महामारी की तरफ फैल रही है किडनी की बीमारी, जागरूकता ही बचाव - पारस एचएमआरआई

महामारी की तरफ फैल रही है किडनी की बीमारी, जागरूकता ही बचाव - पारस एचएमआरआई

• पारस हॉस्पिटल में वर्ल्ड किडनी दिवस की पूर्व संध्या पर हुआ जागरूकता कार्यक्रम 
• डॉक्टरों ने दी नियमित जांच की सलाह, पांच गोल्ड रूल भी बताए
पटना। वर्ल्ड किडनी दिवस (13 मार्च) की पूर्व संध्या पर बुधवार को पारस एचएमआरआई हॉस्पिटल, पटना में एक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में किडनी ट्रांसप्लांट और डायलिसिस के मरीजों के साथ-साथ किडनी डोनर को सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम में नेफ्रोलॉजी विभाग के *निदेशक एवं विभागाध्यक्ष डॉ. शशि कुमार* ने बताया कि किडनी रोग महामारी की तरह फैल रहा है। उन्होंने कहा कि 10 से 17 प्रतिशत भारतीय किडनी से संबंधित बीमारियों से ग्रसित हैं। हाई रिस्क पॉपुलेशन जैसे - हाई बीपी, डायबिटीज के मरीज, 45-50 वर्ष से अधिक उम्र के लोग तथा जिनके परिवार में किडनी रोगी हैं, उनमें यह बीमारी 30 से 40 प्रतिशत तक पाई जाती है। ऐसे लोगों को समय-समय पर जांच करानी चाहिए ताकि शुरुआती दौर में बीमारी का पता चल सके और समय पर इलाज शुरू किया जा सके। इससे डायलिसिस या ट्रांसप्लांट की नौबत टल सकती है।
वहीं नेफ्रोलॉजिस्ट *डॉ. जमशेद अनवर* ने बताया कि ब्लड प्रेशर, दर्द निवारक दवाओं का अधिक सेवन और संक्रमण किडनी रोगों के प्रमुख कारण हैं। यूरोलॉजिस्ट *डॉ. विकास कुमार* ने कहा कि आजकल कम उम्र के लोगों में भी यह बीमारी तेजी से फैल रही है। खानपान में अनियमितता इसकी प्रमुख वजह है। डॉ. सुजय रंजन ने बताया कि इस वर्ष वर्ल्ड किडनी दिवस की थीम 'आर योर किडनी ओके? डिटेक्ट अर्ली, प्रोटेक्ट योर किडनी' रखी गई है, जिसका उद्देश्य लोगों को समय रहते किडनी की जांच कराने के प्रति जागरूक करना है।
पारस एचएमआरआई के *ज़ोनल डायरेक्टर अनिल कुमार* ने कहा कि किडनी के ऐसे मरीजों में जिनमें किडनी की क्षमता इतनी कम हो गयी है कि जिससे वो शरीर की सारी गंदगी नहीं निकाल सके तो ऐसी स्थिति में दो ही विकल्प होता है। पहला- जो काम किडनी नहीं कर पा रही है वो मशीन करे, जिसे डायलिसिस कहते हैं और दूसरा-उस मरीज की किडनी को बदलकर किसी सक्षम व्यक्ति की किडनी को वहां लगा जाय, जिसे किडनी ट्रांसप्लांट कहा जाता है। आमतौर पर ऐसी स्थितियों में ट्रांसप्लांट ज्यादा अच्छा उपाय माना जाता है। 

*पारस एचएमआरआई के बारे में* 
पारस एचएमआरआई पटना ने 2013 में परिचालन शुरू किया। यह बिहार का पहला कॉर्पोरेट अस्पताल है जिसके पास परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड द्वारा लाइसेंस प्राप्त कैंसर उपचार केंद्र है। जून 2024 में एक्सेस किए गए एनएबीएच पोर्टल के अनुसार, पारस एचएमआरआई अस्पताल, पटना 2016 में एनएबीएच मान्यता प्राप्त करने वाला बिहार का पहला अस्पताल था। 30 सितंबर 2024 तक इस अस्पताल की बेड क्षमता 350 बेडों की है, जिसमें 80 आईसीयू बेड शामिल हैं।

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