प्रखण्ड एवं जिला स्तर पर गठित जैव विविधता प्रबन्ध समितियों का प्रथम राज्य स्तरीय सम्मेलन का आयोजन वीडियो कॉन्फ्रेंस द्वारा अरण्य भवन सभागार से किया गया
आज दिनांक 25 जून, 2024 को प्रखण्ड एवं जिला स्तर पर गठित जैव विविधता प्रबन्ध समितियों का प्रथम राज्य स्तरीय सम्मेलन का आयोजन वीडियो कॉन्फ्रेंस द्वारा अरण्य भवन सभागार से किया गया। सम्मेलन की अध्यक्षता डॉ० प्रेम कुमार, माननीय मंत्री, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्त्तन विभाग द्वारा की गई।
इस सम्मेलन में राज्य के सभी जिला एवं प्रखण्ड स्तर पर संयोजित वीडियो कांफ्रेंसिंग केंद्रों से जैव विविधता प्रबन्धन समितियों के लगभग 20 हजार अध्यक्ष, सचिव एवं सदस्यों ने भाग लिया। इनके अतिरिक्त जिला स्तरीय केंद्रों से सभी वन प्रमण्डल पदाधिकारी तथा जिला पंचायती राज पदाधिकारियों ने भी सम्मेलन में हिस्सा लिया। इस अवसर पर राज्य मुख्यालय से सचिव, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्त्तन विभाग, बिहार, प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन बल प्रमुख), बिहार राज्य जैव विविधता पर्षद के अध्यक्ष, सचिव एवं अन्य वरीय वन पदाधिकारियों की प्रतिभागिता रही।
माननीय मंत्री, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्त्तन विभाग द्वारा अपने प्रेरणादायक सम्बोधन में जैव विविधता प्रबन्ध समितियों का उन्मुखीकरण करते हुए उनकी जैव विविधता संरक्षण के क्रिया-कलापों में सक्रिय सहभागिता की अपेक्षा की गई।
अपने उद्बोधन में माननीय मंत्री द्वारा उल्लेख किया गया कि प्रकृति तथा पर्यावरण संरक्षण को विकास प्रक्रियाओं के साथ संतुलित करने में जैव विविधता की भूमिका महत्वपूर्ण है। क्षेत्रीय स्तर पर जैव विविधता संरक्षण के हितों को धरातल पर सुनिश्चित करने में स्थानीय पंचायती राज शासन की सक्रिय सहभागिता अनिवार्य है।
उनके द्वारा यह व्यक्त किया गया कि जैव विविधता और पर्यावरण संरक्षण में जन भागीदारी सर्वथा जरूरी है एवं ये क्रिया-कलाप केवल सरकारी विभागीय कार्य न रहें एवं इन्हें जन आंदोलन का रूप दिया जाना वांछित है। इस प्रयोजन से जैव विविधता प्रबंध समितियों की सक्रियता भी महत्वपूर्ण है। उन्होंने वन विभाग द्वारा आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों यथा पर्यावरण दिवस, वन महोत्सव, वन रोपण अभियान, पृथ्वी दिवस एवं वन्य प्राणी सप्ताह के आयोजनों से जैव विविधत प्रबंध समितियों को जोड़ने का निर्देश दिया।
सचिव, पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्त्तन बिहार द्वारा प्रत्येक पंचायत में संधारित ‘‘जन जैव विविधता पंजी (Peoples Biodiversity Register) में स्थानीय प्रजाति के पेड़-पौधों, जड़ी-बूटी, घांस, कृषि उत्पाद, बागवानी, पशु एवं अन्य जलीय उत्पादन तथा प्राकृतिक वन क्षेत्रों का ब्यौरा इंगित किए जाने की महत्ता पर बल दिया गया।
प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन बल प्रमुख), बिहार द्वारा अपने संबोधन में जलवायु परिवर्त्तन एवं आद्रभूमि संरक्षण के पहलुओं से जैव विविधता के सम्बन्ध पर प्रकाश डाला गया। उनके द्वारा यह आश्वस्त किया गया कि वन विभाग का क्षेत्रीय संगठन पंचायती राज, कृषि, पशु एवं मतस्य संसाधन तथा नगर प्रशासन विभाग के सहयोग से पंचायतों के प्रबंध समितियों को उनके क्रिया-कलापों में अपेक्षित समर्थन उपलब्ध कराने हेतु तत्पर हैं।
अध्यक्ष, राज्य जैव विविधता पर्षद द्वारा जैव विविधता सम्बन्धी कानून के संदर्भ में पर्षद के उद्देश्यों एवं क्रिया-कलापों की जानकारी दी गयी। आगामी अगस्त से दिसम्बर, 2024 तक सभी जिलों में भी प्रशिक्षण कार्यशालाएं आयोजित किया जाएगा, जिससे कि सभी जैव विविधता प्रबंध समितियों की क्षमता का संवर्धन हो सके। इसके अलावा वन विभाग एवं अन्य संबंधित विभागों के पदाधिकारियों के लिए भी जैव विविधता विषय पर विशेष कार्यशालाएं आयोजित करने का कार्यक्रम है।
सम्मेलन में उपस्थित कुछेक अध्यक्षों से उनके विचार एवं सुझाव भी प्राप्त किए गए। उनके सुझावों में वृक्षारोपण में देशज प्रजाति यथा पीपल, बरगद, पाकड़, नीम, बेल, महुआ जैसे पौधों का रोपण किया जाए। पंचायतों में उपलब्ध भू-खण्डों पर जैव विविधता के संवर्धन हेतु कतिपय विशेष कार्यक्रम संचालित करने के सम्बन्ध में विचार व्यक्त किए गए। इसके अंतर्गत औषधीय पौधों के भू-खण्ड विकसित किए जा सकते हैं।
सम्मेलन का समापन सचिव, बिहार राज्य जैव विविधता पर्षद द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।
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