संजय गांधी जैविक उद्यान, पटना में "वन्यप्राणी सप्ताह" के पांचवें दिन गौरैया संरक्षण पर कार्यशाला आयोजित

संजय गांधी जैविक उद्यान, पटना में "वन्यप्राणी सप्ताह" के पांचवें दिन गौरैया संरक्षण पर कार्यशाला आयोजित

गौरैया की घर वापसी और उसके संरक्षण को लेकर  बनी राज्य कार्ययोजना 
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पटना: 6-10-2024
संजय गांधी जैविक उद्यान, पटना में "वन्यप्राणी सप्ताह" के पांचवें दिन रविवार (06-10-2024) को गौरैया संरक्षण को लेकर कार्यशाला आयोजित की गयी जिसमें गौरैया की घर वापसी और उसके संरक्षण को लेकर  राज्य कार्ययोजना पर विस्तार से चर्चा हुई। 
गौरैया संरक्षण पर सालों से कार्यरत पीआईबी-सीबीसी पटना के उपनिदेशक संजय कुमार ने ‘गौरैया जनसंख्या के लिए खतरों की पहचान, शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में गौरैया की आबादी के लिए बड़ा खतरा’ विषय पर विस्तार से प्रकाश डाला और कहा कि गौरैया की विलुप्ति के कारणों में गौरैया की संख्या में कमी के पीछे  के कारणों में कंक्रीट के जंगल से उत्पन आवासीय संकट, आहार की कमी, खेतों में  कीटनाशक  का प्रयोग, जीवनशैली में बदलाव, जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण, शिकार, बीमारी और मोबाइल आदि को ख़त्म नहीं कर सकते लेकिन गौरैया की घर वापसी के लिए पहल जरुर कर सकते हैं। और नियमित दाना-पानी रखने, घोंसला (बॉक्स) और पेड़ लगाने से गौरैया की घर वापसी हुई है और हो रही है।उन्होंने ‘बिहार में गौरैया की स्थिति: वितरण, चुनौतियाँ और अवसर’ भी  विस्तार से चर्चा की।
पटना जू के निदेशक सत्यजीत कुमार ने कहा कि गौरैया कार्यशाला एक महत्वपूर्ण कदम है इसके ज़रिए अपनी राजकीय पक्षी गौरैया की पटना में घर-घर वापसी की पहल ही मक़सद है।उन्होंने कहा कि गौरैया की घर वापसी  को लेकर विभाग ने पहल शुरू कर दी है।इसकी ज़िम्मेदारी पटना जू को मिली है और कार्ययोजना को लागू किया जाएगा।
पर्यावरणविद् अजीत झा ने कहा कि गौरैया संरक्षण के लिए निरंतर प्रयास की आवश्यकता है। पीआईबी के पूर्व निदेशक दिनेश कुमार ने कहा कि गौरैया के संरक्षण पहल में हमें सबसे पहले उनके साथ भरोसा पैदा करना होगा। आज उनके लिए हमारे घर में जगह नहीं बची है।
पटना जू के उपनिदेशक शशि भूषण प्रसाद ने कहा  गौरैया को दोस्त बनाने की जरुरत है। वहीं पटना जू के  वन क्षेत्र पदाधिकारी  जंतु प्रक्षेत्र आनंद कुमार ने  बताया कि गौरैया संकट के लिए आधुनिक होता जीवन भी ज़िम्मेदार है ।वहीं गौरैया संरक्षकों के प्रयास से दिनों दिन गौरैया संरक्षण को लेकर जागरूकता बढ़ती जा रही है।  वनस्पति प्रक्षेत्र पदाधिकारी अरविंद वर्मा ने कहा कि गौरैया हमारी सांस्कृतिक धरोहर है।इससे बचाना हमारा दायित्व है।
गौरैया संरक्षक और इन्वारर्मेंट वैरियर के अध्यक्ष निशांत रंजन ने बिहार में गौरैया के आवास की आवश्यकताएं और वर्तमान आवास की स्थिति’ पर प्रकाश डाला और बताया कि पटना में गौरैया की अच्छी स्थिति है।
गौरैया संरक्षक और इन्वारर्मेंट वैरियर के दिग्विजय ने बचपन की साथी गौरैया के बारे में विस्तार से बताया और उसके जीवन पर चर्चा किया।
वरिष्ठ पत्रकार अमित कुमार ने कहा कि गौरैया कैसे आएगी।कोई ज़रूरी नहीं कि बॉक्स लगाने से गौरैया आएगी लेकिन प्रयास करने से सफलता ज़रूर मिलेगा। उन्होंने बताया कि मैंने ख़ुद प्रयास किया और मेरे घर से ग़ायब गौरैया वापस आयी।
गौरैया प्रेमी आशा प्रसाद ने गौरैया संरक्षण से जुड़ाव की अपनी कहानी साझा की और बतायी कि कैसे उन्होंने गौरैया को घर बुलायी। गौरैया के साथ साथ कई चिड़ियाँ भी आने लगी।
कार्यशाला में गौरैया की घर वापसी को लेकर कार्य योजना पर गहन विमर्श हुआ और कई बिंदुओं पर कार्य योजना बनी, जिसमें गौरैया जनसंख्या वाले क्षेत्रों का चयन और संरक्षण के प्रसार के लिए जनभागीदारी को जोड़ने की योजना बनी। मौके पर पटना जू के अम्बेस्टर मौजूद रहे।
इस अवसर डॉल्फिन विशेषज्ञ डॉ गोपाल शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार मृतुंजय माणि, डॉ लीना, संजय गाँधी जैविक उद्यान, पटना मो० आरिफ, जू-बायोलॉजिस्ट इत्यादि मौजूद थे।कार्यक्रम का संचालन मुस्कान और धन्यवाद ज्ञापन आनंद कुमार ने किया ।
मौक़े पर पटना जू के नेचर लाइब्रेरी में गौरैया संरक्षण पर फोटो प्रदर्शनी आयोजित की गई।

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