*ऑफिस में काम करने वाले व्यक्ति को नियमित योग करना चाहिए*

*ऑफिस में काम करने वाले व्यक्ति को नियमित योग करना चाहिए*

                                                 
जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना, 19 जून, 2024 ::

मानव-जीवन वर्तमान समय में अत्यधिक अस्त-व्यस्त होता जा रहा है। ऐसे में योग जीवन को आसान बनाता है, इसलिए योग की सार्वभौमिक आवश्यकता है। पतंजलि ने इसे सुव्यवस्थित ढंग से प्रस्तुत किया है। योगसूत्र, योग दर्शन का मूल ग्रंथ है। योगसूत्र ने शारीरिक, मानसिक और आत्मिक शुद्धि की बात कही है।

योग में शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक स्वास्थ्य, सामाजिक स्वास्थ्य, आध्यात्मिक स्वास्थ्य, मांसपेशियों में लचीलापन, बेहतर पाचन तंत्र, आंतरिक अंगों की मजबूती, जीवनशैली से जुड़ी बीमारियां, डायबिटीज, बीपी, अस्थामा, जैसे रोग से बचाव, हृदय की धड़कने सामान्य, त्वचा में चमक बढ़ना, इम्यूनिटी, शरीर की ताकत और सहनशक्ति बढ़ना, एकाग्रता में सुधार, चिंता, तनाव और अवसाद दूर होना, ब्लड का सर्कूलेशन सही होना, वजन नियंत्रित करना, यह सब निहित है।
आयोग का अभ्यास दुनिया भर में किया जा रहा है। पिछले कई वर्षों से योग करने वाले की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। 

देखा जाय तो योग करना खुद को अनुशासित रखना होता है, क्योंकि योग जीवन जीने का एक तरीका होता है। योग केवल बीमारियों के होने से बचाव ही नही करता है, बल्कि बीमारी की अवस्था में जल्द ठीक भी करता है। कई ऐसे मामले देखने को मिला है कि की व्यक्ति बीमारी से काफी परेशान रहते है और जब वह योग करना शुरू करते हैं तो उसे बीमारी में राहत मिलने लगता है। यदि नियमित रूप से योग किया जाए तो व्यक्ति निरोगी रहने लगता है।

महर्षि पतंजलि के अनुसार, चित्त की वृत्तियों को चंचल होने से रोकने के लिए  वृछासन, बकासन, भुजंगासन, त्राटक, म्यूरासन, नाड़ी शोधन और प्राणायाम  करने का प्रावधान किया गया है। पतंजलि ने योग में अष्टांग योग को महत्व दिया है, जिससे आत्मा और शरीर की अशुद्धियाँ दूर होती है, वह योग है यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि।

पूरा विश्व 21 जून को विश्व योग दिवस मनाता है, वही भारत में योग अभ्यास लोग 16 दिन योग कर हाथों में 12 प्रतिशत तक मजबूती बढ़ाते है, 8 सप्ताह योग कर 35 प्रतिशत शरीर में लचीलापन बढ़ाते है, एक घंटे के योग से 180 से 460 कैलोरी बर्न करते है, इस प्रकार अपुष्ट खबरों के अनुसार अपने देश में नियमित योग 07 प्रतिशत लोग करते हुए स्वास्थ्य लाभ ले रहे है। 

भारत में योग में लोग पीठ दर्द के लिए ताड़ासन, अर्ध कटिचक्रासन, त्रिकोणासन, बकासन, भूनमनासन, मार्जरी आसन, भुजंगासन, पादोत्तासन, एक पैर से पवनमुक्तासन, सेतुबंधासन और शलभासन करते है, वहीं, जोड़ों के दर्द के लिए मणिशक्ति, अंगुलीशक्ति, कपोनीशक्ति, स्कंधशक्ति, ग्रीवाशक्ति, विकासक और कटिसंचालन योग करते है। बच्चों के लिए 5 वर्ष के उम्र से ही अनुलोम-विलोम, मंत्रोचारण और दिपब्रिदिंग कराये जाते है, वहीं 7-8 वर्ष से सूर्य नमस्कार, चक्रासन, भुजंगासन और धनुरासन कराते है।

ऑफिस में काम करने वाले व्यक्ति को ताड़ासन, स्ट्रेचिंग, श्वास-प्रश्वास, नेक-शोल्डर-रिस्ट, चेयर सूर्य नमस्कार और भ्रामरी प्राणायाम  योग को नियमित करना चाहिए। इन सभी योग को करने से थकान को दूर कर सकते है। उसी तरह शरीर को फिट रखने के लिए चक्रासन, हलासन और बकासन योग करना चाहिए। इस तीन योग को करने से आँखों की रोशनी भी बढ़ती है। बहुत से लोग में  मोटापा या बढ़ता हुआ वजन चिंता का कारण बना रहता है, उनके लिए योग में त्रिकोणासन, धनुरासन, वीरभद्रासन और सर्वंगासन का प्रावधान किया गया है।
योग शिक्षकों का कहना है कि योग के दौरान ठंडा पानी पीने से बचना चाहिए। वहीं, प्रेगनेंसी में कपालभाति नहीं करना चाहिए। योग में सांसों पर भी ध्यान देना जरूरी होता है। कठिन योग करते समय यदि कोई दिक्कत होती है तो ऐसे योग को करने भी बचना चाहिए। सबसे महत्वपूर्ण बात है की बीमार रहने की स्थिति में किसी तरह का योग नही करना चाहिए।

योग में ब्लड प्रेशर, कब्ज, चेहरे की झुर्रियां, त्वचा में निखार, पैर दर्द, प्रजनन संबंधी विकार, पेट से सम्बंधित रोग, किडनी, पीठ की हड्डी, मानसिक रोग के लिए उतिष्ठ पद्मासन, स्वस्तिकासन, उत्तानपादासन, शवासन और भुजंगासन करते है।

देखा जाय तो “योग” संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ होता है “जुड़ना”। नियमित अभ्यास से शरीर, मन, चेतना और आत्मा के बीच संतुलन बनता है। दैनिक चुनौतियों में भी योग समस्याओं से निपटने में मानसिक और शारीरिक मदद करता है।
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