पारंपरिक हस्तशिल्पों में निःशुल्क प्रशिक्षण का सुनहरा अवसर
बिहार सरकार, उद्योग विभाग के अधीन संचालित उपेन्द्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान, पटना द्वारा जुलाई से दिसंबर 2025 सत्र के लिए विभिन्न परंपरागत हस्तशिल्पों में प्रशिक्षण हेतु राज्य के इच्छुक युवक एवं युवतियों से आवेदन आमंत्रित किए जा रहे हैं। आवेदन की अंतिम तिथि 20 जून, 2025 है |
यह प्रशिक्षण दो चरणों में संचालित किया जाएगा:
1. बेसिक प्रशिक्षण (जुलाई–सितंबर 2025)
2. उच्च प्रशिक्षण (अक्टूबर–दिसंबर 2025)
यह प्रशिक्षण पूर्णतः निःशुल्क होगा, जिसमें प्रशिक्षण सामग्री भी संस्थान द्वारा प्रदान की जाएगी।
प्रशिक्षण की प्रमुख विशेषताएँ:
1. निःशुल्क प्रशिक्षण एवं सामग्री
2. ₹1000/- प्रतिमाह छात्रवृत्ति
पटना नगर निगम क्षेत्र से बाहर की महिला प्रशिक्षणार्थियों को छात्रावास उपलब्ध होने की स्थिति में ₹1500/- प्रतिमाह भोजन व अल्पाहार भत्ता
बाहरी पुरुष प्रशिक्षणार्थियों को आवास एवं भोजन के लिए ₹2000/- प्रतिमाह (उपस्थिति आधारित)
पुरुष प्रशिक्षणार्थियों हेतु छात्रावास की सुविधा उपलब्ध नहीं
पात्रता मानदंड:
1. न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता: सप्तम कक्षा उत्तीर्ण
2. आयु सीमा: 22 से 45 वर्ष (01.07.2025 को आधार तिथि मानकर)
3. पूर्व प्रशिक्षित अभ्यर्थी आवेदन कर सकते हैं, लेकिन उन्हें किसी प्रकार की आर्थिक सहायता नहीं दी जाएगी
4. उच्च प्रशिक्षण में नामांकन हेतु बेसिक प्रशिक्षण में 75% उपस्थिति अनिवार्य
दस्तावेज सत्यापन एवं प्रायोगिक परीक्षा:
तिथि: 23 जून, 2025
समय: पूर्वाह्न 11:00 बजे
स्थान: उपेन्द्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान, पाटलिपुत्रा, पटना
प्रशिक्षण शाखाएँ एवं सीटें:
मधुबनी (मिथिला) पेंटिंग - 50
टिकुली पेंटिंग - 25
मंजुषा पेंटिंग - 25
पेपरमेशी शिल्प - 20
मृणमय (टेराकोटा) - 20
एप्लिक/कशीदाकारी - 20
काष्ठ लक्षण / खिलौना निर्माण - 20
रंगाई-छपाई (ब्लॉक प्रिंटिंग) - 20
चर्म शिल्प - 20
सुतबुनाई - 20
पाषाण (स्टोन) शिल्प - 20
मेटल क्राफ्ट - 20
सिक्की कला - 20
सिरेमिक शाखा - 20
वेणुशिल्प - 20
सुजनी शाखा - 20
गुड़िया निर्माण - 20
जूट शिल्प - 20
कुल सीटें: 400
आवेदन प्रक्रिया:
ऑनलाइन आवेदन संस्थान की वेबसाइट www.umsas.org.in/training-program/ के माध्यम से किया जा सकता है
अंतिम तिथि: 20 जून, 2025
बिहार के निवासी होना अनिवार्य – प्रमाण-पत्र आवश्यक
यह प्रशिक्षण कार्यक्रम न केवल रोजगारपरक है, बल्कि बिहार की समृद्ध हस्तशिल्प परंपराओं को संरक्षित एवं सशक्त बनाने की दिशा में एक ठोस कदम है। इच्छुक युवक-युवतियाँ समय रहते आवेदन कर इस स्वर्णिम अवसर का लाभ उठाएं।
— उपेन्द्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान, पटना
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