*बच्चों और युवाओं के लिए संग्रहालयों को रोचक और जीवंत बनाने की आवश्यकता - श्री ब्रजेश मेहरोत्रा*
*अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस के अवसर पर कला संस्कृति एवं युवा विभाग के द्वारा संग्रहालय: शिक्षा और अनुसंधान का माध्यम विषय पर संगोष्ठी का हुआ आयोजन*
पटना 18 मई 2024
आज पटना के होटल मौर्या में कला संस्कृति एवं युवा विभाग, बिहार के द्वारा अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस के अवसर पर संग्रहालय: शिक्षा और अनुसंधान का माध्यम विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य सचिव, बिहार श्री ब्रजेश मेहरोत्रा ने अपर मुख्य सचिव, कला संस्कृति एवं युवा विभाग, श्रीमती हरजोत कौर, निदेशक, संग्रहालय श्री राहुल कुमार,
सहित अन्य गणमान्य अतिथियों की उपस्थिति मे दीप प्रज्ज्वलित कर किया। इस अवसर पर संग्रहालय निदेशालय, कला, संस्कृति एवं युवा विभाग, की ओर से प्रकाशित की गई पत्रिका “विरासत दर्शन” का विमोचन भी किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मुख्य सचिव, बिहार *श्री ब्रजेश मेहरोत्रा* ने अपने सम्बोधन में कहा कि संग्रहालय एक ऐसी जगह है जहां हम अपने अतीत के बारे में प्रत्यक्ष रूप से कुछ देख पाते हैं, कुछ जानकारी प्राप्त कर पाते हैं। संग्रहालय तकनीक, इतिहास और संस्कृति का मिश्रण है। हम लोग जब तक संग्रहालय में नहीं जाएंगे, तब तक उनकी सार्थकता नहीं होगी। मेरा मानना है कि म्यूजियम को केवल एक गैलरी के रूप में नहीं बल्कि गैलरी के साथ उसको चित्रांकन स्वरूप और 3 डी मॉडल के रूप में दिखलाना होगा ताकि बच्चे, जो हमारी यंग जनरेशन है वह जब देखेगी तो संग्रहलयों मे उनका रुझान बढ़ेगा, तभी जाकर हमारे संग्रहालय जीवंत होंगे। इसके साथ ही सीस्मिक सर्वे के उसके आधार पर भी आजकल 3D आकृतियां बन जाती हैं, ऐसे मे यदि हम भी ऐसी आकृतियां बना सकें तो हमको पता चल सकेगा की उस समय की सभ्यताएं कैसी थी, हमारे महल कैसे थे, लोगों के घर कैसे थे । दूसरा जो एक महत्वपूर्ण पहलू है कि हमारे जो विभिन्न विश्वविद्यालयों में इतिहास के विभाग हैं उनके जो शोधार्थी हैं उनके लिए हम संग्रहालयों में अलग से सुविधाएँ दें, उनके लिए अलग से कमरें हो ताकि लोग वहां जिस भी विषय पर वह शोध कर रहे हैं उसके बारे में पढ़ सके और म्यूजियम में उनके लिए नहीं केवल यह कलाकृतियां ही नहीं बल्कि एक समृद्ध पुस्तकालय भी बनाएं ।
अपर मुख्य सचिव, कला संस्कृति एवं युवा विभाग, *श्रीमती हरजोत कौर* ने कहा कि संग्रहालयों मे इतिहास की चीजों को संजो के रखा जाता है, जिसके माध्यम से हमें अपने गौरवशाली इतिहास के बारे में जानकारी मिलती है। संग्रहालय सिर्फ प्रतिमाएँ,पुराने अवशेष, मूर्तियों, सिक्के, या पेंटिंग्स तक सीमित नहीं है। संग्रहालय का काम अपनी पुरानी चीजों के बारे में अपने इतिहास के बारे में जानना और लोगों को सीखने का मौका देना है। संग्रहालय जानकारी का भंडार है तो उसे इस तरह से जीवंत बनाया जाए ताकि लोग ज्यादा से ज्यादा और बार बार आयें। और यह सिर्फ पटना ही न बल्कि अन्य जिलों में भी जहां-जहां संग्रहालय नहीं हैं, वहां बने। पाटलीपुत्र, मगध सम्राट का हिस्सा है लेकिन हमारे पास सम्राट अशोक या अन्य जो महापुरुष हैं उनपर थीम पार्क होने चाहिए। इस दिशा मे हमें कार्य करने की आवश्यकता है।
आयोजन के बारे मे बताते हुए निदेशक, संग्रहालय *श्री राहुल कुमार* ने कहा कि इस वर्ष के अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस का थीम संग्रहालय शिक्षा और अनुसंधान का माध्यम है। आज इस संगोष्ठी के साथ ही राज्य के सभी 29 संग्रहालयों में आज कार्यक्रम आयोजित हो रहा है और आगामी 1 सप्ताह तक हम संग्रहालय सप्ताह के रूप में मना रहे हैं और वहां विद्यार्थियों , आम जनों और बुद्धिजीवियों को बुलाकर उनको उनकी विरासत से उनको अवगत कराने की कोशिश की जा रही है। विगत कई वर्षों से जो उत्खनन स्थल का जो काम हुआ था उन सब पर रिपोर्ट प्रकाशित करने का कार्य विभाग के द्वारा किया जा रहा है ।
तकनीकी सत्र के दौरान संगोष्ठी में *प्रोफेसर रत्नेश्वर मिश्रा*, सेवानिवृत्ति विभागाध्यक्ष, इतिहास विभाग, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा, *डॉक्टर उमेश चंद्र चतुर्वेदी*, पूर्व निदेशक संग्रहालय बिहार, *श्री परवेज अख़्तर*, पूर्व निदेशक संग्रहालय, बिहार, *डॉक्टर अतुल कुमार वर्मा*, पूर्व निदेशक पुरातत्व बिहार, एवं *डॉ सुजीत नयन*, अधीक्षक पुरातत्वविद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण उत्खनन शाखा (iii), पटना ने संग्रहालय एवं इससे संबंधित विभिन्न पहलुओं पर अपने अपने विचार रखें। कार्यक्रम का मंच संचालन *श्रीमती सोमा चक्रबर्ती* के द्वारा किया गया ।
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