एड्स अभी भी लाइलाज, पर प्रभाव को कम किया जा सकता है: डा संतोष

एड्स अभी भी लाइलाज, पर प्रभाव को कम किया जा सकता है: डा संतोष


पटना। 

एचआईवी एड्स अभी भी वैज्ञानिकों के लिए अबूझ पहेली बना हुआ है। अभी तक इस वायरस का मुकम्मल इलाज संभव नहीं हो पाया है। ऐसे में सावधानी ही एक मात्र इलाज है। फोर्ड हॉस्पिटल, पटना के निदेशक डा संतोष कुमार के अनुसार यदि हम जीवन में सावधानी बरतें तो एचआईवी पॉजिटिव होने से पूरी तरह बच जाते हैं। समाज के निचले तबके तक एचआईवी को लेकर बेहद जागरूकता आई है। यह एक अच्छी बात है। लोग काफी सजग हो गए हैं। 

डा संतोष के अनुसार एचआईवी संक्रमण से बचने के लिए हमें असुरक्षित यौन संबंधों, संक्रमित सिरिंज और निडिल्स, संक्रमित मां का दूध नवजात शिशु को पिलाने, संक्रमित खून चढ़ाने आदि से परहेज करने की सलाह दी जाती है। डा संतोष के मुताबिक यह बीमारी हमेशा के लिए तो ठीक नहीं होता लेकिन इसे इलाज से कम किया जा सकता है। 


 ऐसे पहचाने एचआईवी पॉजिटिव संक्रमण को:

डा संतोष के अनुसार इस बात से हम सभी वाकिफ हैं कि एचआईवी एड्स एक बेहद खतरनाक बीमारी है। ह्यूमन इम्यूनोडिफिशिएंसी वायरस एक अवसरवादी क्रोनिक वायरल संक्रमण है जो इम्यून सिस्टम को प्रभावित और खत्म करता है और अन्य संक्रमणों को बढ़ावा देता है। अगर फाइनल स्टेज तक एचआईवी सक्रमण को रोका नहीं गया, तो ये एड्स का कारण बन जाता है, जिसमें गंभीर दर्द, बीमारी और आखिर में मौत हो जाती है। एचआईवी के संकेत या लक्षण हमेशा क्लीयर नहीं होते हैं। अधिकांश लोगों को फ्लू जैसे लक्षणों का अनुभव होता है। एचआईवी से संक्रमित होने के दो से चार हफ्ते में लक्षण नजर आ जाते हैं। ये लक्षण ज्यादातर वायरस के प्रति प्रतिरक्षात्मक प्रतिक्रिया होते हैं। एचआईवी एड्स के लक्षणों में मुख्य रूप से बुखार, ठंड लगना, फ्लू जैसी बीमारी, दाने, रात को पसीना, गले में खराश, थकान, मुंह के छाले, लिम्फ नोड सूजन, तेजी से वजन कम होना, खाना निगलने में परेशानी शामिल हैं। एचआईवी संक्रमण के परिणामस्वरूप निमोनिया या तपेदिक, लंबे समय तक दस्त, या खास तरह का कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।


फोर्ड हॉस्पिटल के ही सीनियर डाइटीशियन मीणा सेठ के मुताबिक एचआईवी पॉजिटिव होने की स्थिति में संतुलित आहार लेना चाहिए। पांच समूह के फूड होते हैं। सभी ग्रुप के खाने को भोजन में शामिल करना चाहिए। प्रोटीन के लिए मछली, मीट, सभी प्रकार के दाल, सोयाबीन, बेसन, सत्तू ले सकते हैं। लेकिन संतुलित ही लेना चाहिए। सौ ग्राम रोज ताजा मौसमी फल लिया जा सकता है। सभी प्रकार का अनाज ले सकते हैं। वसा के लिए जैतून के तेल और थोड़ा देशी घी ले सकते हैं। हरी पत्तेदार सब्जी लेनी चाहिए। पानी भी अच्छे मात्रा में लेनी चाहिए। 




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