बिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकार इस तथ्य से अवगत हैं कि उभलिंगी समुदाय समाज के सबसे कमजोर और हाशिए पर रहने वाले समूहों में से एक है।

बिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकार इस तथ्य से अवगत हैं कि उभलिंगी समुदाय समाज के सबसे कमजोर और हाशिए पर रहने वाले समूहों में से एक है।


बिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकार द्वारा उभयलिंगी व्यक्तियों का एकीकरण, पुनर्वास एवं न्याय तक पहुँच, योजना, 2023 ( सितारा 2023 ) का उद्घाटन माननीय न्यायमूर्ति श्री चकधारी शरण सिंह, न्यायाधीश, पटना उच्च न्यायालय, पटना-सह कार्यकारी अध्यक्ष, बिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकार, पटना के तत्वाधान आज दिनांक 11.11.2023 को पूर्वाहून मे राज्य प्राधिकार कार्यालय के सभागार में उभयलिंगीयों उपस्थिति में किया गया । इस योजना का उद्देश्य एवं विवरण विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 की प्रस्तावना है कि विधिक सेवा प्राधिकरणों का गठन किया जाए, निःशुल्क और सक्षम विधिक सेवा उपलब्ध करायी जाए एवं आर्थिक या अन्य निर्योग्यताओं के कारण कोई भी नागरिक न्याय पाने के अवसर से कोई वंचित न रह जाए और लोक अदालतों का गठन किया जाए ताकि विधि संगत न्याय समानता के आधार पर सुनिश्चित किया जाए । अधिकांश रूप से सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के आश्रित लाभार्थी व्यक्ति, सामाजिक एवं आर्थिक पिछड़ापन, शोषण, सामाजिक मूल्यों एवं सांस्कृतिक पद्धितियों, उभयलिंगी व्यक्तियों के साथ भेदभाव एवं पक्षपात इत्यादि के कारणवश इनका लाभ नहीं ले पाते हैं। इसी संदर्भ में विधिक सेवा प्राधिकरण की भूमिका अति सक्रिय होनी चाहिए की उभयलिंगी व्यक्तियों के साथ जो भेदभाव की रोकथाम हेतु परिकल्पना किये गये उपाय आश्रित लाभार्थियों तक पहुँचाया जाए। इसलिए यह योजना उभयलिंगी व्यक्तियों के साथ भेदभाव की रोकथाम एवं सामाजिक सुरक्षा उपायों की पहचान के लिए एक तंत्र, आश्रित लाभार्थियों द्वारा ऐसे उपायों तक पहुँच की सुविधा के लिए एक रूपरेखा और इन प्रक्रियाओं की प्रभावी समीक्षा के लिए एक माध्यम के रूप में विधिक सेवा प्राधिकरण कार्य करेगें । यह योजना इस आधार पर तैयार की गई है कि उभयलिंगी व्यक्तियों के साथ जो भेदभाव हो रहा है वह एक सामाजिक बुराई है। बहुआयामी चिंताओं में स्वस्थ ( मानसिक स्वास्थ सहित ) आवास, पोषण, रोजगार पेंशन, मृत्यु दर शिक्षा तक पहुँच, न्याय तक पहुँच, स्वच्छता, सब्सिडी और बुनियादी सेवाओं, सामाजिक बहिष्कार, भेदभाव आदि जैसे विषय शामिल हैं।

बिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकार इस तथ्य से अवगत हैं कि उभलिंगी समुदाय समाज के सबसे कमजोर और हाशिए पर रहने वाले समूहों में से एक है।


इसलिए, उभयलिंगी व्यक्ति ( अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 एवं उभयलिंगी व्यक्ति ( अधिकारों का संरक्षण) नियम, 2020 के उचित कार्यान्वयन की निगरानी करने और उभयलिंगी व्यक्तियों के समुचित कल्याण के लिए बिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकार द्वारा एक पहल की गई है। इस योजना के अंतर्गत बिहार के सभी जिला विधिक सेवा प्राधिकार एवं सभी हितधारक अपनी अपनी भुमिका और जिम्मेदारियों को समझ सकें और उसके अनुसार कार्य कर सकें।


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