अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति, बिहार
9 अगस्त 2023
*संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर बिहार के लाखों किसानों और खेतमजदूरों ने केंद्र सरकार की कॉर्पोरेट समर्थक नीतियों के खिलाफ “कॉर्पोरेट लुटेरों, भारत छोड़ो, खेती छोड़ो” की मांग के साथ जिलों में विरोध प्रदर्शन आयोजित किया*
*पटना में संयुक्त किसान मोर्चा की एक पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने पटना उपसमाहर्ता को राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन सौंपा*
इस अवसर पर अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय महासचिव कॉमरेड राजा राम सिंह ने बिहार के सभी जिलों में कार्यक्रम को लागू करने के लिए बिहार के किसान नेताओं और किसानो को बधाई दी।
आज संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर बिहार के लाखों किसानों और खेतमजदूरों ने ब्रिटिश साम्राज्यवाद के खिलाफ भारत छोड़ो आंदोलन के ऐतिहासिक आह्वान को चिह्नित करते हुए केंद्र सरकार की कॉर्पोरेट समर्थक नीतियों के खिलाफ “कॉर्पोरेट लुटेरों, भारत छोड़ो, खेती छोड़ो” की मांग के साथ जिलों में विरोध प्रदर्शन आयोजित किया और राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा।
नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार एकाधिकारवादी मित्र पूँजीपतियों के साथ मिलकर राष्ट्रीय संसाधनों — जल, जंगल और जमीन — को कॉर्पोरेट और बहुराष्ट्रीय कंपनियों को सौपने की साजिश रच रही है। केन्द्र सरकार की नीतियों से देश के किसान, जो भारत की जनसंख्या का लगभग 52% हैं, बर्बाद हो रहे हैं। उन्हें अपने जीवन और आजीविका से उजारा जा रहा है और उनकी जमीन से विस्थापित किया जा रहा है। उन्हें प्रवासी मजदूर बनने और गुलामों जैसी परिस्थितियों में रहने और काम करने के लिए मजबूर किया जा रहा है। केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारों की नवउदारवादी नीतियों और असंवेदनशील प्रशासन के कारण भारत में लाखों किसान परिवार गंभीर रूप से कंगाली और बदहाली के शिकार हो रहे हैं। किसान कर्ज के बोझ तले दब रहे हैं और आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे हैं। दूसरी तरफ आम नागरिक महंगाई की मार झेल रहे हैं। तेल और गैस की कीमतों में तेजी से इजाफा हुआ है। खाद्य सुरक्षा खतरे में है।
इन मुद्दों को लेकर आज “भारत छोड़ो दिवस” के अवसर पर देश के सभी जिलों में कृषक, श्रमिक और खेतमजदूर संगठनों ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन आयोजित किया। बिहार के 38 जिलों में अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के बैनर तले जिला मुख्यालयों पर विरोध प्रदर्शन आयोजित किया गया, और जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा गया। पटना में संयुक्त किसान मोर्चा की एक पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल, जिसमें उमेश सिंह, सोने लाल प्रसाद, नंद किशोर सिंह, ऋषि आनंद, उदयन राय शामिल थे, ने पटना उपसमाहर्ता को राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन सौंपा।
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने 24 जून को पटना के रविन्द्र भवन में “एमएसपी-खाद्य सुरक्षा-कर्ज मुक्ति राज्यस्तरीय किसान सम्मेलन” आयोजित किया था। इस सम्मेलन में 24-सूत्रीय किसान मांगपत्र पेश किया गया था जिसमें एमएसपी की कानूनी गारंटी, संपूर्ण कर्जमुक्ति, खाद्य सुरक्षा की गारंटी, किसानों और खेत मजदूरों के लिए किसान पेंशन, फसल नुकसान की भरपाई के लिए सार्वभौमिक, व्यापक और प्रभावी फसल बीमा, बिहार में एपीएमसी मंडी की पुनः बहाली, बंद पड़े सभी चीनी मिलों को पुनः चालू करना, बटाईदार किसानों के लिए सरकारी योजनाओं का लाभ, वन (संरक्षण) संशोधन विधेयक 2023 की वापसी, दुग्ध उत्पादकों को ₹10 प्रति लीटर सरकारी अनुदान, बाढ़, सुखाड़ एवं जल-जमाव की समस्या का स्थायी समाधान, अधूरे और जर्जर सिंचाई परियोजनाओं का शीघ्रातिशीघ्र जीर्णोद्धार तथा आधुनिकीकरण, जबरन कृषि योग्य भूमि के अधिग्रहण पर रोक, मनरेगा मजदूरों को 200 दिन काम और ₹ 600 दैनिक मजदूरी की गारंटी, समेत किसानों, खेतमजदूरों, श्रमिकों और आम नागरिकों के मुद्दे शामिल हैं। इन मांगों को लेकर जिलों में किसान सम्मेलन आयोजित की जाएगी, और 26 नवंबर से 28 नवंबर 2023 तक एक तीन दिवसीय महाधरना आयोजित किया जाएगा।
*जारीकर्ता*
उमेश सिंह, विनोद कुमार, नंद किशोर सिंह, ऋषि आनंद, मणिकांत पाठक, रामबृक्ष राम, रामायण सिंह, वी० वी० सिंह, विजय चौधरी, बलदेव झा, उदयन राय, शंभू नाथ मेहता
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