मुझे कविताएं लिखना और उससे भी ज्यादा नई रचनाएँ पढ़ना पसंद है! अमेरिका में एमाज़ॉन पर भारतीय भाषाओँ की सब किताबें नहीं मिलती,  इस बार खुश-किस्मती से कई मित्रों और गुणीजनों ने अपनी किताबे भेंट की .... डॉ पल्लवी शर्मा                               "दस्तकें ख़ामोश हैं":क़ासिम खुर्शीद का दस्तावेज़ी काव्य संग्रह✍️ डॉ पल्लवी शर्मा कैलिफोर्निया (अमेरिका)

मुझे कविताएं लिखना और उससे भी ज्यादा नई रचनाएँ पढ़ना पसंद है! अमेरिका में एमाज़ॉन पर भारतीय भाषाओँ की सब किताबें नहीं मिलती, इस बार खुश-किस्मती से कई मित्रों और गुणीजनों ने अपनी किताबे भेंट की .... डॉ पल्लवी शर्मा "दस्तकें ख़ामोश हैं":क़ासिम खुर्शीद का दस्तावेज़ी काव्य संग्रह✍️ डॉ पल्लवी शर्मा कैलिफोर्निया (अमेरिका)

मुझे कविताएं लिखना और उससे भी ज्यादा नई रचनाएँ पढ़ना पसंद है! अमेरिका में एमाज़ॉन पर भारतीय भाषाओँ की सब किताबें नहीं मिलती, इसीलिए जब भी भारत जाना होता है तो अपने साथ पसंदीदा कुछ किताबों को अपने साथ लाती हूँ! इस बार खुश-किस्मती से कई मित्रों और गुणीजनों ने अपनी किताबे भेंट की! उन किताबों में शामिल है ग़ज़लों और कविताओं से जगमगाती क़ासिम ख़ुर्शीद जी की किताब "दस्तकें खामोश हैं. "क़ासिम खुर्शीद साहब  हिंदी और उर्दू दोनों भाषा में निरंतर अच्छा काम कर रहें हैं, वे एक शायर, कवि रंगकर्मी और कथाकार हैं! उच्च कोटि के लेखक होने के साथ साथ वो अपनी रचनाओं को बहुत सम्प्रेषणीयता के साथ पढ़ते हैं. वे राष्ट्रीय व् अंतराष्ट्रीय स्तर पे अनेक जाने माने कवियों और शायरों के साथ मंच साझा कर चुके हैं! मेरा सौभग्य रहा की हाल ही में अपने घर के बैठक में उनसे उनकी उत्कृष्ट रचनाओं का पाठ सुनने का मौका मिला! अमेरिका वापस आने के बाद उनकी किताब को पढ़ने की बैचनी थी! किताब खुलने की देर थी, जीवन से भरी इसकी हरेक रचना अंदर घर कर गयी! "दस्तकें खामोश हैं" हमें हौले से जगाती हैं, गुज़रे हुए दौर की बातों को याद दिलाती हैं तो कभी आगे आने वाले दिनों के प्रति सावधान करतीं हैं.  इस किताब की उत्कृष्ट रचनाएँ हमारे दिल पे ख़ामोशी से गहरी दस्तक देतीं हैं; कविवर की संवेदनशीलता में निसंदेह उनका दर्द झलकता है जो पाठकों को विह्वल कर देता है 
मैं खुश हुआ तो आँख से आंसू निकल पड़े, 
मेरी ख़ुशी में दर्द का हिस्सा ज़रूर है.(27)

रचनाकार की संवेदनशीलता हमें मानव ह्रदय की गहराइयों में ले जाती है जहाँ मन कभी मुसकराता है तो कभी धीरे से आहें भरता है - 

मैं शाम के बादल को छू कर लौटा हूँ, 
तेरा खयाल है जो अब धुएँ से मिलता है.(34)

मेरे बंद कमरे में बेचैनियां थी,
मैं चुप भी रहूं तो शिकन बोलती है.(53)

रचनाओं में अनुभवों का सैलाब मन को तर बतर करता है, और उसकी गहरी चोट का अनुभव पाठक को होता है -

बहुत छल कर गयी दुनिया मुझे तनहा भटकने दो,
हवा भी हमसफ़र हो तो हवा से चोट लगती है. (54)

आज के कड़वे माहौल में कुछ राजनेता और मीडिया हमें महजब और भाषा के नाम पे बांटने पे तुले हैं ऐसे में क़ासिम साहब जोड़ने की बात करतें हैं! बुलंद आवाज में उनकी कविताएं और गज़ले उस उर्वरा भूमि और रौशन जहान की बात करतें हैं जहाँ हमारा भविष्य संभावनाओं से भरा है! उनकी ग़ज़लें और कवितायेँ मलहम का काम करती हैं -

कबीर तुलसी ओ ग़ालिब मीर मेरे हैं, 
किताबे दिल का यहाँ हर बयान रौशन है. 

अजीब लोग हैं अपनी धरा के मतवाले,
हमारे देश में सच मुच जहां रौशन है. (89)
इस किताब में संकलित कविताएं उनकी ग़ज़लों की तरह विभिन्न विषयों से गुज़रतीं हैं. उनमें से कई मानवता के गहरे घावों और भययुक्त समय से हमारा परिचय करवाती हैं! "कहीं कुछ खो गया है" (१४६) कविता में, वे आज के विषैले माहौल में अभिवावक की  चिंता को दर्शातें हैं! उनकी कविता बखूबी हमें अपने इर्द गिर्द बढ़ते शोचनीय स्तिथि के प्रति जागरूक होने की गुहार करती है. एक कविता "नन्ही सी बच्ची" में कवि से छोटी सी बच्ची कहती है - 
मुझे ले चल यहां से दूर 
ऐसी दुनिया में 
जहां मुस्कान हो 
खुशबू ही खुशबू हो(166)

दिली ख़्वाहिश है कि क़ासिम साहब की ये रचना सबों तक पहुंचे और पढ़ी जाए! उनकी सुन्दर सहज भाषा में लिखे गयी ये कृति जुबान और दिल में बहुत सहजता से जगह बना लेती है! 🟤

0 Response to "मुझे कविताएं लिखना और उससे भी ज्यादा नई रचनाएँ पढ़ना पसंद है! अमेरिका में एमाज़ॉन पर भारतीय भाषाओँ की सब किताबें नहीं मिलती, इस बार खुश-किस्मती से कई मित्रों और गुणीजनों ने अपनी किताबे भेंट की .... डॉ पल्लवी शर्मा "दस्तकें ख़ामोश हैं":क़ासिम खुर्शीद का दस्तावेज़ी काव्य संग्रह✍️ डॉ पल्लवी शर्मा कैलिफोर्निया (अमेरिका)"

एक टिप्पणी भेजें

Ads on article

Advertise in articles 1

advertising articles 2

Advertise under the article