पारस हॉस्पिटल के मेडिकल टीम की त्वरित कार्रवाई से 24 CISF जवानों की बची जान
पारस HMRI हॉस्पिटल के डॉक्टरों की टीम ने 24 सीआईएसएफ (CISF) जवानों की जान बचा ली। वह सीवान से पटना की ओर एक बस में आ रहे थे, जहां एक ट्रक की जोरदार टक्कर ने सभी को घायल कर दिया। बुधवार सुबह 6:28 बजे सभी अस्पताल पहुंचे, जहां तत्काल एक आपात स्थिति में ‘कोड येलो’ अलर्ट जारी किया गया। अलर्ट के बाद अस्पताल के इमरजेंसी हेड *डॉ. चंदन किशोर* के नेतृत्व में मेडिकल टीम ने तत्परता से रेस्पॉन्स करते हुए मरीज को स्थिर किया। मरीजों को तुरंत एंबुलेंस और सपोर्टिव मेडिकल टीम की मदद से सीबीपी (CBP) प्रक्रिया के तहत शिफ्ट किया गया।
पारस हॉस्पिटल के *मेडिकल सुप्रिटेंडेंट डॉ. मनीष कुमार* ने बताया कि सभी घायल जवान अब ठीक और सुरक्षित हैं। 1 को न्यूरोसर्जरी, 3 को आर्थो डिपार्टमेंट में शिफ्ट किया गया है, जबकि बाकी अभी जेनरल सर्जरी विभाग में ही हैं। उन्होंने बताया कि 20 मरीजों की निगरानी टीम के साथ लगातार की जा रही है और सभी की स्थिति अब सामान्य है।
पारस हॉस्पिटल के *जोनल डाइरेक्टर अनिल कुमार* ने बताया कि “हमारे अस्पताल में ‘कोड येलो’ जैसी आपात परिस्थितियों से निपटने के लिए एक विशेष रैपिड रेस्पॉन्स सिस्टम है। सूचना मिलते ही पूरी मेडिकल टीम मात्र डेढ़ घंटे के भीतर अलर्ट मोड में आकर मरीज की स्थिति पर नियंत्रण पा ली। यह पारस HMRI की त्वरित प्रतिक्रिया प्रणाली की दक्षता को दर्शाता है।”
उन्होंने आगे कहा कि पारस अस्पताल में हर कोड (रेड, ब्लू, येलो आदि) के लिए पूर्व-निर्धारित प्रोटोकॉल है, जिससे किसी भी आकस्मिक स्थिति में मरीज को तुरंत सर्वोत्तम चिकित्सीय सहायता मिल सके।
*पारस एचएमआरआई के बारे में*
पारस एचएमआरआई पटना ने 2013 में परिचालन शुरू किया। यह बिहार का पहला कॉर्पोरेट अस्पताल है जिसके पास परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड द्वारा लाइसेंस प्राप्त कैंसर उपचार केंद्र है। जून 2024 में एक्सेस किए गए एनएबीएच पोर्टल के अनुसार, पारस एचएमआरआई अस्पताल, पटना 2016 में एनएबीएच मान्यता प्राप्त करने वाला बिहार का पहला अस्पताल था। इस अस्पताल की बेड क्षमता 400 से ज्यादा की है, जिसमें 80 आईसीयू बेड शामिल हैं साथ ही 2 LINAC मशीन एंव PET-CT की सुविधा भी उपलब्ध है।
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