कल विधानसभा में पेस बिहार का 2025 - 26 का बजट संघर्षरत किसानों व खेत मजदूरों के लिए निराशाजनक व कारपोरेट पक्षी है

कल विधानसभा में पेस बिहार का 2025 - 26 का बजट संघर्षरत किसानों व खेत मजदूरों के लिए निराशाजनक व कारपोरेट पक्षी है

*संघर्षरत किसानों व अन्य संघर्षरत तबकों की मांगों को अनसुना करने वाले बिहार बजट के खिलाफ भाकपा माले द्वारा आहूत तीन दिवसीय प्रतिवाद (5 - 6 - 7 मार्च 2025) कार्यक्रम में अखिल भारतीय किसान महासभा सक्रिय भागीदारी करेगा।*

*पटना, 4 मार्च 2025*

अखिल भारतीय किसान महासभा के बिहार राज्य सचिव उमेश सिंह ने कल बिहार विधानसभा में पेस 2025 - 26 के बजट को संघर्षरत किसानों व खेत मजदूरों के लिए घनघोर निराशाजनक व कारपोरेट पक्षी बताया है। उन्होंने बिहार के संघर्षरत किसानों व संघर्षशील अन्य तबकों की लोकप्रिय मांगों को अनसुनी करने वाले इस बजट के खिलाफ भाकपा माले द्वारा आहूत तीन दिवसीय 5 - 6 - 7 मार्च 2025 राज्यव्यापी प्रतिवाद कार्यक्रम में किसानों व खेत मजदूरों से बड़े पैमाने पर भागीदारी करने की अपील किया है।
  उन्होंने कहा कि बिहार के किसानों की सबसे लोकप्रिय मांग ए पी एम सी एक्ट को पुनर्बहाल करना व कृषि मंडियों को चालू करने का कही कोई जिक्र नहीं है। इसके बिना बिहार के किसान मुनाफाखोर व्यापारियों के चंगुल में फंसे हैं। यह बजट सिंचाई  जो कृषि कार्य का मुख्य हिस्सा है जिसके बिना कृषि संभव नहीं है को भी संबोधित नहीं करता है। किसानों के चिरप्रतीक्षित मांग कदवन डैम(इंद्रपुरी जलाशय) की मांग का कोई जिक्र नहीं करता है ।सोन - गंडक - कोशी नहरों के आधुनिकीकरण करने का भी कोई प्रस्ताव इस बजट में नहीं है। बिहार के लगभग सभी 8300 सरकारी नलकूप बंद पड़े है जिसे जीर्णोद्धार करने का भी जिक्र नहीं है।
उन्होंने कहा कि बजट में सिंचाई हेतु बहुत छोटी राशि जल संसाधन विभाग में 6060.61 करोड़ और लघु जल संसाधन में 1623.87करोड़ ऊंट के मुंह में जीरा के समान है। सिंचाई के बिना खेती संभव नहीं है और बिहार के पास विकास के लिए खेती के अलावा और कोई संसाधन नहीं है। उस पर तुर्रा यह है कि बिहार की खेती योग्य जमीन धड़ल्ले से सरकारी गैरसरकारी विकास योजनाओं के नाम पर नष्ट किए जा रहे हैं । और खेती का क्षेत्र सिकुड़ता चला जा रहा हैं जो आने वाले समय में बिहार को विनाश व भुखमरी के गर्त में धकेल देगा।
उन्होंने कहा कि बिहार में नीतीश बाबू पिछले बीस वर्षों से सत्ता में हैं और विकास का ढिंढोरा पीटा जा रहा है जब कि सच्चाई यह है कि बिहार अपने बजट का मात्र 27% राशि ही अपने स्रोत से प्राप्त करता है। जब कि तमिलनाडू 76%,गुजरात 73% यहां तक कि यू पी भी 46% राशि अपने स्रोत से प्राप्त कर लेता है। यदि बिहार को विकसित होना है तब कृषि को विकसित करना होगा। और इसके लिए भूमि सुधार और संपूर्ण खेती को सिंचित करना बाढ़ सुखाड़ से खेती को बचाना और सबसे अधिक खेती खेत की संरक्षा फसल का समुचित मुनाफा का इंतजाम करना होगा।

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