*जश्न-ए-बिहार के तहत सांस्कृतिक महोत्सव “कल्चरल कारवां” का हुआ शुभारंभ*
*“ रंग सारी गुलाबी चुनरिया ने, मोहे मारे नजरिया सांवरिया पर झूमे श्रोता*
*कार्यक्रम के पहले दिन पदम् भूषण पंडित साजन मिश्रा एवं पदम् श्री मालिनी अवस्थी ने दी प्रस्तुति*
आज कला, संस्कृति एवं युवा विभाग बिहार के द्वारा जश्न-ए-बिहार के तहत जश्न-ए-अदब संस्था के सहयोग से “कल्चरल कारवां” का आयोजन पटना के प्रेमचंद्र रंगशाला में किया गया । कार्यक्रम का उद्घाटन श्रीमती रूबी , निदेशक, सांस्कृतिक कार्य, जश्न-ए-अदब के संस्थापक कुंवर रंजीत चौहान एवं बिहार संगीत नाटक अकादमी के सचिव के द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया।
श्रीमती रूबी ने कहा कि दो दिनों का यह सांस्कृतिक महोत्सव अपने आप में अनूठा है जिसमें गीत, संगीत, नृत्य, वादन और गायन का आयोजन किया जा रहा है । इस सांस्कृतिक महोत्सव में देश के विभिन्न विधाओं के प्रसिद्ध कलाकार अपनी प्रस्तुति देंगे।
संस्थापक कुँवर रंजीत चौहान ने कार्यक्रम के बारे में बात करते हुए कहा, कल्चरल कारवाँ विरासत' देश भर के कई राज्यों में शानदार सफलता के बाद, हमें सांस्कृतिक रूप से समृद्ध तथा विरासत वाले शहर पटना पहुंचकर प्रसन्नता हो रही है। हम युवाओं को अधिक से अधिक जोड़ना चाहते हैं और उन्हें हमारी भारतीय कला, संस्कृति और साहित्य की जीवंतता दिखाना चाहते हैं तथा उन्हें सार्थक कला तक पहुंच प्रदान करना चाहते हैं।
पहले दिन कार्यक्रम की शुरुआत ग़ज़ल और गीतों की महफ़िल “ अभी तक रोते- रोते सो गया है” से हुई जो महान शायर 'मीर तकी मीर' को उनके जन्म के 300 वर्ष पूरे होने पर समर्पित है। जिसमें भारत के कुछ बेहतरीन और प्रसिद्ध शब्दकार जैसे - फरहत एहसास, आज़म शकीरी , रामायण धर द्विवेदी, कुँवर रंजीत चौहान, अनस फैजी और जावेद मुशीरी ने एक से एक बेहतरीन शेर और कविताएं प्रस्तुत की । आज़म शकरी ने “मैं ने इक शहर हमेशा के लिए छोड़ दिया, लेकिन उस शहर को आँखों में बसा लाया हूँ,” फरहत अहसास ने “इक रात वो गया था जहाँ बात रोक के, अब तक रुका हुआ हूँ वहीं रात रोक के, जावेद मुशीरी ने “पत्थर की सहबतों ने तो नाज़ुक बना दिया, फूलों पे जब चला तो मिरे पाऊँ छिल गए” कुंवर रंजीत चौहान ने” दरिया तलाशना कहीं सेहरा तलाशना, मुश्किल है ख़ुद के जैसी ही दुनिया तलाशना” जैसे नज्म प्रस्तुत किये
दिल्ली की विभा लाल और उनके समूह द्वारा 'रक्स' घुँघरू बोल उठे में कथक की गई जिसमे देवी दुर्गा के रूप की प्रस्तुति और या देवी सर्व भूतेशु पर मनमोहक प्रस्तुति दी गई ।
सुर संध्या में पदम् भूषण पंडित साजन मिश्रा एवं पंडित स्वरांश मिश्रा की प्रस्तुति हुई । इस दौरान राग मधुवंती में बिलंबिल एक ताल, मध्य तीन ताल और तराना की प्रस्तुति दी गई अंत में उन्होंने “गोबिंद राखो शरण अब तो जीवन हारे, नीर पीने गयो सिंधु के कारण” भजन से समापन किया । पहले दिन के कार्यक्रम का समापन सुर -यामिनी से हुआ जिसमें पदम् श्री मालिनी अवस्थी के द्वारा लोकगीतों की मधुर प्रस्तुति दी गई । उन्होंने अपनी प्रस्तुति ठुमरी से करते हुए “ रंग सारी गुलाबी चुनरिया ने, मोहे मारे नजरिया सांवरिया, बारहमासा, चैता “ चढ़ल चइत चित लागे हो रामा बाबा के भवनवा” , “बैरन रे कोलिया तोरी बोली न सुहाय” जैसे गीत प्रस्तुत किये । इस दौरान दर्शकों की फरमाइश पर “सैया मिले लड़कैया और “रेलिया बैरन पिया को लिए जाय रे” जैसे गीत प्रस्तुत किये.
कार्यक्रम के दूसरे दिन “किस्सा-ए-हीर” की संगीतमय मंचन किया जायेगा । पदम् श्री उस्ताद गुलफाम अहमद खान के द्वारा रवाब वाद्ययंत्र का वादन किया जायेगा । पंचायत वेब सीरीज सीरीज फेम अभिनेता फैसल मल्लिक परिचर्चा 'आज के दौर का सिनेमा ओटीटी की शक्ल में' में अपनी अंतर्दृष्टि साझा करेंगे। महफ़िल -ए - ग़ज़ल के दौरान मशहूर गज़ल गायक चंदन दास द्वारा ग़ज़ल गायन प्रस्तुत किया जायेगा । अंतिम प्रस्तुति भोपाल के राजीव सिंह एवं समूह द्वारा सूफी गायन होगी ।
कार्यक्रम में सभी दर्शकों के लिए प्रवेश निःशुल्क रहेगा। “जश्न-ए- बिहार” कला, संस्कृति एवं युवा विभाग की एक एक नयी पहल है जिसके माध्यम से गायन, वादन और साहित्य जैसी विधाओं को एक मंच पर लाने का प्रयास किया जा रहा है । साथ ही इसके अंतर्गत विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करवाएं जा रहे हैं ।
एडिटर इन चीफ ✍️
मंजर सुलेमान 7004538014
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