नाबार्ड ने बिहार के लिए रुपये 2,43,093 करोड़ की ऋण क्षमता का किया आकलन

नाबार्ड ने बिहार के लिए रुपये 2,43,093 करोड़ की ऋण क्षमता का किया आकलन



आज, अर्थात 19 मार्च 2024, को नाबार्ड द्वारा राज्य क्रेडिट सेमिनार का आयोजन किया, जिसमें राज्य के फोकस पेपर 2024-25 को आदरणीय श्री चैतन्य प्रसाद, भा.प्र.से., विकास आयुक्त, बिहार सरकार ने अनावरण किया। साथ हीं, श्री अरविन्द कुमार चौधरी, भा.प्र.से., प्रमुख सचिव-वित्त, भारतीय रिजर्व बैंक के क्षेत्रीय निदेशक श्री सुजीत कुमार अरविंद एवं भारतीय स्टेट बैंक के मुख्य महाप्रबंधक श्री शिव ओम दीक्षित भी इस अवसर पर विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।

राज्य फोकस पेपर, राज्य के सभी 38 जिलों के लिए मूल्यांकन किए गए ऋण प्रवाह का संकलन है। वर्ष 2024-25 के लिए प्राथमिकता वाले क्षेत्र के अंतर्गत कुल रुपए 2,43,093 करोड़ के ऋण प्रवाह का अनुमान है। संभावित अनुमान भारतीय रिजर्व बैंक के प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र आधारित दिशा निर्देश, केंद्र एवं राज्य सरकार की नीतियों एवं सतत कृषि तथा ग्रामीण विकास की नीतियों को ध्यान में रखते हुए किया गया है।

वर्ष 2024-25 के लिए कृषि क्षेत्र के लिए रुपये 1,11,266 करोड़ की ऋण क्षमता का अनुमान लगाया गया है, जिसमें से अल्पकालिक और दीर्घकालिक ऋण के लिए क्रमशः रु 60,030 करोड़ और रु 51,236 करोड़ की ऋण संभाव्यता दर्शाई गयी है। कृषि सावधि ऋण के तहत डेयरी (रु 7762 करोड़), जल संसाधन (रु 4,621 करोड़), कृषि यंत्रीकरण (रु 6,160 करोड़), भंडारण की सुविधा (रु 8,519 करोड़) और कृषि तथा खाद्य प्रसंस्करण (रु 7,619 करोड़) के तहत महत्वपूर्ण हैं। एमएसएमई के तहत ऋण क्षमता का आकलन रुपये 1,03,238 करोड़ किया गया है।


अतिथियों का स्वागत करते नाबार्ड, के मुख्य महाप्रबंधक डॉ सुनील कुमार ने यह साझा किया कि दिनांक 31.03.2023 की स्थिति के अनुसार 53.01% CD ratio के साथ बिहार राज्य न्यूनतम CD Ratio वाले राज्यों में वर्गीकृत है। राज्य के 38 में से 28 जिलों को क्रेडिट डिफिशिएंट जिलों के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जहां प्रति व्यक्ति ऋण उपलब्धता रुपये 6000/- से कम है। ऐसे में उन्होने बैंकों से आग्रह किया कि वे राज्य फोकस पेपर में सुझाए गए कृषि और संबद्ध क्षेत्र के साथ-साथ एमएसएमई और अन्य प्राथमिकता क्षेत्रों में सुझाए गए लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु कटिबद्ध रहें। उन्होने यह साझा किया कि इन लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु राज्य सरकार के विभिन्न विभागों, बैंक, गैर सरकारी संगठनों आदि जैसे संस्थानों के सक्रिय एवं सम्मिलित प्रयास की आवश्यकता है।

नाबार्ड के महाप्रबंधक श्री बिनय कुमार सिन्हा ने स्टेट फोकस पेपर पर अपनी प्रस्तुति दी और इसकी मुख्य बातों से सभा को अवगत कराया।

श्री चैतन्य प्रसाद, भा.प्र.से.. विकास आयुक्त, बिहार सरकार ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए जोर दिया कि कृषि के तहत प्रत्येक उप-क्षेत्रों के लिए विशिष्ट योजना के माध्यम से ऋण को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। राज्य में आर्थिक विकास और रोजगार सृजन की दिशा में ऋण की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होने ऋण की उपलब्धता में राज्य के विभिन्न जिलों के बीच के अंतर को रेखांकित करते हुए कहा कि राज्य में आधार स्तरीय ऋण की उपलब्धता जमीनी आवश्यकताओं और सरकार की प्राथमिकताओं के अनुसार होनी चाहिए और इसके लिए सभी हितधारकों के समेकित प्रयासों की आवश्यकता है। उन्होने बैंकों से अनुरोध कि नाबार्ड के स्टेट फोकस के अनुसार अपनी क्रेडिट योजना बनाएँ और इसे कार्यान्वित करें।


भारतीय रिजर्व बैंक के क्षेत्रीय निदेशक श्री सुजीत कुमार अरविंद ने अपने सम्बोधन में बैंकों से आमजनों को किसान क्रेडिट कार्ड ऋण, एम एस एम ई ऋण, पशुपालन के लिए ऋण, सूक्ष्म ऋण मुहैया करने पर बल देने का आह्वान किया साथ ही साथ उन्होने इस उम्मीद के साथ कि Friction Less Credit संस्थागत वित्त सुविधाओं को आसान बनाएगा, राज्य सरकार से इसमें सहयोग की अपेक्षा की।

बिहार सरकार के वित्त विभाग के प्रमुख सचिव श्री अरविंद कुमार चौधरी ने इस अवसर पर बताया कि राज्य का सीडी रेसिओ पिछले वर्षों में बढ़ा है। उन्होने इस बात पर भी चिंता जताई कि राज्य में किसान क्रेडिट कार्ड का छाजन अब भी 25% Land Holding तक ही है। उन्होने इस बात को रेखांकित करते हुए कि राज्य में जमीन के रिकार्ड के रख रखाव में सुधार हुआ है, राज्य में किसान क्रेडिट कार्ड धारकों कि संख्या में बढ़ोत्तरी संभावना जताई।

इसी अवसर पर भारतीय स्टेट बैंक के मुख्य महाप्रबंधक, श्री शिव ओम दीक्षित ने राज्य के आर्थिक विकास के लिए एनपीए, भूमि के रिकार्ड में सुधार, दाखिल खारिज, भू स्वामित्व प्रमाण पत्र आदि के मुद्दों पर राज्य सरकार से सहयोग की अपेक्षा करते हुए कहा कि राज्य सरकार का यह सहयोग राज्य के विकास के लिए निजी पूंजी निवेश को बढ़ावा देगा।

सेमिनार में सरकारी विभागों एवं बैंकों के वरिष्ठ अधिकारियों और स्थानीय प्रमुखों ने भाग लिया। संगोष्ठी का समापन श्री शारदा नाथ, डीजीएम, नाबार्ड के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।

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