जात-पात और धर्म की लकीर को जनसेवा से कोई भी व्यक्ति छोटा कर सकता है : नामधारी
पटना, 7 दिसम्बर । जात-पात और धर्म की लकीर को जन सेवा से कोई भी व्यक्ति छोटा कर सकता है । उक्त उदगार गुरुवार को यहाँ समय इंडिया, नई दिल्ली के तत्वावधान में जारी राष्ट्रीय पुस्तक मेला में बिहार के पूर्व परिवहन और राजस्व मंत्री एवं झारखंंड के पहले विधानसभा अध्यक्ष इन्दर सिंह नामधारी ने वाणी प्रकाशन समूह से प्रकाशित अपनी आत्मकथा ‘एक सिख नेता की दास्तान’ लांच करते हुए व्यक्त किए ।
श्री नामधारी ने अन्ना आन्दोलन और अरविन्द केजरीवाल से जुड़े एक प्रसंग के हवाले से कहा कि जिस तरह अकबर बीरबल प्रसंग में बीरबल ने बादशाह की खींची छोटी लकीर के बगल में बड़ी लकीर खींचकर उदाहरण प्रस्तुत किया उसी तरह मैंने केजरीवाल से मुलाकात में जात-पात और धर्म की लकीर से बड़ी लकीर जनसेवा के माध्यम से खींचने का सुझाव दिया था। श्री नामधारी ने झारखंड राज्य के अधूरे रहे सपने का जिक्र करते हुए कहा कि नए राज्य के गठन के समय सोचा गया था कि राज्य में औद्योगिक विकास नीति के तहत बड़े–बड़े कल कारखाने खुलेंगे और लोगों को रोजी–रोजगार के अवसर मिलेंगे । बाहर के लोगों के राज्य में आने और आर्थिक एवं सामाजिक सांस्कृतिक सहभागिता से एक ऐसा वातावरण निर्मित होगा जहाँ से क्षेत्रीयतावाद का तिलस्म टूटेगा । धर्म और जाति की जकड़नें ढीली होंगी और सामाजिक समरसता,धर्मनिरपेक्षता की भावभूमि मजबूत होगी लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ ।
अपने साले निर्मल बाबा के प्रसंग में पूछे गए सवाल पर श्री नामधारी ने बताया कि मेरे ऊपर हुए नक्सली हमले की जानकारी निर्मल ने पूर्व में दी थी और बाद में यह घटना घटी जिसमें अनेक जवान शहीद हो गए और मैं बच गया । एक तरह से यह ईश्वरीय कृपा से संभव हुआ, ‘होईं हैं वही जो राम रचि राखा’ । पूर्व में घटित घटना का ईश्वरीय आभास अलग बात है । मेरा मानना है कि इसका प्रचार–प्रसार नहीं किया जाना चाहिए । अपनी आत्मकथा में छिपे कई मुद्दों का बहुत सहज एवं सरल ढ़ग से श्री नामधारी ने साफगोई के स्वर में खुलासा किया ।
उन्होंने पाठकों की ओर से पूछे गए धर्म, राजनीति एवं अन्य मुद्दों से जुड़े किए गए सवालों का भी उत्तर दिया । देश विभाजन के बाद पाकिस्तान से डाल्टनगंज आने और धर्म और राजनीति को हरा कर क्षेत्र विशेष से सात बार चुनाव जीतने के अपने र्कीर्तिमान का खुलासा करते हुए श्री नामधारी ने बताया कि धर्म समभाव की नीति और धर्म निरपेक्षता की राह पर चलने के कारण उन्हें क्षेत्र विशेष के लोगों का प्रबल जन समर्थन मिला ।
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष श्री नामधारी का राष्ट्रीय पुस्तक मेला में स्वागत करते हुए समय इंडिया के प्रबंध न्यासी एवं लेखक चन्द्र भूषण ने उनके जीवन से जुड़े कई अनछुए प्रसंगों का जिक्र किया । उन्होंने कहा कि भारतीय राजनीति में बेहतर बदलाव के लिए पढ़े–लिखे युवा पीढ़ी की सक्रिय भागीदारी जरूरी है । सिर्फ बाहर बैठकर राजनीति में व्याप्त बुराइयों की चर्चा करने और सब कुछ बदल जाने का सपना संजोने का वक्त नहीं है । यदि आप सच्चे अर्थों में राजनीति में लोक की भागीदारी चाहते हैं तो आपको पहल करनी होगी । पुस्तक लांच के इस कार्यक्रम में पटना साहिब, पटना के ग्रंथी हरभजन सिंह, इन्दर सिंह नामधारी की बेटी, वाणी प्रकाशन के प्रबंधक पंकज कुमार और पुस्तक प्रेमी, संस्कृतिकर्मी और मीडिया से जुड़े व्यक्ति उपस्थित रहे ।
किताबें आपके लिए बस तीन दिन ही, रविवार तक ही उपलब्ध हैं । मेला परिसर में प्रवेश की समयावधि प्रात: 11 बजे से रात्रि 9:00 बजे तक की है ।
पुस्तक चर्चा आज : पुस्तक मेला में पत्रकार व लेखक संतोष सिंह की वाणी प्रकाशन से प्रकाशित पुस्तक कितना राज कितना काज पर चर्चा होगी । इस चर्चा में न्यूज 18 के संपादक ब्रज मोहन सिंह और स्वतंत्र पत्रकार के आशुतोष कुमार पांडेय भाग लेंगे ।
नगर में आज :– राष्ट्रीय पुस्तक मेला
मुशायरा, शुक्रवार सायं 4:00 बजे
गांधी मैदान, सभागार मंच
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