डीएम द्वारा लोक शिकायत के 26 मामलों की सुनवाई की गई
कार्यों में शिथिलता तथा लोक शिकायत निवारण में अरूचि एवं असंवेदनशीलता के आरोप में एक लोक प्राधिकार के विरूद्ध कार्रवाई की गई
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अंचल अधिकारी, फुलवारीशरीफ से स्पष्टीकरण किया गया
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बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम, 2015 का सफल क्रियान्वयन प्रशासन की सर्वाेच्च प्राथमिकता; सभी पदाधिकारी इसके लिए सजग, संवेदनशील तथा सक्रिय रहेंः डीएम
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पटना, शनिवार, दिनांक 28 सितम्बर, 2024ः जिलाधिकारी, पटना डॉ. चन्द्रशेखर सिंह द्वारा आज अपने कार्यालय-कक्ष में बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम, 2015 के तहत द्वितीय अपील में शिकायतों की सुनवाई की गयी और उसका निवारण किया गया। लोक शिकायत निवारण में लापरवाही बरतने के आरोप में एक लोक प्राधिकार के विरूद्ध कार्रवाई की गई।
डीएम डॉ. सिंह द्वारा आज लोक शिकायत निवारण के कुल 26 मामलों की सुनवाई की गई। 10 मामलों का ऑन द स्पॉट निवारण किया गया तथा 16 मामलों में अंतरिम आदेश पारित किया गया। कार्यों में शिथिलता तथा जनहित के मामलों में असंवेदनशीलता के आरोप में लोक प्राधिकार अंचल अधिकारी, फुलवारीशरीफ से स्पष्टीकरण किया गया। साथ ही, अंचल अधिकारी, पटना सदर को सदर अंचल में पदस्थापित तत्कालीन राजस्व कर्मचारी, जो वर्तमान में निलंबित हैं, के विरूद्ध पूरक प्रपत्र ‘क’ गठित कर उपलब्ध कराने का निदेश दिया गया।
दरअसल अपीलार्थी श्री कुमार मणिकांत, पता-महुली, पोस्ट-सुईथा, अंचल-फुलवारीशरीफ, अनुमंडल-पटना सदर, जिला-पटना द्वारा जिलाधिकारी के समक्ष लोक शिकायत निवारण हेतु द्वितीय अपील में वाद दायर किया गया है। परिवाद का विषय परिमार्जन नहीं करने केे संबंध में है। जिलाधिकारी ने सुनवाई में पाया कि अंचल अधिकारी, फुलवारीशरीफ द्वारा इस मामले में कोई सकारात्मक, सार्थक एवं ईमानदार प्रयास नहीं किया जा रहा है। उनका प्रतिवेदन भी अस्पष्ट एवं असंतोषजनक है। अंचल अधिकारी द्वारा परिवादी से कागजात की अनावश्यक मांग की जा रही है जबकि मामला काफी सामान्य है। परिवादी द्वारा जमाबंदी पर खेसरावार रकबा अंकित करने का अनुरोध किया गया है। जिलाधिकारी ने कहा कि परिवादी द्वारा अनुमंडल लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी, पटना सदर के समक्ष दिनांक 30.01.2024 को ही परिवाद दायर किया गया था। लगभग आठ महीना की अवधि में भी परिवाद अंचल अधिकारी, फुलवारीशरीफ के स्तर पर ही लंबित है। जिलाधिकारी ने कहा कि यह अत्यंत खेदजनक है। लोक प्राधिकार का यह व्यवहार लोक शिकायत निवारण की मूल भावना के प्रतिकूल है। उनकी इस कार्यशैली से आवेदक की समस्या का इतने दिनों में भी समाधान नहीं हो सका है। उन्होंने कहा कि यह उनकी स्वेच्छाचारिता, शिथिलता तथा असंवेदनशीलता को प्रदर्शित करता है। असंतोषजनक एवं अस्पष्ट प्रतिवेदन देने, लोक शिकायत के मामलों में असंवेदनशीलता प्रदर्शित करने तथा शिकायत निवारण में विलंब के कारण जिलाधिकारी द्वारा लोक प्राधिकार अंचल अधिकारी, फुलवारीशरीफ से कारण-पृच्छा की गई। साथ ही उन्हें निदेशित किया गया कि सुनवाई की अगली तिथि से पूर्व परिवाद का नियमानुसार निवारण करते हुए कृत कार्रवाई प्रतिवेदन के साथ सुनवाई में उपस्थित रहेंगे।
एक अन्य मामले में अपीलार्थी श्री गोपाल प्रसाद चन्द्रवंशी, पता-नाला रोड, महावीर स्थान, अंचल-पटना सदर, अनुमंडल-पटना सदर, जिला-पटना द्वारा जिलाधिकारी के समक्ष लोक शिकायत निवारण हेतु द्वितीय अपील में वाद दायर किया गया है। अपीलार्थी की शिकायत दाखिल खारिज के संबंध में है। लोक प्राधिकार अंचलाधिकारी, पटना सदर द्वारा सुनवाई में बताया गया कि राजस्व अभिलेख से मिलान में पाया गया कि तत्कालीन राजस्व कर्मचारी श्री शशि शंकर द्वारा एक ही भूमि का अलग-अलग एवं त्रुटिपूर्ण प्रतिवेदन समर्पित किया गया है। इस संबंध में श्री शंकर से स्पष्टीकरण की मांग की गई है। वे अभी निलंबित हैं तथा उनका मुख्यालय मसौढ़ी अंचल है। जिलाधिकारी द्वारा अंचल अधिकारी, पटना सदर को तत्कालीन राजस्व कर्मचारी श्री शशि शंकर के विरूद्ध पूरक प्रपत्र ‘क’ गठित कर उपलब्ध कराने का निदेश दिया गया ताकि इस मामले में भी शिथिलता, अनियमितता एवं लापरवाही के कारण उनके विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए।
डीएम डॉ. सिंह ने कहा कि लोक शिकायतों का ससमय तथा गुणवत्तापूर्ण निवारण अत्यावश्यक है। लोक प्राधिकारों को तत्परता प्रदर्शित करनी होगी।
डीएम डॉ. सिंह ने कहा कि बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम, 2015 का सफल क्रियान्वयन प्रशासन की सर्वाेच्च प्राथमिकता है। सभी पदाधिकारी इसके लिए सजग, संवेदनशील तथा सक्रिय रहें।
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