हर घर नल का जल योजना में भूजल स्थिरता और जल गुणवत्ता सुनिश्चित करने हेतु भूजल दोहन पर नियंत्रण और जल स्रोतों के संरक्षण के लिए अंतरविभागीय समन्वय ज़रूरी" : पंकज कुमार, प्रधान सचिव, लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग

हर घर नल का जल योजना में भूजल स्थिरता और जल गुणवत्ता सुनिश्चित करने हेतु भूजल दोहन पर नियंत्रण और जल स्रोतों के संरक्षण के लिए अंतरविभागीय समन्वय ज़रूरी" : पंकज कुमार, प्रधान सचिव, लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग

लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग, बिहार सरकार एवं आगा खाँ फाउण्डेशन के संयुक्त तत्वावधान में आज चाणक्य होटल, पटना में भूजल आधारित जलापूर्ति योजनाओं की स्थिरता और संरक्षण को लेकर एक दिवसीय राज्य स्तरीय परामर्शी कार्यशाला का आयोजन किया गया। हर घर नल का जल’ योजना से जुड़े विभिन्न विभागों की भागीदारी के साथ आयोजित इस कार्यशाला का उद्घाटन लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के प्रधान सचिव श्री पंकज कुमार ने किया, इस दौरान मनरेगा आयुक्त अभिलाषा कुमारी शर्मा, जल-जीवन-हरियाली मिशन की निदेशक प्रतिभा रानी, एवं केंद्रीय भूजल बोर्ड के क्षेत्रीय निदेशक राजीव रंजन शुक्ला भी मौजूद रहे।


कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए श्री पंकज कुमार ने बताया कि  बिहार देश का पहला राज्य है जहां ‘हर घर नल का जल’ योजना की शुरुआत के साथ ही जल गुणवत्ता को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई। 2019 में भीषण गर्मी के दौरान भूगर्भ जल स्तर काफी नीचे जाने के कारण माननीय मुख्यमंत्री, बिहार द्वारा 'जल-जीवन-हरियाली' की शुरुआत जल संरक्षण के उद्देश्य से की गई एवं बिहार देश मे पहला राज्य था, जहाँ जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने के उद्देश्य से एक महत्त्वपूर्ण पहल की गई। इसके अतिरिक्त जिन क्षेत्रों में पानी की गुणवत्ता में कमी पाई गई, वहां ट्रीटमेंट प्लांट के ज़रिए उसे शुद्ध कर ही जलापूर्ति की व्यवस्था की गई ।उन्होंने यह भी कहा कि भविष्य में जल की गुणवत्ता को और बेहतर बनाने के लिए तकनीकी और संरचनात्मक सुधार किए जाएंगे।
प्रधान सचिव ने स्पष्ट किया कि पेयजल को संरक्षित रखने का सबसे प्रभावी तरीका यही है कि हम उसे सतही जल संचयन के साथ भूजल के रुप में संचयित करें। उन्होंने कहा कि मौसम के लगातार बदलते स्वरूप और अनियंत्रित दोहन के चलते बिहार में भूजल स्तर का क्षरण एक चुनौती है। भूजल मॉनिटरिंग और संरक्षण के लिए एक व्यवस्थात्मक पहल की जरूरत है ।

साथ ही इस बात पर बल दिया कि केवल भूजल पर निर्भरता हमें दीर्घकाल में संकट की ओर ले जा सकती है। गैर-पेयजल उपयोग—जैसे वाहन धोना, पशुओं को पानी देना, या कपड़े धोना—इन सभी के लिए सतही जल जैसे वैकल्पिक स्रोतों का विकास और संरक्षण करना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि समाज में जल के विवेकपूर्ण उपयोग को लेकर जनजागरूकता ज़रूरी है।

इस अवसर पर मनरेगा आयुक्त अभिलाषा कुमारी शर्मा ने बताया कि मनरेगा अंतर्गत जल-जीवन-हरियाली अभियान के माध्यम से राज्यभर में 94,244 सार्वजानिक जल संचयन संरचनाओं का जीर्णोद्धार कराया गया है, जल संग्रहण क्षेत्रों में चेकडैम एवं जल संचयन के कुल 2680 संरचनाओं का निर्माण कराया गया है, साथ ही भवनों में छत-वर्षा जल संचयन के लिए कुल 3035 संरचनाओं का निर्माण कराया गया जिससे न केवल जल संरक्षण को बल मिला है, बल्कि किसानों को भी कृषि कार्यों में लाभ हुआ है। जल-जीवन-हरियाली मिशन की निदेशक प्रतिभा रानी ने बताया कि माननीय मुख्यमंत्री, बिहार की दूरदर्शिता के तहत राज्य के परंपरागत जल स्रोतों का संरक्षण एवं पुनर्जीवन तेजी से किया जा रहा है। उन्होंने मुख्यमंत्री की उस उक्ति को भी दोहराया—“जब तक जल और हरियाली है, तब तक जीवन है।”
कार्यशाला को लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के अभियंता प्रमुख सह विशेष सचिव अभय कुमार सिंह, केंद्रीय भूजल बोर्ड के क्षेत्रीय निदेशक राजीव रंजन शुक्ला और आगा खान फाउंडेशन के निदेशक डॉ. असद उमर ने भी संबोधित किया। वक्ताओं ने जल स्रोतों की स्थिरता को बनाए रखने के लिए तकनीकी पहल और विभागीय समन्वय की आवश्यकता को रेखांकित किया।

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