नाटक आषाढ़ का एक दिन का हुआ सफल मंचन

नाटक आषाढ़ का एक दिन का हुआ सफल मंचन


पटना: अभिनय आर्ट्स पटना कि नवीनतम प्रस्तुति मोहन राकेश कि कालजयी कृति एवम मणिकांत चौधरी द्वारा निर्देशित नाटक आषाढ़ का एक दिन का मंचन रंग मार्च स्टूडियो पटना में किया गया। आषाढ़ का एक दिन में कालिदास अपने हिमालय में स्थित गाँव में शांतिपूर्वक जीवन गुज़़ार रहा है और अपनी कला विकसित कर रहा है। वहाँ उसका एक युवती, मल्लिका, के साथ प्रेम-सम्बन्ध भी है।  जब  उज्जयिनी के कुछ दरबारी कालिदास से मिलते हैं और उसे सम्राट चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के दरबार में चलने को कहते हैं। कालिदास असमंजस में पड़ जाता है: एक तरफ़ उसका सुन्दर, शान्ति और प्रेम से भरा गाँव का जीवन है और दूसरी तरफ़ उज्जयिनी के राजदरबार से प्रश्रय पाकर महानता छू लेने का अवसर। मल्लिका तो यही चाहती है के जिस पुरुष को वह प्यार करती है उसे जीवन में सफलता मिले। आषाढ़ का एक दिन' में ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को लेने पर भी आधुनिक मनुष्य के अंतद्वंद और संशयों की ही गाथा कही गई है।


 'आषाढ़ का एक दिन' में सफलता और प्रेम में एक को चुनने के द्वन्द से जूझते कालिदास एक रचनाकार और एक आधुनिक मनुष्य के मन की पहेलियों को सामने रखा है। इस नाटक के मुख्य पात्र  लाडली रॉय, रमेश सिंह, आदर्श वैभव, मान्या राज लक्ष्मी, ओम कपूर, शशि सुमन, सुजन्न्या, मायशा भाग्य लक्ष्मी और मणिकांत चौधरी। मंच सज्जा आदर्श वैभव रंजन ठाकुर रूप सज्जा अंजू कुमारी वस्त्र रमेश सिंह प्रॉपर्टी शशि सुमन, प्रकाश व्यवस्था- राजवीर गुंजन का है।

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