बिहार वैश्विक मंच की ओर: पटना में ऐतिहासिक अंतरराष्ट्रीय क्रेता-विक्रेता सम्मेलन का सफल आयोजन

बिहार वैश्विक मंच की ओर: पटना में ऐतिहासिक अंतरराष्ट्रीय क्रेता-विक्रेता सम्मेलन का सफल आयोजन

खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय (MoFPI) द्वारा उद्योग विभाग बिहार सरकार, एपीडा (APEDA) एवं ट्रेड प्रमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया (TPCI) की साझेदारी से पहली बार बिहार के पटना स्थित ज्ञान भवन में अंतरराष्ट्रीय क्रेता-विक्रेता सम्मेलन (IBSM) का सफल आयोजन किया गया। यह दो दिन का कार्यक्रम बिहार के कृषि और खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के लिए एक बड़ी उपलब्धि रहा, जिसमें राज्य के छोटे और मध्यम उद्योगों (MSMEs), किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) और स्वयं सहायता समूहों (SHGs) को विदेशी खरीदारों से सीधे जुड़ने का मौका मिला।
कार्यक्रम की शुरुआत केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री श्री चिराग पासवान के संबोधन से हुई। उन्होंने इस सम्मेलन को बिहार की आर्थिक प्रगति में एक अहम मोड़ बताया। उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम राज्य में रोजगार के नए अवसर पैदा करेगा और बिहार के स्थानीय उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि बिहार का ज्ञान, आत्मबल और नेतृत्व अब वैश्विक कृषि-खाद्य क्षेत्र में उसकी मजबूत भूमिका तय कर रहा है। उनका विश्वास था कि "विकसित बिहार" का सपना "विकसित भारत" की दिशा में एक मजबूत कदम होगा।
इस सम्मेलन में 20 देशों के 70 से अधिक अंतरराष्ट्रीय खरीदार शामिल हुए, जिनमें यूएई, सिंगापुर, जापान, घाना, स्पेन, जर्मनी और यूके के प्रतिनिधि शामिल थे। साथ ही 50 से ज्यादा देशी और 20 संस्थागत खरीदारों ने भी भाग लिया। सम्मेलन के दौरान 500 से अधिक बी2बी (व्यवसाय से व्यवसाय) बैठकें हुईं, जिससे बिहार के प्रमुख उत्पाद जैसे कि जीआई टैग वाले मखाना, शाही लीची, जर्दालु आम और कटारनी चावल के लिए नए निर्यात अवसर बने। इन बैठकों से कई स्थानीय उत्पादकों को सीधे बाजार से जुड़ने का मौका मिला, जिससे वे अब अपने व्यापार को बढ़ा सकेंगे और वैश्विक बाजारों में पहुंच बना सकेंगे।
सम्मेलन के दौरान कुछ प्रमुख उत्पादों में अच्छा रिस्पॉन्स मिला। पश्चिम अफ्रीका के खरीदारों ने सत्तू में रुचि दिखाई, जो एक पारंपरिक और प्रोटीनयुक्त उत्पाद है। सिंगापुर की कंपनियों ने लीची और आम की व्यावसायिक आपूर्ति को लेकर बातचीत शुरू की। एयरलाइंस और रेलवे कैटरिंग सेवाओं ने मखाना, चावल, दाल और मसालों को अपनी आपूर्ति श्रृंखला में शामिल करने की संभावना जताई।
सम्मेलन की एक प्रमुख उपलब्धि एपीडा, बिहार सरकार और यूएई की लुलु ग्रुप के बीच समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर थी। इस समझौते का उद्देश्य बिहार की प्रसिद्ध लीची की शेल्फ लाइफ बढ़ाना और उसका निर्यात बढ़ाना है, जिससे राज्य के बागवानी उत्पादों को नया बाजार मिल सके।
व्यापारिक बैठकों के साथ-साथ सम्मेलन में एक प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किया गया, जिसमें बिहार के सूक्ष्म उद्यमियों, एफपीओ, एसएचजी और खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को जानकारी दी गई। इन सत्रों का संचालन MoFPI, APEDA, NIFTEM-कुंडली, ICRIER, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पैकेजिंग, EXIM बैंक और स्टार्टअप इंडिया के विशेषज्ञों ने किया। विषयों में नई कृषि तकनीक, मूल्य श्रृंखला का विकास, निर्यात के लिए तैयारी, आधुनिक पैकेजिंग, जैविक सर्टिफिकेशन और स्टार्टअप के पंजीकरण जैसी जानकारियाँ शामिल थीं। MoFPI के अधिकारियों ने प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम (PMFME) योजना की जानकारी दी, जिसके अंतर्गत वर्ष 2024–25 में देश में सबसे अधिक इकाइयों को स्वीकृति बिहार में मिली।
इस सम्मेलन के साथ एक सार्वजनिक प्रदर्शनी भी लगी, जिसमें 120 से अधिक प्रदर्शकों ने भाग लिया। इसमें महिला समूहों, एफपीओ, नए उद्यमियों और देशी-विदेशी ब्रांडों ने अपने उत्पाद प्रदर्शित किए। यह प्रदर्शनी न केवल बिहार की प्रसंस्करण क्षमता को दिखाने का माध्यम बनी, बल्कि यह भी दर्शाया कि किस तरह जमीनी स्तर की पहलें वैश्विक महत्वाकांक्षा से जुड़ सकती हैं।
इस कार्यक्रम की सफलता केंद्र और राज्य सरकार के बीच मजबूत तालमेल का परिणाम है। MoFPI के मार्गदर्शन में कई एजेंसियों ने मिलकर किसानों और उद्यमियों को जोड़ने, रणनीतिक साझेदारियाँ बनाने और आयोजन की हर व्यवस्था को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। यह मॉडल सहयोगात्मक संघवाद (Cooperative Federalism) की भावना को दर्शाता है, जो क्षेत्रीय आर्थिक विकास की कुंजी है।
IBSM का समापन केवल एक व्यापारिक आयोजन नहीं, बल्कि भारत की नई "फूड डिप्लोमेसी" की झलक है, जिसमें स्थानीय उद्यम अंतरराष्ट्रीय संबंधों का माध्यम बन रहे हैं। इस सम्मेलन ने यह साबित किया कि बिहार के जमीनी उत्पादक भी वैश्विक साझेदारियों का हिस्सा बन सकते हैं। मजबूत कृषि संसाधनों, उद्यमशीलता की गति और अब अंतरराष्ट्रीय संपर्कों के साथ, बिहार इस दिशा में भारत को "वैश्विक खाद्य भंडार (Global Food Basket)" बनाने की राह में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

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