राष्ट्रीय पुस्तक मेला का विधिवत शुभारंभपु स्तकों से बड़ा कोई जिगरी दोस्त नहीं हो सकता: भगवती प्रसाद द्विवेदी

राष्ट्रीय पुस्तक मेला का विधिवत शुभारंभपु स्तकों से बड़ा कोई जिगरी दोस्त नहीं हो सकता: भगवती प्रसाद द्विवेदी

    

पटना 25 नवम्बर । ‘पुस्तकों से बड़ा कोई जिगरी दोस्त नहीं हो सकता’ उक्त उद्गार आज यहाँ समय इंडिया, नई दिल्ली के      तत्वावधान में गांधी मैदान में आयोजित 17 दिवसीय राष्ट्रीय पुस्तक मेले का विधिवत शुभारंभ करते हुए मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार भगवती प्रसाद द्विवेदी ने व्यक्त किए । उन्होंने पुस्तक प्रेमियों एवं संस्कृति प्रेमियों को संबोधित करते हुए कहा कि मनुष्य के व्यक्तित्व निर्माण में पुस्तकों की भूमिका सदैव महत्वपूर्ण रही है और रहेगी क्योंकि पुस्तकें मनुष्य को मनुष्यता से जोड़ती हैं । इतना ही नहीं साहित्य पुस्तकों के माध्यम से अभिव्यक्त होता है और पुस्तकें पाठकों तक विचारों के पहुँचने का सशक्त माध्यम हैं । 

     श्री द्विवेदी ने मौजूदा दौर में सोशल मीडिया के पठन संस्कृति पर हो रहे आक्रमण का जिक्र करते हुए कहा कि सूचना माध्यमों के विस्फोट के बावजूद पुस्तकें हमेशा रहेंगी क्योंकि उनकी जगह कोई अन्य माध्यम नहीं ले सकता । 

    विशिष्ट अतिथि बिहार हिन्दी ग्रंथ अकादमी के और बिहार राष्ट्रभाषा परिषद के निदेशक सत्येन्द्र कुमार ने भी जीवन में पुस्तकों के महत्व को रेखांकित किया । उन्होंने कहा कि व्यक्ति के व्यक्तित्व विकास और जीवनधारा को नवीन दिशा देने में पुस्तकों की भूमिका सदैव महत्वपूर्ण रही है । 

    किरकारी (बाल भवन) की निदेशक ज्योति परिहार ने विचार बिन्दुओं को और आगे बढ़ाते हुए कहा कि किताबें समझ विकसित करती हैं । मौजूदा दौर में मोबाइल और सोशल मीडिया के अन्य माध्यमों का दबाव व्यक्ति के जीवन में बढ़ा है लेकिन मौबाइल किताबों का विकल्प नहीं बन सकता । ज्ञान की जो समझ किताबों से मिलती और विकसित होती है वह मोबाइल से सम्भव नहीं है । 

     मुख्य अतिथि एवं अन्य विशिष्ट अतिथियों का स्वागत समय इंडिया के प्रबन्ध न्यासी, लेखक एवं पत्रकार चन्द्र भूषण ने किया । उन्होंने अपने स्वागत भाषण में जहाँ संस्था के सफर पर प्रकाश डाला वहीं पुस्तकों की पठनीयता और उनके व्यवसायिक पहलू पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि जो कहते हैं कि आज के दौर में किताबें नहीं बिकतीं ऐसा नहीं है यह मेले ही इसका जवाब है । 17 दिवसीय आयोजनों में पुस्तक प्रेमियों का भारी संख्या में पुस्तक मेले के करीब आना इस बात का सबूत है कि किताबों की जगह अभी भी उनके दिल में है । श्री भूषण ने मेले में स्थानीय लेखकों का एक कोना स्टाल का जिक्र करते हुए कहा कि यहाँ लेखक अपनी पुस्तकों का प्रदर्शन के साथ पाठकों से संवाद भी कर सकेंगे । यह मेले का जीवंत कोना होगा ।  

    शुभारंभ समारोह का सफल संयोजन विजय चन्द्रा ने और धन्यवाद ज्ञापन श्रीकान्त व्यास ने किया । समारोह में डॉ. के.पी. सिन्हा, श्रीकान्त व्यास सहित नगर के अन्य वरिष्ठ साहित्यकार, संस्कृतिकर्मी । और पुस्तक प्रेमी उपस्थित थे ।

निशुल्क प्रवेश :– श्री भूषण ने बताया कि स्कूली एवं महाविद्यालयों के छात्र–छात्राओं को पुस्तक मेला में पुस्तकों के करीब लाने के लिए संस्था की ओर से विशेष सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है । मेला अवधि के दौरान सोमवार से शुक्रवार तक छात्र–छात्राएँ प्रात: 11 बजे से 2 बजे के बीच अपना आई कार्ड दिखा कर फ्री प्रवेश पा सकते हैं । शुभारंभ के साथ ही 100 से अधिक स्टॉल्स पर किताबें सज चुकी हैं । इसी के साथ किताबों का महाकुंभ पाठकों को अपने करीब आने के लिए प्रेरित कर रहा है । यह पुस्तक मेला 10 दिसम्बर तक जारी रहेगा । पुस्तक प्रेमी प्रात: 11 बजे से रात्रि 9:00 बजे तक मेला परिसर में आकर अपनी पसन्द की पुस्तकें चुन और खरीद सकेंगे । साथ ही साहित्यिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आनन्द उठा सकेंगे । 


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