बिहार में 'विकसित कृषि संकल्प अभियान' का भव्य शुभारंभ, किसानों से संवाद और तकनीकी नवाचारों पर विशेष बल

बिहार में 'विकसित कृषि संकल्प अभियान' का भव्य शुभारंभ, किसानों से संवाद और तकनीकी नवाचारों पर विशेष बल

बिहार राज्य में 'विकसित कृषि संकल्प अभियान' की आज भव्य शुरुआत कृषि भवन, मीठापुर, पटना परिसर से की गई, जिसका शुभारंभ श्री विजय कुमार सिन्हा, माननीय उप मुख्यमंत्री-सह-कृषि मंत्री, बिहार सरकार ने किया । इस अवसर पर श्री संजय कुमार अग्रवाल, सचिव, कृषि बिहार सरकार;  डॉ. अंजनी कुमार, निदेशक, अटारी, पटना; डॉ. अनुप दास, निदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना; श्री धनंजय पति त्रिपाठी त्रिपाठी, निदेशक, बामेती, पटना, अन्य गणमान्य अधिकारीगण एवं किसान बंधु  सहित कुल 250 प्रतिभागी उपस्थित थे । 
साथ ही साथ, श्री रामनाथ ठाकुर, माननीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री द्वारा पूसा के राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय से हरी झंडी दिखाकर कार्यक्रम की शुरुआत की | इस अवसर पर राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति डॉ. पी. एस. पाण्डेय एवं विश्वविद्यालय के अन्य पदाधिकारी एवं वैज्ञानिक के साथ-साथ छात्रगण भी उपस्थित रहे | बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के माननीय कुलपति डॉ. डी. आर. सिंह ने भी अपने विश्वविद्यालय परिसर से हरी झंडी दिखाकर कार्यक्रम की शुरुआत की |
आज बिहार राज्य के 38 जिलों में कुल 104 वैज्ञानिकों की टीम ने कुल 312 गाँवों में जाकर लगभग 35,000 किसानों के बीच संवाद किया एवं उन्हें खरीफ से पहले की कृषि संबंधित गतिविधियों जैसे जलवायु अनुकूल खेती, उन्नत प्रभेद, ड्रोन का उपयोग, प्राकृतिक खेती मृदा स्वास्थ्य सुझाव आदि विषयों पर किसानों को नवीनतम जानकारी दी  | प्रत्येक गांव में किसानों के द्वारा की जाने वाली नवाचार को किसानों के बीच नवाचारी किसान के द्वारा बताए गए, जिससे गांव के अन्य किसान भी लाभान्वित हुए| इस कार्यक्रम को सफल बनाने में जीविका दीदी, इफको के प्रतिनिधि, राज्य सरकार की कृषि विभाग के कर्मचारी एवं अन्य संगठनों का भी सहयोग मिल रहा है|
इस अभियान से किसानों के बीच खुशी का माहौल बन रहा है कि आने वाले समय में उनके क्षेत्र में कृषि का विकास एवं उनकी आजीविका में वृद्धि होगी|
इसके अतिरिक्त, वैज्ञानिकों ने किसानों द्वारा फील्ड में किए जा रहे नवाचारों के साथ-साथ उनकी समस्याओं  की जानकारी भी एकत्रित की, जिन्हें अनुसंधान प्रक्रिया में शामिल करने की योजना बनाई जाएगी। इस कार्यक्रम में कृषि विज्ञान केन्द्रों के अलावा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना; अटारी, पटना, बिहार कृषि विश्वविद्यालय, राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र, महात्मा गांधी समेकित कृषि अनुसंधान संस्थान एवं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अन्य केन्द्रों का बहुमूल्य योगदान रहा | यह कार्यक्रम 12 जून, 2025 तक हर रोज चालाया जाएगा | इस कार्यक्रम पूरा देखरेख एवं समन्वयन आईसीएआर अटारी एवं आर.सी.ई.आर. पटना द्वारा संयुक्त रूप से किया जा रहा है |

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