लघु और सीमांत किसानों के लिए समेकित मत्स्य पालन आवश्यक : डॉ. अनुप दास
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना में दिनांक 26 अगस्त 2024 को “समेकित मत्स्य पालन की आधुनिक तकनीकियाँ” विषय पर पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ | यह प्रशिक्षण कार्यक्रम दिनांक 30 अगस्त 2024 तक चलेगा, जिसमें दरभंगा जिले के 30 मत्स्य पालक भाग ले रहे हैं | प्रशिक्षण कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह के अवसर पर संस्थान के निदेशक डॉ. अनुप दास ने मछली उत्पादन के क्षेत्र में दरभंगा और मधुबनी के किसानों के योगदानों की सराहना की। उन्होंने बताया कि लघु और सीमांत किसान समेकित मत्स्य पालन द्वारा उन्नत किस्म की फलों, सब्जियों, पशुओं और मछलियों की प्राप्ति कर सकते हैं। मौसम की सामयिक अवांछित कुप्रभाव के असर को झेलने में समेकित मत्स्य पालन किसानों की आर्थिक दर्द को दूर करने में मदद का काम करता है, क्योंकि एक फसल के नुकसान की भरपाई दूसरे फसल के लाभ से किया जा सकता है। उन्होंने किसानों के लिए समेकित मत्स्य पालन के विभिन्न घटकों तथा इससे जीविकोपार्जन के बारे में विस्तार से वर्णन किया |
डॉ. उज्ज्वल कुमार, प्रभागाध्यक्ष, सामाजिक-आर्थिक एवं प्रसार ने मत्स्य पालकों को इस संस्थान में समेकित मत्स्य पालन से संबंधित सुविधाओं और गतिविधियों की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने किसानों को प्रशिक्षण से ज्ञान प्राप्त करने का आग्रह किया, जिससे उन्हें मछली पालन करने में हो रही कठिनाइयों का वास्तविक समाधान मिल सके। डॉ. कमल शर्मा, प्रभागाध्यक्ष, पशुधन एवं मात्स्यिकी प्रबंधन ने प्रशिक्षण में सम्मिलित समेकित मत्स्य पालन के प्रत्येक कार्यक्रम के बारे में किसानों को जानकारी दी। उद्घाटन समारोह के दौरान प्रशिक्षण के समन्वयक के रूप में डॉ. ज्योति कुमार, वरिष्ठ वैज्ञानिक; डॉ. तारकेश्वर कुमार, वैज्ञानिक एवं डॉ. विवेकानन्द भारती, वैज्ञानिक उपस्थित थे। साथ ही, डॉ. पी. सी. चंद्रन, प्रधान वैज्ञानिक; डॉ. मनोज त्रिपाठी, वैज्ञानिक; डॉ. राकेश कुमार, वैज्ञानिक; श्री अमरेंद्र कुमार, तकनीकी अधिकारी एवं श्री सुनील, वरिष्ठ तकनीशियन भी प्रशिक्षण के उद्घाटन में उपस्थित थे।
0 Response to "लघु और सीमांत किसानों के लिए समेकित मत्स्य पालन आवश्यक : डॉ. अनुप दास"
एक टिप्पणी भेजें