मां बगलामुखी को पीताम्बर या ब्रह्मास्त्र रुपणी भी कहा जाता है

मां बगलामुखी को पीताम्बर या ब्रह्मास्त्र रुपणी भी कहा जाता है


जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना, 24 सितम्बर ::


विभिन्न पंचांगों के अनुसार वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को सौराष्ट्र के हरिद्रा  सरोवर के तट पर “मां बगलामुखी” की अवतरण हुई थी। बगलामुखी को “माता पीताम्बरा” भी   कहा जाता है।  मां बगलामुखी को पीताम्बर या ब्रह्मास्त्र रुपणी भी कहा जाता है। दस महाविद्याओं में आठवीं महाविद्या “मां बगलामुखी” को माता ब्रह्मास्त्र एवं  माता पीताम्बरा कहा गया है। बगलामुखी महाविद्या भगवान विष्णु के तेज से युक्त होने के कारण वैष्णवी है।


“मां बगलामुखी” का तीन नेत्र और चार हाथ, सिर पर सोने का मुकुट, स्वर्ण आभूषणों से सुसज्जित, शरीर पतला और सुंदर,  रंग गोरा और स्वर्ण कांति, सुमुखी हैं। बगलामुखी का संबंध महाविद्या, देवी, निवास स्थान मरघट, अस्त्र तलवार, जीवन साथी बगलामुख, स्वरुप नवयौवना और पीले रंग की सा‌‌डी धारण करने वाली मां बगलामुखी सोने के सिंहासन पर विराजती हैं। मां बगलामुखी का प्रिय सोना, पिला वस्त्र, पिले फूल, हल्दी, पिला चावल है । 


देवी भागवत पुराण एवं सनातन धर्म ग्रंथों में शाक्त सम्प्रदाय के विभिन्न ग्रंथों में माता  बगलामुखी का महत्वपूर्ण उल्लेख किया गया है। ग्रंथों  के अनुसार, मां बगलामुखी की पूजा करने पर शत्रुओं पर पूरा नियंत्रण, व्यक्ति को क्रोध, मन के आवेग, जीभ और खाने की आदतों पर नियंत्रण की भावना प्रदान करती हैं। 


स्वतंत्र तंत्र एवं ग्रंथों के अनुसार, “मां बगलामुखी” के प्रादुर्भाव, सतयुग में जगत को नष्ट करने वाला, भयंकर तूफान आने पर, जिससे प्राणियों के जीवन पर संकट मंडराने लगा, पृथ्वी का जल से विनाश होने, जीव-जंतु और सृष्टि का विनाश होने लगा, इसे देख कर भगवान विष्णु चिंतित हो गये। ऐसी स्थिति में देवताओं ने भगवान शिव से मदद मांगी। भगवान शिव ने देवताओं को सुझाव दिया कि देवी शक्ति तूफान को शांत कर सकती हैं। इस सुझाव के बाद भगवान विष्णु ने पृथ्वी को बचाने के लिए सौराष्ट्र देश में हरिद्रा सरोवर के समीप जाकर भगवती को प्रसन्न करने के लिये तप करने लगे। श्रीविद्या ने हरिद्रा सरोवर से वगलामुखी रूप में प्रकट होकर उन्हें दर्शन दिया तथा विध्वंसकारी तूफान का तुरंत स्तम्भन कर दिया। इस प्रकार मंगलयुक्त चतुर्दशी की अर्धरात्रि में इसका प्रादुर्भाव हुआ था।

 

सुख समृद्धि पाने, कष्टों, विपत्तियों, बुराइयों से राहत पाने के लिए मां बगलामुखी की उपासना और पूजा की जाती है। सभी कार्यों में सफलता मिले एवं घर में सुख-समृद्धि एवं शत्रु नाश के लिए मां बगलामुखी की पूजा श्रेष्ठ मानी जाती है। जो मां बगलामुखी की पूजा करते हैं वे खुद को काले जादू और अन्य गैर-घटनाओं से बचा सकते हैं। कानूनी समस्या से मुक्त होने के लिए भी मां बगलामुखी की उपासना की जाती है।


मां बगलामुखी के प्रसिद्ध मंदिरों में मध्यप्रदेश के नलखेड़ा जिला के शाजापुर स्थित लखुंदर नदी के किनारे द्वापर युगीन राजा युधिष्ठिर द्वारा स्थापित माता बगलामुखी मूर्ति एवं मंदिर, दतिया जिले के दतिया, छस्तीसगढ़ के राज नांद गांव जिला स्थित वनखंडी, हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिला स्थित वनखंडी , बंगाल के कोलकाता, दुर्गापुर, बेलदंग, बिहार के गया, मुजफ्फरपुर,  गोनपुरा, झारखंड के रांची, मेरहिया, उत्तरप्रदेश के मंडी एवं काशी शामिल है।

                

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