*“सैयाँ बोल दो तनिक मोसे रहियों न जाए और तुमको आने में, तुमको मनाने में कही सावन बरस जाए साजना गीतों ने श्रोताओं को मोहा*
*शहनाई और वायलिन की जुगलबंदी पर झूमे पटना वासी*
कला, संस्कृति एवं युवा विभाग द्वारा भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खान शास्त्रीय संगीत महोत्सव का शुभारंभ
पटना 21 अगस्त 2024
आज श्री कृष्ण मेमोरियल हाल में भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खान की स्मृति में शास्त्रीय संगीत महोत्सव का आयोजन किया गया कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि श्री विजय कुमार सिन्हा, उप मुख्यमंत्री, बिहार ने पटना के सांसद श्री रवि शंकर प्रसाद, कला संस्कृति एवं युवा विभाग की अपर मुख्य सचिव श्रीमती हरजोत कौर, प्रसिद्ध शहनाई वादक पंडित राजेन्द्र प्रसन्ना, विदुषी कौशिकी चक्रवर्ती की उपस्थिति मे दीप प्रज्ज्वलित कर किया। इसके बाद सभी अतिथियों ने भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खान के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दिया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए माननीय उप मुख्यमंत्री ने कहा कि यह बहुत ही गौरव की बात है कि कला संस्कृति एवं युवा विभाग भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खान की स्मृति में संगीत महोत्सव का आयोजन कर रहा है। बिस्मिल्लाह खान जी कला के एक ऐसे प्रतिमान थे जिनका पूरा जीवन संगीत को समर्पित था। 2001 में स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी के काल मे उन्हें और लता मँगेसकर जी को भरत रत्न से सम्मानित किया गया था। इस प्रकार के आयोजन हमारी समृद्ध विरासत को प्रचारित करने का काम करेंगे।
कला संस्कृति एवं युवा विभाग की अपर मुख्य सचिव श्रीमती हरजोत कौर ने कहा कि शहनाई का जब-जब नाम आता है उस्ताद बिस्मिल्लाह खान का अक्स हमारे दिल और दिमाग में उभर जाता है, उन्हें शहनाई का जादूगर कहते थे । उस्ताद बिस्मिल्लाह खान का जन्म बिहार के डुमराव के शाहाबाद में 21 मार्च 1916 को हुआ था । उस्ताद के परिवार का संगीत से गहरा संबंध था । इस सरस्वती पुत्र ने काशी की धरती पर अपनी कला को साधा। गंगा के तट पर बैठकर जिन्होंने रियाज़ किया और बालाजी मंदिर एवं बाबा विश्वनाथ के दरबार में अपने संगीत को भक्ति में का माध्यम बनाकर समर्पित किया। वे धर्म की सीमाओं में कभी नहीं बँधे।। आज उनकी स्मृति में आयोजित स्मृति में शास्त्रीय संगीत महोत्सव में बनारस घराने के प्रसिद्ध शहनाई वादक पंडित राजेन्द्र प्रसन्ना और हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत गायिका विदुषी कौशिकी चक्रवर्ती जी प्रस्तुति देंगी।
इस कार्यक्रम मे शहनाई और वायलिन की जुगल बंदी, प्रसिद्ध शहनाई वादक पंडित राजेन्द्र प्रसन्ना एवं वायलिन वादक पंडित संतोष नाहर का कार्यक्रम हुआ। तबले पर संगत श्री राज कुमार नाहर ने किया। कार्यक्रम की शुरुआत राग मधुवंती में पहले आलाप जोड़ से हुई । इसके बाद इसी राग मे मध्य लय तीन ताल और द्रुत तीन ताल की बंदिशे बजाईं। इसके बाद राग पूर्वी और फिर कार्यक्रम के अंत मे बिस्मिल खान साहब का पससंदीदा कजरी की प्रस्तुति की।
कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए विदुषी कौशिकी चक्रवर्ती ने अपने गायन की शुरुआत राग विहाग बिलम्बित के बोल गोरी तेरो राज से की । इसके बाद उन्होंने द्रुत की बंदिश अब तो रट लागि की प्रस्तुति दी। आगे उन्होंने सैयाँ बोलो मोसे तनिक रहियो न जाए ” कजरी ने श्रोताओं को मोह लिया। इसके बाद उन्होंने अपनी अगली प्रस्तुति तुमको आने में, तुमको बुलाने में।कही सावन न बरस जाए साजना की प्रस्तुति दी।
कार्यक्रम के अंत में सभी कलाकारों को प्रतीक चिह्न और शाल देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में, रेरा के अध्यक्ष श्री विवेक कुमार सिंह महानिदेशक विजिलेन्स श्री आलोक राज, अपर मुख्य सचिव शिक्षा विभाग डॉ एस सिद्धार्थ, सचिव, पशुपालन एवं मतस्य संसाधन विभाग डॉ एन विजयलक्ष्मी, विशेष सचिव श्रीमती सीमा त्रिपाठी, apar निदेशक सांस्कृतिक कार्य श्रीमती रूबी सहित पटना के कला प्रेमी, गायक, विभिन्न विभागों के प्रतिनिधियों सहित लगभग 1200 गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे।
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