरासिटामोल की उपलब्धता सुनिश्चित करने का निदेश दिया गया है। जिला कल्याण पदाधिकारी विकास मित्रों के द्वारा हर महादलित टोला में जेई-एईएस के रोकथाम हेतु ‘‘क्या करें, क्या न करें’’ का वृहद प्रचार-प्रसार तथा अन्य सभी कार्रवाई करेंगे। जीविका के डीपीएम जीविका दीदियों के माध्यम से ग्राम संगठनों को सेंसिटाइज करेंगे। जिला पंचायत राज पदाधिकारी पंचायत स्तरों पर स्वास्थ्य एवं स्वच्छता समिति की बैठकों में जेई-एईएस की रोकथाम हेतु ‘‘क्या करें, क्या न करें’’ का विस्तृत उल्लेख सुनिश्चित करेंगे। पीएचईडी स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता एवं प्रावधानों के अनुसार नियमित क्लोरीनेशन सुनिश्चित करेंगे। अपर जिला दण्डाधिकारी, आपूर्ति खाद्यान्न का नियमानुसार वितरण सुनिश्चित करेंगे। जिला परिवहन पदाधिकारी ग्राम परिवहन योजना के अर्न्तगत एम्बुलेंस चालकों की पंचायतवार सम्पर्क विवरणी सभी प्रखंड विकास 
पदाधिकारियों तथा प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों के साथ साझा करेंगे। 




जिलाधिकारी ने कहा कि पटना जिला में आशा कार्यकर्ताओं की संख्या 3,331 तथा आँगनबाड़ी सेविकाओं की संख्या 5,300 है। सिविल सर्जन प्रत्येक आशा कार्यकर्ता को ओआरएस का दस सैशे तथा पैरासिटामोल ओरल लिक्विड 125 एमजी/5 एमएल-60 एमएल बोतल के दो बोतल की आपूर्ति करेंगे। सिविल सर्जन प्रत्येक आँगनबाड़ी सेविका को ओआरएस का दस सैशे तथा पैरासिटामोल ओरल लिक्विड 125 एमजी/5 एमएल-60 एमएल बोतल के एक बोतल की आपूर्ति करेंगे। क्षेत्र भ्रमण के दौरान आँगनबाड़ी सेविकाएं तथा आशा कार्यकर्ता बच्चों में एईएस अथवा अन्य बीमारियों की रोकथाम एवं प्राथमिक उपचार में इन औषधियों का उपयोग करेंगी। 

जिलाधिकारी ने सिविल सर्जन, पटना को जेई-एईएस के चिकित्सकीय प्रबंधन हेतु सुदृढ़ व्यवस्था सुनिश्चित रखने का निदेश दिया। जिला अस्पताल में 10, अनुमंडलीय अस्पताल में 05 तथा पीएचसी/सीएचसी में 02 बेड सुरक्षित रखने, एसओपी के अनुसार चिन्हित औषधियों की उपलब्धता सुनिश्चित करने, चिकित्सकों का 24X7 रोस्टर ड्यूटी रखने, दर्पण प्लस ऐप के माध्यम से चिकित्सकों की उपस्थिति का अनुश्रवण करने, आईईसी सामग्रियों का वितरण करने, ग्राम परिवहन योजना के अन्तर्गत परिचालित एम्बुलेंसों का पंचायतों से टैगिंग तथा शहरी क्षेत्रों के झुग्गी-झोपड़ियों, अस्पताल परिसरों में टेक्निकल मालाथियॉन का फॉगिंग कराने हेतु नगर कार्यपालक पदाधिकारियों से समन्वय करने का निदेश दिया गया।

जिलाधिकारी ने सिविल सर्जन, पटना को हीट-रिलेटेड इल्नेस (एचआरआइ) की तैयारी से संबंधित हेल्थ एडवायजरी पब्लिक डोमेन में जारी करने का निदेश दिया। उन्होंने डेंगू/मलेरिया के प्रसार पर नियंत्रण हेतु आकस्मिक प्लान बनाने तथा इसका क्रियान्वयन करने का निदेश दिया। 

जिलाधिकारी ने सिविल सर्जन को निदेश दिया कि अस्पतालों में चिकित्सकों तथा पारा मेडिकल स्टाफ की उपस्थिति का अनुश्रवण करें। जिला-स्तर से समय-समय पर इन्स्पेक्शन ड्राइव चलाया जाएगा। उन्होंने सभी चिकित्सा पदाधिकारियों से संवेदनशीलता के साथ काम करने का आह्वान किया।

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