*बिहार खादी समर कैम्प में गौरैया मैन संजय कुमार ने प्रतिभागियों को जलवायु परिवर्तन और गौरैया संरक्षण के प्रति जागरूक किया*

*बिहार खादी समर कैम्प में गौरैया मैन संजय कुमार ने प्रतिभागियों को जलवायु परिवर्तन और गौरैया संरक्षण के प्रति जागरूक किया*


पटना:3जून2024


बिहार खादी समर कैंप के तीसरी सत्र में गौरैया संरक्षण पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। गौरैया मैन के नाम से प्रसिद्ध व प्रेस इन्फ़ॉर्मेशन  ब्यूरो-सीबीसी (पटना) के उपनिदेशक संजय कुमार ने प्रतिभागियों को जलवायु परिवर्तन एवं गौरैया संरक्षण की आवश्यकता के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए आज सत्र को संबोधित किया।

उन्होंने कहा कि वैश्विक तापमान को बढ़ाने वाले तत्वों मसलन वाहनों,विकास के नाम पर पेड़ों का काटना और प्लास्टिक का इस्तेमाल इसी प्रकार बढ़ता जायेगा तो आने वाले दिनों में पृथ्वी का तापमान बढ़ ही जाएगा।

उन्होंने गौरैया संरक्षण पर कहा कि 1950-70 के दशक में भारत में गौरैया की बहुत बड़ी आबादी देखी गई थी, लेकिन प्रतिकूल जलवायु परिवर्तन के कारण धीरे धीरे इसकी आबादी विलुप्त होने की कगार पर पहुंच गई।हाउस स्पैरो, ट्री स्पैरो जैसी विभिन्न प्रजातियाँ पाई जाती थीं और अब प्रतिकूल जलवायु प्रभाव के कारण हमें उन्हें संरक्षित महसूस कराने के लिए कृत्रिम स्पैरो हाउस बनाने पड़ रहे हैं।लोगों को जागरूक करने के लिए 'ओ री गौरैया  और 'अभी मैंने जिंदा हूं गौरैया  नाम से किताबें लिखी जोगौरैया को संरक्षित करने के लिए एक कदम उठाया है।


‘बढ़ते तापमान और जीव-जंतुओं के महत्व’ पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। उन्होंने आगे कहा कि पहले मिट्टी या खपड़े के मकान व हाथ-पंखे व घड़े के पानी के दौर से निकलकर हम पक्के मकान व फ्रीज एवं एयर कंडीशन के दौर में पहुंच चुके हैं। तेजी से उद्योग और प्लास्टिक उत्पादन से कार्बन का उत्सर्जन बढ़ता जा रहा है। ऐसे कई कारण हैं, जिससे पृथ्वी का तापमान लगातार बढ़ रहा है। 

अपने मुख्य भाषण में, श्री कुमार ने गौरैया की आबादी में चिंताजनक गिरावट पर प्रकाश डाला, यह प्रजाति एक समय भारत के शहरी और ग्रामीण परिदृश्यों में सर्वव्यापी थी। उन्होंने इस गिरावट के लिए निवास स्थान की हानि, प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को जिम्मेदार ठहराया। श्री कुमार कहा‌ गौरैया पर्यावरणीय स्वास्थ्य का संकेतक हैं।उनकी घटती संख्या मानवीय गतिविधियों और जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाले व्यापक पारिस्थितिक व्यवधानों को दर्शाती है।"

इस आयोजन का एक उल्लेखनीय आकर्षण हस्तनिर्मित बर्डहाउस का वितरण रहा। ये पर्यावरण-अनुकूल उत्पाद न केवल गौरैया संरक्षण का समर्थन करते हैं बल्कि स्थायी आजीविका को भी बढ़ावा देते हैं।

इसके साथ, बिहार खादी समर कैंप के तीसरे सत्र में प्रतिभागियों को बताया गया कि बेकार सामग्री का पुन: उपयोग करके कैसे एक सुंदर कला का निर्माण कर सकते हैं। 

मौक़े पर संजय कुमार द्वारा खींचे गौरैया फोटो का लोकार्पण बिहार राज्य खादी ग्रामोद्योग,पटना के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी दिलीप कुमार समेत डॉ लीना, बिहार खादी से सहायक लेखा पदाधिकारी प्रदीप कुमार, जिला ग्रामोद्योग बोर्ड पदाधिकारी अभय सिंह द्वारा किया गया। इस अवसर पर बोर्ड के अन्य कर्मचारी भी मौजूद रहे।

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