पर्यावरणविदों के लिए आहूत संगोष्ठी में राज्य के सभी जिलों के पर्यावरणविद एवं वन पदाधिकारी वीडियों कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से सम्मिलित हुए,

पर्यावरणविदों के लिए आहूत संगोष्ठी में राज्य के सभी जिलों के पर्यावरणविद एवं वन पदाधिकारी वीडियों कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से सम्मिलित हुए,

डॉ० प्रेम कुमार, माननीय मंत्री, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, बिहार की अध्यक्षता में दिनांक- 16.07.2024 को पर्यावरणविदों के लिए आहूत संगोष्ठी में राज्य के सभी जिलों के पर्यावरणविद एवं वन पदाधिकारी वीडियों कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से सम्मिलित हुए, जिसमें बिहार राज्य में उनके द्वारा किये जा रहे प्रयासों तथा सुझाव के संबंध में विचार-विमर्श किया गया। संगोष्ठी में भाग लेने वाले पर्यावरणविदों के द्वारा जानकारी दी गयी कि पर्यावरण संरक्षण हेतु उनके स्तर से विभागीय योजनाओं का प्रचार-प्रसार किया जाता है, जिससे योजनाओं से हितधारक लाभान्वित हो रहे हैं। इसके अतिरिक्त भी उनके स्तर से किये जा रहे संरक्षण के अभिनव प्रयास तथा सुझाव साझा किया गया। पर्यावरण संवर्द्धन के लिए राज्य के सभी व्यक्तियों का प्रयास आवश्यक है, जिससे जलवायु परिवर्तन के कुप्रभाव को कम किया जा सके। संगोष्ठी में वृक्षारोपण, जिले के मृदा जलवायु के अनुसार उपयुक्त प्रजाति के पौधों का रोपण, हरित ईको टूरिज्म, ग्रीन क्रेडिट, कार्बन फुटप्रिन्ट, सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध, आर्द्रभूमि जैव विविधता, पक्षी एवं वन्य जीव संरक्षण, आश्रयणी प्रबंधन, अवैध खनन, शिकार, नदी के संरक्षण एवं उसे प्रदूषण मुक्त करने के संबंध में जिला स्तर से विद्यालय के शिक्षक, महाविद्यालय के प्राध्यापक, वन्य जीव हितैषी, पक्षी संरक्षक एवं अन्य पर्यावरणविदों के द्वारा सुझाव दिया गया।

संगोष्ठी में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ प्रेम कुमार ने सभी पर्यावरणविद एवं परामर्शी का स्वागत कर धन्यवाद दिया तथा पर्यावरण संरक्षण के लिए जन-सहयोग की आवश्यकता बतायी। माननीय मंत्री महोदय के द्वारा कहा गया कि प्रदेश के विभाजन के समय मात्र 1/3 7 प्रतिशत हरित आवरण था, जो वर्तमान में 15 प्रतिशत है, जिसे वर्ष 2028 तक 17 प्रतिशत तक विस्तारित करने हेतु कार्य किया जा रहा है। माननीय प्रधानमंत्री महोदय के द्वारा देश भर में एक पेड़ माँ के नाम अन्तर्गत वृक्षारोपण किया जा रहा है, जिससे निश्चित रूप से जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणाम से बचा जा सकता है। प्रतिकूल होते पर्यावरण के कारण आज जलवायु परिवर्तन और आपदाओं का संकट हम सब जीव झेल रहे हैं। पर्यावरण को सुरक्षित एवं संरक्षित करने के लिए इस पृथ्वी पर पेड़-पौधों का रहना नितांत आवश्यक है। माननीय मंत्री, महोदय ने अपनी बातों को विस्तार से बताते हुए आगे कहा कि एक पेड़ पूरे जीवन काल में करोड़ों रुपए का सिर्फ ऑक्सीजन हमें देता है। 60 टन से अधिक कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है। पेड़ के नीचे वातावरण से चार डिग्री सेंटीग्रेड तापमान का अंतर रहता है। मिट्टी के क्षरण को रोकता है। वर्षा कराने में जंगलों की अहम भूमिका होती है। पेड़ से छाया, फल, फूल आदि मिलते हैं। वनों से लकड़ी की प्राप्ति होती है। पशुओं का चारा मिलता है। यह ध्वनि अवशोषक की तरह काम करता है, जिससे ध्वनि प्रदूषण कम होता है। जिस घर-आंगन के पास 10 पेड़ लगे होते हैं वहां के लोगों की औसत आयु 7 वर्ष अधिक हो जाती है। हमें बरगद, पीपल और नीम के पेड अधिक से अधिक लगाने चाहिए जो हमें सर्वाधिक आक्सीजन देते हैं। इन पेड़ों की लंबी आयु होती है, जिसका लाभ अधिक समय तक मिलता है। इन पेड़ के घनें पत्ते होते हैं और उनकी पत्तियों से सर्वाधिक आक्सीजन की प्राप्ति होती है। माननीय मंत्री, महोदय के द्वारा बताया गया कि वन विभाग द्वारा प्रत्येक जिले में पौधारोपण किया जा रहा है। गया जिले के पहाड़ी पर हरियाली बढ़ाने हेतु सीड बॉल का इस्तेमाल किया गया है तथा मृदा एवं नमी संरक्षण कार्य भी किया जा रहा है। विभाग द्वारा पर्यावरण संबंधी विषय पर अलग-अलग बैठक का आयोजन कर हितधारकों/पर्यावरणविदों से सुझाव प्राप्त कर समीक्षोंपरान्त योजना तैयार की जायेगी, जिससे पर्यावरण एवं वन तथा इसके सभी अवयव सुरक्षित रहेगें।

कार्यक्रम में श्री एन० जवाहर बाबू, प्रधान मुख्य वन संरक्षक, श्री अभय कुमार, अपर सचिव एवं श्री सुरेन्द्र सिंह, मुख्य वन संरक्षक-सह-निदेशक, हरियाली मिशन, श्री एस० कुमारासामी, वन संरक्षक-सह-अपर निदेशक, हरियाली मिशन एवं वन प्रमंडल पदाधिकारी, जमुई के द्वारा मुख्यालय स्थित अरण्य भवन से भाग लिया गया।

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