*जिन्दगी से बड़ी सजा ही नहीं और और क्या जुर्म है पता ही नहीं” पर झूम उठे जश्न-ए-बिहार में श्रोता*

*जिन्दगी से बड़ी सजा ही नहीं और और क्या जुर्म है पता ही नहीं” पर झूम उठे जश्न-ए-बिहार में श्रोता*

 

*जश्न-ए-बिहार कार्यक्रम के तहत सजी  उस्ताद शुजात हुसैन खान के गज़लों की महफ़िल*  

पटना 18 फरवरी 2024

आज कला, संस्कृति एवं युवा विभाग के  “जश्न-ए-बिहार” कार्यक्रम के तहत उर्जा ऑडिटोरियम में मशहूर शायर, सितार नवाज और प्रसिद्ध गजल गायक उस्ताद शुजात हुसैन खान के संगीत की  महफ़िल सजी । कार्यक्रम का उद्घाटन कला, संस्कृति एवं युवा विभाग की अपर मुख्य सचिव श्रीमती हरजोत कौर  , श्री आलोक राज, पुलिस महानिदेशक, विजिलेंस, श्री बिनय कुमार, पुलिस महानिदेशक सह अध्यक्ष बिहार राज्य पुलिस निर्माण निगम , उस्ताद शुजात हुसैन खान एवं अन्य गणमान्य अतिथियों ने दीप जला कर किया ।

कला, संस्कृति एवं युवा विभाग की अपर मुख्य सचिव श्रीमती हरजोत कौर ने बताया कि “जश्न-ए- बिहार”  कार्यक्रम कला, संस्कृति एवं युवा विभाग की एक  एक नयी शुरुआत है जिसके माध्यम से गायन, वादन और साहित्य जैसी विधाओं को एक मंच पर लाने का प्रयास किया जा रहा है । साथ ही इसके अंतर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करवाएं जायेंगे । इसकी शुरुआत आज उस्ताद शुजात हुसैन खान जी के कार्यक्रम से हो रही रही है । 

कार्यक्रम की शुरुआत में उस्ताद शुजात हुसैन खान ने सितार के धुनों से श्रोताओं को मोह लिया ।  सितार के बाद उन्होंने प्रसिद्ध ग़ज़ल “ जिन्दगी से बड़ी सजा ही नहीं और और क्या जुर्म है पता ही नहीं” , “ छाप तिलक सब छीनी रे मोसे नैना मिलाइ के”  एवं अन्य नगमों की प्रस्तुति दी । उस्ताद शुजात हुसैन खान ने कहा की मुझे भी ख़ुशी है कि कार्यक्रम में उनके साथ प्रसिद्ध तबला वादक अमजद खान और शारिक मुस्तफा ने  संगत किया । कार्यक्रम में वरीय के पदाधिकारियों, सहित विभिन्न विभागों के पदाधिकारियों,  कला प्रेमियों सहित लगभग 800 लोग उपस्थित रहें । कार्यकम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन निदेशक सांस्कृतिक कार्य श्रीमती रूबी ने दिया ।मंच संचालन सोम चक्रवर्ती ने  किया । कार्यक्रम का आयोजन पटना लिटरेरी फेस्टिवल (पीएलएफ) के सहयोग से किया गया  ।

उस्ताद शुजात हुसैन खान

कलकत्ता में जन्मे उस्ताद शुजात खान प्रसिद्ध सितार वादक उस्ताद विलायत खान के पुत्र हैं । इम्दादखानी घराने के संगीत विद्यालय से आने वाले उस्ताद शुजात खान ने 100 से अधिक एल्बम रिकॉर्ड किए हैं और ईरानी संगीतकार काहान कल्होर के साथ बैंड ग़ज़ल में उनके काम के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ विश्व संगीत एल्बम के ग्रैमी अवॉर्ड के लिए नामांकित किया गया था। उनकी विशिष्टता, उनकी अनूठी सितार वादन शैली है, जिसे गायकी “आंग” के नाम से जाना जाता है ।

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