अद्भुत बिल्व वृक्ष - जहां एक ही वृक्ष पर तीन से 21 दल वाले बिल्व पत्र मिलते हैं

अद्भुत बिल्व वृक्ष - जहां एक ही वृक्ष पर तीन से 21 दल वाले बिल्व पत्र मिलते हैं

जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना, 30 जुलाई ::

भारतीय संस्कृति में वृक्षों का स्थान केवल पर्यावरणीय दृष्टि से ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक और धार्मिक भावनाओं में भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। विशेष रूप से बिल्ववृक्ष (बेलवृक्ष) को भगवान शिव का प्रतीक माना गया है। इसकी पत्तियां, जिन्हें बेलपत्र कहा जाता है, भगवान शिव को अर्पित किया जाता है और यह मान्यता है कि इससे वे अति प्रसन्न होते हैं। लेकिन मध्यप्रदेश के मंडला जिला में स्थित एक बिल्ववृक्ष न केवल अपनी धार्मिक महत्ता के कारण, बल्कि अपनी अनोखी संरचना के कारण भी देशभर में आकर्षण का केंद्र बन गया है। यह वृक्ष अपने आप में एक चमत्कार है, क्योंकि इसमें एक ही डंठल पर तीन नहीं, बल्कि 21 तक पत्ते होते हैं, जो अत्यंत दुर्लभ है।

मंडला जिला प्राकृतिक सुंदरता, जैविक विविधता और जनजातीय परंपराओं के लिए जाना जाता है। यहीं से लगभग 7 किलोमीटर दूर ग्राम हिरदेनगर में स्थित है “शिव वाटिका”, जहाँ यह लगभग 150 वर्ष पुराना बिल्ववृक्ष स्थित है। इस पवित्र वाटिका की स्थापना मिश्रा परिवार द्वारा किया गया था, जिनके पूर्वज वर्ष 1862 में नेपाल से इस दुर्लभ बिल्ववृक्ष का पौधा लेकर आए थे। वहीं, पास ही एक शिव मंदिर की स्थापना भी की गई, जिससे यह स्थान शिवभक्तों के लिए एक तीर्थ बन गया।

आमतौर पर बिल्व पत्र तीन दलों वाला होता है, जिन्हें त्रिदल कहा जाता है, जो ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक होता है। लेकिन हिरदेनगर के इस वृक्ष की खासियत यह है कि इसमें एक ही डंठल में तीन से लेकर 21 पत्तियां तक पाई जाती हैं। इस वृक्ष में 5, 7, 9, 11, 15, 17, और 21 दल वाले बिल्व पत्र मिलते हैं। विशेष धार्मिक अनुष्ठानों के लिए 17 और 21 दल वाले पत्रों की अत्यधिक मांग होती है। 

स्थानीय पंडित विजयानंद शास्त्री के अनुसार, यह वृक्ष सिर्फ एक पेड़ नहीं है, बल्कि एक जीवंत तीर्थस्थल है। शास्त्री जी कहते हैं "बिल्ववृक्ष शिव का स्वरूप है, और इसका प्रत्येक पत्ता लक्ष्मी की कृपा का प्रतीक।" ऐसी मान्यता है कि इस वृक्ष के विशेष बेलपत्र से भगवान शिव अति प्रसन्न होते है, धन, आरोग्य और सुख की प्राप्ति होती है, दुर्भाग्य और रोग दूर होता है। 

अखिलेश मिश्रा, जो इस स्थान के वर्तमान उत्तराधिकारी हैं, बताते हैं कि इस वृक्ष से बेलपत्र तोड़ने के भी नियम हैं। विशेषकर तीन से अधिक दल वाले पत्र अर्पित करने के लिए एक नारियल का आह्वान चढ़ाया जाता है। उसके बाद ही वृक्ष से पत्र तोड़ना शास्त्रसम्मत होता है। लेकिन अब कई लोग इस परंपरा की अनदेखी कर रहे हैं। बिना विधि के बेलपत्र तोड़ने से वृक्ष की ऊर्जा कम होती है और पत्तियां घटने लगी हैं।

इस वृक्ष की अनूठी संरचना और धार्मिक महत्ता को जानकर जहाँ लोग इसे देखने आते हैं, वहीं इसकी असावधानीपूर्वक पत्तियों की तोड़ाई के कारण यह संकट में भी है। धार्मिक मान्यताओं की उपेक्षा, पत्तियों की अंधाधुंध तोड़ाई, जलवायु परिवर्तन से इसका स्वाभाविक जीवनचक्र बाधित।

हर सावन मास में इस शिव वाटिका में शिवभक्तों की भीड़ उमड़ती है। कई लोग मनोकामना पूर्ति के लिए बेलपत्र अर्पित करते हैं। कई शोधकर्ता और पर्यटक इसे वनस्पति विज्ञान का अजूबा मानकर आते हैं। शिवरात्रि और महाशिवरात्रि के पर्व पर यहां विशेष रुद्राभिषेक होता है।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से, एक डंठल में इतने अधिक पत्तियों का होना मॉर्फोलॉजिकल म्यूटेशन (आकृति में जैविक परिवर्तन) का संकेत हो सकता है। संभावित वैज्ञानिक कारण हो सकता है जेनेटिक म्यूटेशन (DNA में बदलाव), पर्यावरणीय कारक जैसे मिट्टी, जलवायु, सूर्यप्रकाश, वृक्ष की आयु और ऐतिहासिक उत्पत्ति।
परंतु इसका धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्य इतना ऊंचा है कि वैज्ञानिक शोध भी इसे शिव की कृपा मानने से पीछे नहीं हटते।

आयुर्वेद में बेलपत्र को एक महान औषधि माना गया है। इसके सेवन और लेप से पाचन संबंधी रोग ठीक होता है,  श्वास, खांसी, मधुमेह जैसी बीमारियों में लाभ होता है, बेल की छाल और पत्तियां एंटीबैक्टीरियल और एंटीऑक्सीडेंट तत्वों से भरपूर होती हैं।

स्कंद पुराण, शिव पुराण और पद्म पुराण में बेलपत्र की महिमा का उल्लेख मिलता है।

"त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रयायुधम्।
 त्रिजन्म पापसंहारं बेलपत्रं शिवार्पणम्॥"

इस श्लोक का अर्थ है कि तीन पत्तियों वाला बेलपत्र शिव को अत्यंत प्रिय है और यह तीन जन्मों के पापों को नष्ट करता है।

ऐसे दुर्लभ वृक्षों का संरक्षण न केवल धार्मिक आवश्यकता है, बल्कि हमारी सांस्कृतिक विरासत की रक्षा भी है। 
                     -------------

0 Response to "अद्भुत बिल्व वृक्ष - जहां एक ही वृक्ष पर तीन से 21 दल वाले बिल्व पत्र मिलते हैं"

एक टिप्पणी भेजें

Ads on article

Advertise in articles 1

advertising articles 2

Advertise under the article