एक साथ विश्व प्रसिद्ध शायरों कलीम क़ैसर ,क़ासिम खुर्शीद, ताहिर फ़राज़ ,शबीना अदीब ,लक्ष्मी शंकर से मंच सजा
डा कलीम क़ैसर
एक साथ विश्व प्रसिद्ध शायरों कलीम क़ैसर ,क़ासिम खुर्शीद, ताहिर फ़राज़ ,शबीना अदीब ,लक्ष्मी शंकर से मंच सजा
पटना,
बिहार के कला संस्कृति एवं युवा विभाग और संगीत नाटक अकादमी के संयुक्त तत्वधान में एक ऐसा इतिहास गत रोज़ शाद अजीमाबादी की याद में पूरे भव्य परिसर को बहुत ही खूबसूरती के साथ सजाकर परिसर के आलीशान हॉल में एक साथ विश्व प्रसिद्ध रचनाकारों यथा डा कलीम क़ैसर डा क़ासिम खुर्शीद ताहिर फ़राज़ शबीना अदीब लक्ष्मी शंकर वाजपेयी को एक साथ इस यादगार मुशायरे कवि सम्मेलन में जमा किया और साथ ही दूसरे बेहतरीन कवि शायर नीलोत्पल मृणाल शंकर कैमूरी संदीप द्विवेदी आदि को अजीमाबाद के बेहद सजग श्रोताओं को खूब खूब सुना । पहले हिस्से की अध्यक्षता संगीत नाटक अकादमी के पूर्व अध्यक्ष और प्रसिद्ध कवि आलोक धनवा ने की जब के दूसरे हिस्से की सदारत डा कलीम कैसर ने की।
उद्घाटन के के उपरांत बेहद कल्पनाशील सक्रिय श्री दया निधान पांडे सचिव कला सचिव संस्कृति एवं युवा विभाग श्री ने अपने संबोधन में इस आयोजन को सपने के साकार होने जैसा बताया और एक साथ मंच पर दुनिया के बड़े शायर कवि की मौजूदगी पर बेहद प्रसन्नता व्यक्त की और शाद का एक बेहतरीन शेर पढ़कर खूब तालियों से आयोजन की सफलता का समर्थन प्राप्त किया।
तमन्नाओं में उलझाया गया हूं
खिलौने दे के बहलाया गया हूं
जब मंच विश्व विख्यात शायर बिहार की शान डा क़ासिम खुर्शीद को सौंपा गया तो अपनी मौजूदगी और संबोधन से सभी को मंतमुग्ध करते हुए शाद अज़ीमाबादी के विषय में बहुत ही असरदार बातें कहीं उनके कई मशहूर अशआर का हवाला भी दिया।
ढूंढोगे अगर मुल्कों मुल्कों मिलने के नहीं नायाब हैं हम
ताबीर है जिसकी हसरतो ग़म
ऐ हम नफ़्सो वो ख्वाब हैं हम
उन्हें ने शाद की याद को सलाम करते हुए जहां बेहतरीन संबोधन किया वहीं ये भी कहा कि मैं विभाग और बिहार सरकार को दिल की गहराई से बधाई देता हूं कि यूं तो हम अपनी अपनी सतह पर शादवको याद करते हैं मगर पहली बार हमारी सरकार ने पूर्व से यादगारी खुतबे के साथ एक शायर की बेहतरीन और रौशन स्मृति के लिए इतने भव्य मुशायरे कवि सम्मेलन का आयोजन किया। बहुत बधाई। फिर इसके बाद मुशायरे का सिलसिला शुरू हुआ और स्थानीय शायर तलत परवीन के कलाम से मुशायरे का आगाज़ हुआ।उनके कलाम को लोगों ने मुहब्बत से सुना।फिर शंकर कैमूरी ने खास अंदाज में अपना कलाम सुनाया और मुशायरा धीरे धीरे रंग में आने लगा।फिर हिंदी के युवा कवि संदीप द्विवेदी ने अध्यात्म को आधार बनाकर बेहतरीन कविताएं पेश की। चर्ची कवि नीलोत्पल मृणाल आए तो महफिल में अलग रंग आया उनके कलाम ने श्रोता को नई दुनिया की सैर करवाई ।फिर शंकर कैमूरी ने बेहतरीन संचालन से मुशायरा कामयाब बनाने वाले डा क़ासिम खुर्शीद से उनके कलाम पेश करने के दौरान श्रोताओं को बताया के एक बेहतरीन रचनाकार शायर और खूबसूरत इंसान डा क़ासिम खुर्शीद पूरी दुनिया में जाने जाते हैं अभी खाड़ी देश बहरीन से कामयाब मुशायरा पढ़कर आए हैं जहां इस मैच पर मौजूद दूसरे आलमी शायर ताहिर फ़राज़ भी मौजूद थे । फिर हुक्म की तामील में श्रोताओं की ज़ोरदार तालियों के दरम्यान क़ासिम खुर्शीद ने शाद को याद करते हुए अपनी काई बेहतरीन ग़ज़लों से माहौल बदल डाला मुशायरा आने वाले दूसरे शायरों में लिए बेहतरीन माहौल भी बना गया।उनके हर शेर ने दिल पर दस्तक दी।
