डिजिटल सदस्यता अभियान से कायस्थ समाज को नया आयाम दे रही है जीकेसी

डिजिटल सदस्यता अभियान से कायस्थ समाज को नया आयाम दे रही है जीकेसी

जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना, 17 सितंबर ::

समाज के उत्थान और एकता के लिए संगठन ही सबसे महत्वपूर्ण आधार होता है। विशेषकर तब जब किसी समुदाय के सामने अपनी पहचान, परंपरा और सहभागिता को मजबूत करने की चुनौती हो। इसी दृष्टिकोण के साथ ग्लोबल कायस्थ कांफ्रेंस (जीकेसी) ने एक विशेष पहल करते हुए सदस्यता अभियान की शुरुआत की है। यह अभियान आधुनिक तकनीक और डिजिटल फॉरमेट से जुड़ा है, जिसमें समुदाय के प्रत्येक व्यक्ति को न्यूनतम शुल्क पर संस्था से जुड़ने का अवसर दिया जा रहा है। हाल ही में इस अभियान को और गति देने के लिए संस्था ने देशभर के प्रदेश अध्यक्षों, महासचिवों और प्रमुख पदाधिकारियों की बैठक आयोजित की। इस बैठक से न केवल अभियान को नई दिशा मिली, बल्कि संगठनात्मक मजबूती और महिला-उद्योग को प्रोत्साहन देने जैसे मुद्दों पर भी विशेष चर्चा हुई।

जीकेसी का यह सदस्यता अभियान कई मायनों में अनोखा है। सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसे पूरी तरह डिजिटलाइज्ड फॉरमेट में संचालित किया जा रहा है। सदस्य बनने के लिए मात्र 11 रुपये शुल्क निर्धारित किया गया है। इस प्रक्रिया में शामिल होने पर व्यक्ति को संस्था का ऑटो-जेनरेटेड पहचान पत्र एक विशेष सदस्यता संख्या के साथ प्राप्त होता है।

इस पहल का उद्देश्य है हर वर्ग और हर क्षेत्र के कायस्थ समाज के लोगों को जोड़ना। कम लागत पर अधिक से अधिक लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करना। तकनीक के माध्यम से पारदर्शिता और संगठनात्मक दक्षता बढ़ाना। समाज के युवाओं, महिलाओं और नए सदस्यों को सहज रूप से जोड़े रखना।

जीकेसी ने इस अभियान को और गति देने के लिए देशभर के प्रदेश अध्यक्षों, महासचिवों और प्रकोष्ठ प्रमुखों की बैठक आयोजित की। बैठक का संचालन नवीन कुमार ने किया।

बैठक में मुख्य रूप से सदस्यता अभियान की प्रगति और आगामी रणनीति। समाज के निष्क्रिय सदस्यों को पुनः सक्रिय करने के उपाय। महिलाओं को लघु एवं कुटीर उद्योग से जोड़ने की पहल। नवरात्र जैसे त्योहारों के दौरान ऑफलाइन और ऑनलाइन कार्यक्रमों का आयोजन कर अभियान को तेज करना, मुद्दों पर चर्चा हुई।

जीकेसी की प्रबंध न्यासी रागिनी रंजन ने अपने संबोधन में विशेष रूप से इस बात पर जोर दिया कि आने वाले नवरात्र का उपयोग सदस्यता बढ़ाने के अवसर के रूप में किया जाए। उन्होंने कहा कि चाहे ऑनलाइन कार्यक्रम हों या ऑफलाइन, ऐसे आयोजनों से संगठन की पहचान और मजबूती दोनों बढ़ेगी।
बैठक का एक महत्वपूर्ण पहलू था महिलाओं को लघु एवं कुटीर उद्योगों से जोड़ने की चर्चा। संस्था का मानना है कि यदि महिलाएं आर्थिक रूप से सशक्त होगी, तो समाज की मजबूती स्वतः सुनिश्चित होगी। इस दिशा में जीकेसी लगातार प्रयासरत है कि कायस्थ समाज की महिलाएं छोटे-छोटे उद्योगों, हस्तशिल्प, स्वरोजगार योजनाओं और उद्यमिता से जुड़ सके।

बैठक में देशभर से विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और सदस्यता अभियान को सफल बनाने के सुझाव साझा किए। इनमें प्रमुख थे पवन सक्सेना, नितेश शरण (कर्नाटक), अनुज माथुर, नूतन सिन्हा (असम), जितेंद्र श्रीवास्तव (उत्तर प्रदेश), डॉ. आदित्य नाग (राजस्थान), दीपेश भटनागर, ब्रजभूषण श्रीवास्तव (छत्तीसगढ़), दीपक अभिषेक (बिहार), शुभ्रांशु श्रीवास्तव (उत्तर प्रदेश), शैलेन्द्र श्रीवास्तव (दिल्ली), अशोक (पश्चिम बंगाल), मुकेश महान, धनंजय प्रसाद, अनिल कुमार दास (बिहार)। इसके अलावा सपना वर्मा, राजीव कांत, अश्विनी सक्सेना और अन्य सक्रिय सदस्य भी शामिल हुए। सभी ने इस अभियान को गति देने के लिए ठोस कदम उठाने की अपील की।

बैठक के अंत में सदस्यता अभियान प्रभारी निलेश रंजन ने अब तक की प्रगति और उपलब्धियों की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कई राज्यों में अभियान को अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है। हजारों सदस्य संस्था से डिजिटल पहचान पत्र के माध्यम से जुड़ चुके हैं। इस अभियान से समाज में नई जागरूकता और एकता का वातावरण बना है। ग्रामीण और शहरी दोनों स्तरों पर लोग इससे आकर्षित हो रहे हैं।
ग्लोबल उपाध्यक्ष सह बिहार अध्यक्ष दीपक अभिषेक ने बैठक मे कहा कि संस्था का मानना है कि धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन समाज को जोड़ने का सबसे सशक्त माध्यम हैं। नवरात्र के दौरान देशभर में कायस्थ समाज बड़ी संख्या में एकत्रित होता है। इसी अवसर का लाभ उठाकर संगठन सदस्यता अभियान को और व्यापक स्तर पर फैलाने का प्रयास करेगा। ऑनलाइन वेबिनार, सांस्कृतिक संध्या, आराधना कार्यक्रम, महिला उद्यमिता वर्कशॉप आदि के माध्यम से कायस्थ समाज की अधिकतम भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी।

श्री दीपक अभिषेक ने बैठक में यह भी चर्चा किया कि समाज में कई लोग ऐसे हैं जो सदस्य बने तो हैं, लेकिन संगठनात्मक गतिविधियों में सक्रिय नहीं रहते हैं। संस्था ने अपील की है कि सक्रिय सदस्य अपने आसपास के निष्क्रिय सदस्यों को जागरूक करें और उन्हें भी मुख्यधारा में लाएं। यह कदम संगठन की एकता और प्रभावशीलता दोनों को बढ़ाएगा।

जीकेसी ने स्पष्ट किया है कि सदस्यता अभियान केवल नामांकन तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य समाज को एक मजबूत नेटवर्क से जोड़ना है। इसके लिए आने वाले समय में राज्य स्तर पर कार्यशालाओं और कैंपों का आयोजन किया जाएगा। युवाओं के लिए नेतृत्व प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू होंगे। महिलाओं के लिए उद्यमिता सहयोग मंच बनाया जाएगा। डिजिटल प्लेटफॉर्म पर नियमित संवाद और अपडेट दिए जाएंगे। संगठन से जुड़े लोगों को सामाजिक और सांस्कृतिक अवसरों पर सम्मानित किया जाएगा।
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