विश्व रक्तदाता दिवस एक परिचय रक्तवीर तारिक़ अनवर से

विश्व रक्तदाता दिवस एक परिचय रक्तवीर तारिक़ अनवर से

"जो लहू बह गया एक मासूम की ख़ामोश धड़कनों के साथ,
उसी लहू को आज वो बना रहे हैं ज़िंदगियों की आवाज़।"

छपरा सारण के बड़ा तेलपा चौक निवासी तारिक अनवर एक ऐसा नाम है जो अदम्य साहस, निस्वार्थ सेवा और मानवीय संवेदना का प्रतीक, माता - स्वर्गीय असमा खातून और पिता - मोहम्मद ईसा (सेवा निवृत प्रधानाध्यापक) के सुपुत्र और पत्नी डॉ ० बिल्किश जहां (जो स्वयं स्वास्थ्य विभाग में मेडिकल ऑफिसर हैं) के साथ एक ऐसे मिशन पर निकले हैं जिसकी प्रेरणा उनके अपने जीवन के सबसे बड़े दुख से उपजी है। अपने एकमात्र 8 वर्षीय बेटे फहद आयान का बल्ड कैंसर से इस दुनिया में न रहना, उनके लिए एक गहरे सदमे के साथ-साथ दूसरों के जीवन को बचाने का एक अटल संकल्प बन गया। इस दर्द को उन्होंने अपने अंदर नहीं दबाया, बल्कि इसे उम्मीद और इंकलाब का एक मिशन बना दिया।

आज वो सिर्फ़ एक शख्स नहीं हैं,
बल्कि एक आंदोलन हैं —
"हर घर रक्तदाता, घर-घर रक्तदाता" का ऐसा अभियान जो सैकड़ों नहीं,
हज़ारों जिंदगियों को बचा रहा है।
स्वयं 16 बार रक्तदान के चुके रक्तवीर तारिक़ अनवर अब तक 25 रक्तदान शिविरों का सफल आयोजन छपरा, पटना सहित कई जिलों में कर चुके हैं और 26 वां शिविर 15 जून 2025 को विश्व रक्तदाता दिवस पर आयोजित करने जा रहे हैं —
अपनी उस जंग की याद में, जो उन्होंने फहद के लिए लड़ी और अब हर फहद के लिए लड़ रहे हैं।

उनका संदेश सीधा है —
"अगर मेरा खून किसी की जान बचा सकता है,
तो इससे बड़ी इबादत कोई नहीं।"

आज जब समाज खुद में सिमटता जा रहा है, 
वहां तारिक अनवर की कहानी छपरा से लेकर बिहार के कोने-कोने तक उन लोगों के लिए प्रेरणा है, जिन्होंने किसी दु:खद घटना को झेला है, लेकिन उससे टूटकर बिखरने के बजाय दूसरों के लिए जीने का फैसला किया है। उनका यह प्रयास सिर्फ रक्त मुहैया कराना नहीं है, बल्कि आशा और जीवनदान देना है।
 विश्व रक्तदाता दिवस पर हम सलाम करते हैं उन्हें —
जिनके आँसू एक दिन दर्द थे,
आज दुआ बनकर सैकड़ों दिलों की धड़कनों में बह रहे हैं।

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