समाहरणालय के मुख्य सभागार में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस समारोह का आयोजन किया गया।
आज पटना समाहरणालय के मुख्य सभागार में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस समारोह का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम की मुख्य अतिथि हरजोत कौर बम्हरा, अपर मुख्य सचिव, समाज कल्याण विभाग-सह-अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, महिला एवं बाल विकास निगम थीं।
सर्वप्रथम अपर मुख्य सचिव द्वारा पालनाघर का उद्घाटन किया गया। तत्पश्चात् इस कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य सभागार में अतिथियों का स्वागत अंगवस्त्र एवं पौधा देने के साथ ही दीप प्रज्जवलन कर किया गया। जिला पदाधिकारी, पटना द्वारा स्वागत संबोधन करते हुए सभागार में उपस्थित सभी महिलाओं को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की बधाई देते हुए कहा कि जहां तक लैंगिक समानता की बात है तो इसका उद्देश्य यह है कि जिसकी जो विशिष्टता या क्षमता है, जो अस्तित्व है उसका सम्मान हो। अपने-अपने क्षेत्र में हम सभी आगे बढ़ें।
फिर जेंडर समानता, महिला सशक्तिकरण एवं जेंडर हिंसा के विरूद्ध कार्य करने के लिए जिला पदाधिकारी द्वारा शपथ ग्रहण कराया गया।
इस सिलसिले में अपने-अपने क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाली बालिकाओं एवं महिलाओं द्वारा अनुभव साझा किया गया। पद्मश्री सुधा वर्गीस ने भी अपना अनुभव साझा करते हुए सभी महिलाओं को प्रेरित किया। महिलाओं पर आधारित कुछ लघु फिल्म भी दिखाए गए। जो महिलाएं अपने क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य कर रहीं हैं उन्हें अपर मुख्य सचिव द्वारा प्रशस्ति पत्र और स्मार्ट-वाॅच दे कर सम्मानित किया गया।
समाज कल्याण विभाग की अपर मुख्य सचिव ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी महिलाओं को संबोधित करते हुए कहा कि उन्हें खुद को सशक्त बनाना होगा और अपने लिए आवाज उठानी होगी। समाज के विभिन्न आयामों जैसे बैंक, कोर्ट, पुलिस स्टेशन, अस्पताल इत्यादि से जुड़ी जानकारी हर महिला को होनी चाहिए। ताकि महिलाएं आत्मनिर्भर बन सकें। आज महिलाओं को सशक्त करने के लिए सरकार द्वारा बहुत सी योजनाएं चलायी जा रही हैं। परंतु यदि महिलाएँ स्वयं कदम नहीं बढ़ाएंगी तो सशक्त कैसे होंगी? उन्होंने कहा कि यदि हम लड़कियों और लड़कों को एक जैसी परवरिश और सुविधाएं दें तो लड़कियां लड़कों से बेहतर करेंगी। साथ ही लैंगिक समानता के लिए महिला और पुरुष दोनों को घर और बाहर के कामों तथा बच्चों की परवरिश में समान रूप से जिम्मेदारी निभानी चाहिए। लैंगिक हिंसा महिलाओं को आगे बढ़ने से रोकती है और इसे खत्म करना जरूरी है। महिलाओं को डराकर, चोट पहुँचाकर अपनी बात मनवाना या उनके हौसलों को तोड़ना सही नहीं है। थप्पड़ सिर्फ शारीरिक ही नहीं होता, हर वो बात जो महिलाओं के आत्मसम्मान को चोट पहुंचाए वो भी थप्पड़ ही है और अधिकतर थप्पड़ भावनात्मक शोषण को दर्शाता है।
अन्त में इस कार्यक्रम का समापन उप विकास आयुक्त, पटना द्वारा धन्यवाद ज्ञापन कर किया गया। साथ ही गाँधी मैदान के रीजेंट सिनेमाघर में लापता लेडीज फिल्म का प्रदर्शन किया गया।
समाज कल्याण विभाग द्वारा बिहार के सभी जिलाधिकारियों को अपने जिला में महिला दिवस मनाने का निर्देश दिया गया था।
साथ ही इस अवसर पर विभाग द्वारा बिहार के सभी जिला के थिएटर में लापता लेडीज फिल्म का प्रदर्शन भी किया गया। जिसे देखकर महिलाएं प्रेरित हो कर खुद को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाएं। तथा राज्य के विकास में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर सके।
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