कहीं मुझ में सफ़र रहता है जारी
मगर मैं तो वहां होता नहीं हूं
तुम्हारी याद के जुगनू हैं मेरी आंखों में
तुम्हारी याद से सारा मकान रौशन है
वो जब से मर गया मुझ में न दस्तक है न बेचैनी
ख़मोशी है सदा मेरी सदा से चोट लगती है
फिर डा क़ासिम खुर्शीद ने विस्तृत परिचय के साथ विभिन्न देशों में अपनी कविताओं ग़ज़लों के लिए चर्चित कई राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित लक्ष्मी शंकर वाजपाई को रचना पाठ वीके लिए आवाज़ दी तो उन्हों ने कई ख़ुसूरत नज़्में सुनाई तरन्नुम से ग़ज़लें भी पेश करते रहे और श्रोता जज़्बात में डूब कर सुनते रहे।
स्वास्थ कारणों से अध्यक्ष कवि आलोक धन्वा मंच पर नहीं बैठ सकते थे इस लिए क़ासिम खुर्शीद स्वयं उनके पास गए और श्रोतों के ज़ोरदार समर्थन से आलोक धनवा से सुनने का विनम्र आग्रह किया फिर उन्हें ने शाद को याद करते हुए साथ ही उर्दू शायरी की कई बेहतरीन रचनाओं ने लोगों को परिचित करवाया साथ ही शाद की इस बेहतरीन स्मृति को नमन करते हुए शायरी की अजमत की शायरी के जरिए ही कई खूबसूरत मिसालें पेश की और लोग झूमते रहे।
फिर शबीना अदीब को आवाज दी गई तो सारा हॉल ही जैसे झूम उठा उन्हें खूब खूब सुना गया कई फरमाइशें भी हुई और वो पूरी करती रहीं
ख़मोश लब हैं झुकी हैं पलकें दिलों में उल्फ़त नई नई है
अभी तकल्लुफ है गुफ्तगू में
अभी मुहब्बत नई नई है
जो खानदानी रईस हैं वो मिज़ाज रखते हैं नर्म अपना
तुम्हारा लहजा बता रहा है तुम्हारी दौलत नई नई है
फिर यही हाल ताहिर फ़राज़ का रहा लोग फरमाइश करते रहे और वो अपना कलाम पेश करते रहे । ताहिर फ़राज़ ने आलोक धन्वा से प्रभावित होकर बचपन की यादों पर बड़ी खूबसूरत नज़्म पेश की जिस ने सब को संवेदन शील कर दिया।उनके ये अशआर भी पसंद किए गए।
वो सर भी काट देता तो होता न कुछ मलाल
अफ़सोस ये की उसने मेरी बात काट दी
बेसबब उलझनों में रहते हो
मुझ को तस्लीम क्यों नहीं करते
और जब दूसरे अध्यक्ष डॉ कलीम क़ैसर कलाम पेश करने का आग्रह किया गया तो
उन्होंने सब से पहले शाद की याद को सलाम करते हुए बताया कि मैं चार दशक से बिहार आ रहा हूं बहुत सम्मान और स्नेह मिला है मगर मैं ज़िम्मेदारी से कह रहा हूं कि ये मुशायरा अब तक का सब से कामयाब और बहुत स्तरीय मुशायरा हुआ जिस में दुनिया के बड़े शायरों के साथ नए लोगों की रचनाओं ने भी बहुत मुतसीर किया विभाग के साथ मैं डा क़ासिम खुर्शीद को भी बधाई देता हूं कि अपनी खूबसूरत शायरी के साथ बहुत ही दिल से पूरे मुशायरे की निज़ामत की है। फिर कलीम केसर की भी कई मशहूर ग़ज़लों के साथ लोग उनके नए कलाम भी सुन कर भाव विभोर होते रहे।
इश्क़ करो तो पागल कर दो
या पागल हो जाओ
रौशन कुछ इमकान नहीं है
घर में रौशन दान नहीं है
वफ़ा दारी का दावा कर रहे हो
तो क्यों दुनिया की परवाह कर रहे हो
फिर इस यादगार मुशायरे पर विशेष रूप से संगीत नाटक अकादमी ने शुक्रिए की तजवीज़ रखी।
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