डीएम द्वारा लोक शिकायत के 17 मामलों की सुनवाई की गई
कार्यों में शिथिलता, लोक शिकायत निवारण में अरूचि एवं संवेदनहीनता के आरोप में एक लोक प्राधिकार के विरूद्ध कार्रवाई
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लोक शिकायत के निष्पादन में शिथिलता बरतने के कारण प्रखंड विकास पदाधिकारी, फुलवारीशरीफ के विरुद्ध 5 हजार रुपए का अर्थदंड लगाते हुए स्पष्टीकरण किया गया
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बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम, 2015 का सफल क्रियान्वयन प्रशासन की सर्वाेच्च प्राथमिकता; सभी पदाधिकारी इसके लिए सजग, संवेदनशील तथा सक्रिय रहेंः डीएम
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पटना, शुक्रवार, दिनांक 28 मार्च, 2025ः जिलाधिकारी, पटना डॉ. चन्द्रशेखर सिंह द्वारा आज अपने कार्यालय-कक्ष में बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम, 2015 के तहत द्वितीय अपील में शिकायतों की सुनवाई की गयी और उसका निवारण किया गया। लोक शिकायत निवारण में लापरवाही बरतने के आरोप में एक लोक प्राधिकार के विरूद्ध कार्रवाई की गई।
डीएम डॉ. सिंह द्वारा आज लोक शिकायत के कुल 17 मामलों की सुनवाई की गई। 12 मामलों का ऑन द स्पॉट निवारण किया गया तथा 05 मामलों में अंतरिम आदेश पारित किया गया। लोक शिकायत के निष्पादन में शिथिलता बरतने के कारण प्रखंड विकास पदाधिकारी, फुलवारीशरीफ के विरुद्ध 5 हजार रुपए का अर्थदंड लगाते हुए स्पष्टीकरण किया गया।
दरअसल अपीलार्थी श्री विरेन्द्र कुमार, ग्राम+शहर- नहरपुरा, प्रखंड-फुलवारीशरीफ जिला-पटना द्वारा जिलाधिकारी के समक्ष लोक शिकायत निवारण हेतु द्वितीय अपील में वाद दायर किया गया है। अपीलार्थी की शिकायत ‘‘विकसित बिहार के सात निश्चय अंतर्गत हर घर नल का जल की राशि के व्यय’’ के संबंध में है। जिलाधिकारी ने सुनवाई में पाया कि प्रखंड विकास पदाधिकारी, फुलवारीशरीफ द्वारा इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गयी है। उन्हें पूर्व एवं वर्तमान वार्ड सदस्यों के विरूद्ध नीलाम पत्र वाद दायर कर राशि वसूली की विधिवत कार्रवाई करने का निदेश दिया गया था परन्तु उन्होंने वसूली हेतु कोई कार्रवाई नहीं की। जिलाधिकारी ने कहा कि प्रखंड विकास अधिकारी की यह कार्यशैली अत्यंत आपतिजनक है। सरकार की इतनी महत्वपूर्ण योजना की धन राशि की अवैध तरीके से निकासी एवं व्यय बर्दाश्त नहीं की जा सकती है। योजना के क्रियान्वयन में अनियमितता एवं अनधिकृत रूप से राशि की निकासी के लिए जो भी दोषी हो उसके विरूद्ध नीलाम पत्र वाद दायर करते हुए अवैध रूप से व्यय किए गए राशि की विधिवत वसूली की जानी थी परन्तु ऐसा नहीं किया गया। परिवादी द्वारा अनुमंडल लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी, पटना सदर के समक्ष दिनांक 27.08.2024 को ही परिवाद दायर किया गया था। लगभग सात महीना की अवधि में भी परिवाद प्रखंड विकास पदाधिकारी, फुलवारीशरीफ के स्तर पर ही लंबित है। जिलाधिकारी ने कहा कि यह अत्यंत खेदजनक है। लोक प्राधिकार का यह व्यवहार लोक शिकायत निवारण की मूल भावना के प्रतिकूल है। उनकी इस कार्यशैली से आवेदक की समस्या का समाधान नहीं हो सका है। उन्होंने कहा कि यह उनकी स्वेच्छाचारिता, शिथिलता तथा संवेदनहीनता को प्रदर्शित करता है। लोक शिकायत के मामलों में असंवेदनशीलता प्रदर्शित करने तथा शिकायत निवारण में विलंब के कारण जिलाधिकारी द्वारा लोक प्राधिकार प्रखंड विकास पदाधिकारी, फुलवारीशरीफ के विरूद्ध 5 हजार रुपये का अर्थ दंड लगाते हुए उनसे कारण-पृच्छा की गई। साथ ही सुनवाई की अगली तिथि को परिवाद का नियमानुसार निवारण करते हुए कृत कार्रवाई प्रतिवेदन के साथ उपस्थित रहने का निदेश दिया गया।
डीएम डॉ. सिंह ने कहा कि लोक शिकायतों का ससमय तथा गुणवत्तापूर्ण निवारण अत्यावश्यक है। लोक प्राधिकारों को तत्परता प्रदर्शित करनी होगी।
डीएम डॉ. सिंह ने कहा कि बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम, 2015 का सफल क्रियान्वयन प्रशासन की सर्वाेच्च प्राथमिकता है। सभी पदाधिकारी इसके लिए सजग, संवेदनशील तथा सक्रिय रहें।
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