क्या आबादी के हिसाब से मुसलमानों को भी बिहार में हिस्सेदारी मिलेगी या यह हिस्सेदारी सिर्फ दूसरे ही जातियों के लिए ही होगी? नजरे आलम
पटना- आज दिनांक 19 दिसंबर 2023, होटल राजस्थान, डाकबंगला चौराहा पटना में दिन के 2.00 बजे बेदारी कारवाँ के राष्ट्रीय अध्यक्ष नजरे आलम की अध्यक्षता में सिवान के दिवंगत सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन साहब की पत्नी हिना शहाब जी के पटना में अधिकार सम्मेलन में शिरकत करने और बिहार में अल्पसंख्यकों, दलितों और पसमांदा समाज की सियासी हिस्सेदारी तय करने को लेकर प्रेस वार्ता आयोजित की गई।
नजरे आलम ने कहा के जातीय सर्वे में अल्पसंख्यकों को कम करके दिखाया गया लेकिन फिर भी सरकार की बात ही मान ली जाए तो जातीय सर्वे के मुताबिक बिहार में करीब 17.70 यानी करीब 18 प्रतिशत मुसलमान हैं यह दुसरी सभी जातियों से अधिक है. यादवों की आबादी 14 प्रतिशत है,
मेरा सवाल ये है कि क्या आबादी के हिसाब से मुसलमानों को भी बिहार में हिस्सेदारी मिलेगी या यह हिस्सेदारी सिर्फ दूसरे ही जातियों के लिए ही होगी?
243 सदस्यों वाली बिहार विधानसभा में अभी 19 मुस्लिम विधायक हैं. इनमें 12 राष्ट्रीय जनता दल से, 4 कांग्रेस से, 1-1 जनता दल यूनाइटेड, माले और एआईएमआईएम से है, विधानसभा में मुसलमानों से ज्यादा यादव (52 विधायक), राजपूत (28 विधायक) और भूमिहार (21) विधायक हैं.
यादव की आबादी 14 प्रतिशत, राजपूत 3.4 प्रतिशत और भूमिहार 2.8 प्रतिशत हैं. बिहार में 7 मुस्लिम विधान पार्षद हैं, जिसमें जनता दल यूनाइटेड से 3, राष्ट्रीय जनता दल से 2, भारतीय जनता पार्टी से एक और एक निर्दलीय शामिल हैं. बिहार विधान परिषद में कुल 75 सदस्य होते हैं, मंत्रिमंडल की बात की जाए तो नीतीश सरकार में 5 मुस्लिम मंत्री और 8 यादव मंत्री शामिल हैं. सरकार में राष्ट्रीय जनता दल से 3 और कांग्रेस-जनता दल यूनाइटेड के कोटे से एक-एक मुस्लिम मंत्री हैं. यादवों की बात की जाए तो जनता दल यूनाइटेड से 1 और राष्ट्रीय जनता दल से 7 यादव सरकार में मंत्री हैं। राष्ट्रीय जनता दल को मिले 10 बड़े विभाग में एक भी विभाग मुस्लिम कोटे से मंत्री बने नेताओं के पास नहीं हैं. मुस्लिम कोटे के मंत्री को आईटी, विधि और आपदा प्रबंधन जैसे कमतर विभाग दिए गए हैं,
इसके उलट यादव कोटे से मंत्री बने नेताओं के पास बड़े बड़े विभाग हैं. लालू यादव के दोनों बेटे के पास स्वास्थ्य, नगर विकास, पथ निर्माण, ग्रामीण कार्य, वन एवं पर्यावरण जैसा अहम विभाग हैं। चंद्रशेखर यादव शिक्षा तो सुरेंद्र यादव के पास सहकारिता मंत्रालय का जिम्मा है, एजुकेशन से लेकर संसदीय हिस्सेदारी में मुसलमान सबसे पिछड़ा है, जिसे बदलने के लिए हर एक जगह पर अमूलचूल परिवर्तन की जरूरत है। डिसीजन मेकिंग में मुसलमान जब आएंगे, तभी बड़े बदलाव संभव है।
नजरे आलम ने साफ तौर पर कहा के हमारा समाज हमेशा सेक्युलर पार्टियों को थोक में वोट देता रहा है लेकिन जब सियासी हिस्सेदारी की बात आती है तो सभी सेक्युलर पार्टियाँ कम्यूनल बन जाती हैं। लगभग सभी सेक्युलर पार्टियाँ साजिश के तहत हमारे लोगों को असेम्बली और पार्लियामेंट से दुर कर रही है और अपने अपने जाति के लोगों को बढ़ावा दे रही है। अभी हाल में ही हमारे बच्चों के साथ बीपीएससी की परीक्षा से उर्दू क हटाकर भविष्य से खिलवाड़ किया गया है। जब हम सेक्युलर पार्टीयों और नेताओं को ही सपोर्ट करते हैं तो फिर हमारे समाज के साथ ही धोखा क्यों? आखिर सियासी, सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक तौर पर हमारा समाज कैसे मजबूत होगा, कैसे बराबरी के साथ आगे बढ़ेगा और किस्से हिस्सेदारी मांगेगा ये तो 2024-2025 के चुनाव से पहले तय करना होगा खुदको सेक्युलर बताने वाली पार्टियों को। आने वाले 2024 लोकसभा चुनाव में सात सीटों जिसमें दरभंगा, मधुबनी, सिवान, किशनगंज, अररिया, कटिहार, पूर्णिया जैसी सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार नहीं उतारा जाता है तो फिर तथाकथित पार्टियों को परिणाम भुगतने को तैयार रहना होगा।
हम सभी लोग सिवान के दिवंगत सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन साहब की पत्नी अल्पसंख्यकों - दलित पिछड़ों की आवाज़ सबसे लोकप्रिय नेत्री हिना शहाब के नेतृत्व में सियासी अधिकार की लड़ाई लड़ने को निकल चुके हैं। हिना शहाब की एक आवाज़ पर लाखों की संख्या में लोग जमा होते हैं पिछले दिनों दरभंगा में इसका नजारा दिख चुका है अपनी सियासी हिस्सेदारी तय करने के लिए सिवान लोकसभा की पूर्व प्रत्याशी मोहतरमा हिना शहाब जल्द ही राजधानी पटना में एक विशाल जनसभा को संबोधित करेगी जिसमें लाखों की संख्या में आमजन शामिल होंगे और अपने सियासी हक़ की बात करेंगे।
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