वैज्ञानिक खेती की ओर बढ़ते कदम: ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ से जागरूक हुए बिहार और झारखंड के किसान
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार तथा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के तत्वावधान में संचालित ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के छठे दिन बिहार एवं झारखंड में यह अभियान पूरी ऊर्जा, उत्साह एवं प्रतिबद्धता के साथ जारी रहा। इस अवसर पर बड़ी संख्या में किसानों ने भाग लिया और उन्नत कृषि तकनीकों से संबंधित जानकारी प्राप्त की।
अभियान के तहत आयोजित कार्यक्रमों में किसानों की सहभागिता उल्लेखनीय रही। वैज्ञानिकों एवं कृषि विशेषज्ञों ने किसानों को भूमि एवं जल संसाधनों के कुशल प्रबंधन, धान, गेहूं, फल-सब्ज़ियों की वैज्ञानिक खेती, कुक्कुट एवं बकरी पालन, पशुपालन एवं डेयरी प्रबंधन, जैविक एवं प्राकृतिक खेती सहित विविध विषयों पर प्रशिक्षण एवं मार्गदर्शन प्रदान किया गया। इसके साथ ही किसानों को केंद्र और राज्य सरकारों की प्रमुख कृषि योजनाओं की भी जानकारी दी गई, जिससे वे इनका लाभ उठाकर अपनी आजीविका को सशक्त बना सकें।
बिहार के सहरसा जिले के मेहसी प्रखंड में आयोजित प्रमुख कार्यक्रम में बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के निदेशक (प्रसार शिक्षा) एवं अटारी, जोन-IV, पटना के निदेशक विशेष रूप से उपस्थित रहे। उन्होंने किसानों को संबोधित करते हुए वैज्ञानिक कृषि पद्धतियों के महत्व को रेखांकित किया और स्थानीय स्तर पर उपलब्ध संसाधनों के अनुसार कृषि को लाभकारी बनाने के उपायों की जानकारी दी।
अभियान की सफलता में बिहार एवं झारखंड में कार्यरत कृषि विज्ञान केन्द्रों, राज्य एवं केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालयों, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अनुसंधान संस्थानों एवं केंद्रों तथा राज्य सरकारों के कृषि विभाग की महत्वपूर्ण भूमिका रही। इन सभी संस्थानों ने किसानों तक आधुनिक कृषि तकनीकों की जानकारी पहुंचाने एवं कार्यक्रमों के आयोजन में सक्रिय योगदान दिया।
इस अभियान के माध्यम से किसानों को परंपरागत ज्ञान के साथ आधुनिक कृषि तकनीकों के समन्वय पर बल दिया गया। जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक संसाधनों के सतत उपयोग, और बाजारोन्मुखी कृषि रणनीतियों पर भी चर्चा की गई, जिससे खेती को अधिक टिकाऊ और लाभकारी बनाया जा सके।
कृषकों को कृषि यंत्रीकरण, सौर ऊर्जा आधारित सिंचाई, फसल बीमा योजनाएं, तथा एफपीओ गठन और विपणन रणनीतियों पर भी जानकारी दी गई। इससे ग्रामीण युवाओं को कृषि से जोड़ने और किसानों की आमदनी बढ़ाने में सहायता मिलेगी।
वार्तालाप के दौरान किसानों ने वैज्ञानिकों को अवगत कराया कि वे सिंचाई सुविधाओं की कमी, सरकारी योजनाओं की अपर्याप्त जानकारी, कस्टम हायरिंग सेंटर की अनुपलब्धता, कुशल श्रमिकों की कमी, आलू विपणन में आ रही बाधाएँ, नीलगायों के उत्पात तथा कटवर्म, लीफ कर्ल, तना छेदक एवं फॉल्स स्मट जैसे कीट एवं रोगों के प्रकोप जैसी अनेक समस्याओं का सामना कर रहे हैं। इन समस्याओं के समाधान हेतु उपस्थित वैज्ञानिकों द्वारा उपयुक्त तकनीकी सुझाव प्रदान किए गए तथा उपलब्ध संसाधनों के अधिकतम उपयोग से इन चुनौतियों से निपटने के प्रभावी उपाय बताए गए।
‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के छठे दिन की यह गतिविधियाँ ग्रामीण कृषि क्षेत्र में सकारात्मक परिवर्तन की दिशा में एक सशक्त कदम सिद्ध हुईं। किसानों में जागरूकता बढ़ी है और वे उन्नत तकनीकों को अपनाने के लिए प्रेरित हुए हैं। विदित हो कि अटारी, पटना और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना द्वारा दोनों राज्यों में कार्यक्रमों का समन्वय किया जा रहा है |
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