सैमसंग सॉल्व फॉर टुमॉरो ने बिहार एवं झारखंड में इनोवेशन को दिया बढ़ावा

सैमसंग सॉल्व फॉर टुमॉरो ने बिहार एवं झारखंड में इनोवेशन को दिया बढ़ावा

पटना, 7 जून 2025: सैमसंग सॉल्व फॉर टुमॉरो सीजन 4 ने पूरे में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है, और इसका संदेश एकदम साफ है - इनोवेशन सिर्फ बड़े शहरों तक सीमित नहीं है; यह हर उस युवा का है जो किसी समस्या को हल करना चाहता है। उत्तर, दक्षिण और उत्तर-पूर्व के स्कूलों और कॉलेजों में उत्साह जगाने के बाद, अब यह कार्यक्रम बिहार और झारखंड पहुंच गया है, जहां सैकड़ों छात्र मिलकर नई और उपयोगी चीजें बना रहे हैं।

इस नए अध्याय के केंद्र में रांची के तीन प्रतिष्ठित संस्थान थे - गोस्नर कॉलेज, सेंट जेवियर्स कॉलेज और मारवाड़ी कॉलेज, जहां डिजाइन थिंकिंग ओपन हाउस ने कक्षाओं को विचार प्रयोगशालाओं में बदल दिया। इस बीच, आईआईटी पटना के स्टूडेंट्स ने वर्चुअली हिस्सा लिया, उन्होंने यह साबित कर दिया कि भारत के भविष्य को आकार देने में भौगोलिक सीमा अब कोई बाधा नहीं है।

मारवाड़ी कॉलेज के स्टूडेंट सूरज के लिए यह वर्कशॉप एक आंखें खोलने वाला अनुभव था। उसने कहा, यह मेरे लिए पहला मौका था जब मैंने देखा कि सही तरीके से सोचकर आसपास की समस्याओं को असली प्रोजेक्ट में बदला जा सकता है। मैं हमेशा से स्थानीय समस्याओं जैसे स्वच्छता की कमी और कचरा प्रबंधन - के बारे में जानता था, लेकिन अब मुझे लगता है कि मैं कुछ कर सकता हूँ। उनकी नोटबुक में छोटे कस्बों के लिए कचरा छाँटने के समाधान के शुरुआती रेखाचित्र भरे हुए थे। 

गोस्नर कॉलेज में, माहौल उत्साहपूर्ण था क्योंकि स्टूडेंट्स ने एम्पैथी मैपिंग और रैपिड प्रोटोटाइपिंग में हिस्सा लिया। स्नातक की पढ़ाई कर रही नेहा अपनी खुशी को रोक नहीं पाईं, जब उन्होंने अपनी एक कम लागत वाली, सौर-संचालित उपस्थिति प्रणाली की कल्पना साझा की जो ग्रामीण स्कूलों के लिए थी। उन्होंने कहा, इस वर्कशॉप ने मुझे दिखाया कि सहयोग और स्पष्ट सोच से विचार कैसे विकसित हो सकते हैं। इसने मुझे यह विश्वास करने का साहस दिया कि मेरा समाधान न केवल रांची में, बल्कि हर उस गांव में काम कर सकता है जहां एक चॉकबोर्ड है। सैमसंग सॉल्व फॉर टुमॉरो एक राष्ट्रव्यापी प्रतियोगिता है, जिसे छात्रों को प्रेरित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है ताकि वे तकनीक का लाभ उठाकर समाज की कुछ सबसे जरूरी चुनौतियों का समाधान करने के लिए नए-नए समाधान विकसित करें।

सैमसंग सॉल्व फॉर टुमॉरो 2025 शीर्ष चार विजेता टीमों को उनके प्रोजेक्ट्स के इनक्यूबेशन के लिए 1 करोड़ रुपये प्रदान करेगा, साथ ही व्यावहारिक प्रोटोटाइपिंग, निवेशकों से संपर्क और सैमसंग के लीडर्स व आईआईटी दिल्ली के फैकल्टी से विशेषज्ञ मेंटरशिप भी दी जाएगी।

प्रशांत, जो आईआईटी पटना से ऑनलाइन सेशन में शामिल हुए, सॉल्व फॉर टुमॉरो के उद्देश्य से काफी प्रभावित हुए। उन्होंने बताया, यह सिर्फ टेक्नोलॉजी या स्टार्टअप्स के बारे में नहीं है। यह उस भारत को बनाने के बारे में है जिसमें हम रहना चाहते हैं। मैं एक ऐसा प्लेटफॉर्म बनाना चाहता हूं जो किसानों को मिट्टी की सेहत और फसल चक्रों के बारे में वास्तविक समय का डेटा प्राप्त करने में मदद करे। कुछ ऐसा जिसका सामना मेरा अपना परिवार भी करता है।

हर शहर में, जहां सॉल्व फॉर टुमॉरो पहुंचा है, यह अपने साथ न सिर्फ उपकरण और तकनीकें लाया है, बल्कि विश्वास भी लाया है। सेंट जेवियर्स कॉलेज में, कंप्यूटर साइंस के स्नातक छात्र अदनान ने अपना मिशन खोज लिया। एआई और ऑटोमेशन के बारे में बहुत बातें होती हैं लेकिन इसे हाशिए पर मौजूद लोगों के लिए इस्तेमाल करने के बारे में ज्यादा चर्चा नहीं होती। मैं एक चौटबॉट पर काम कर रहा हूं जो बुजुर्ग लोगों को सरकारी स्वास्थ्य योजनाओं तक पहुंचने में सहायता कर सके। इस कार्यक्रम से मुझे पता चला कि इनोवेशन सिर्फ सिलिकन वैली का शब्द नहीं है। यह हमसे भी ताल्लुक रखता है।

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