रबी किसान चौपाल कार्यक्रम का शुभारम्भ

रबी किसान चौपाल कार्यक्रम का शुभारम्भ


पटना जिला के नौबतपुर प्रखण्ड के सावरचक ग्राम पंचायत में रबी किसान चौपाल कार्यक्रम का आयोजन

(दिनांक-10-11-2023)


कृषि निदेशक] बिहार डॉ0 आलोक रंजन घोष द्वारा आज पटना जिला के नौबतपुर प्रखण्ड के सावरचक ग्राम पंचायत अवस्थित पंचायत भवन से रबी किसान चौपाल शुभारम्भ कार्यक्रम का उद्घाटन किया गया। 

कृषि निदेशक ने कहा कि माननीय राष्ट्रपति द्वारा 18 अक्टूबर को चतुर्थ कृषि रोड मैप का शुभारंभ किया गया। बिहार इस तरह का पहला राज्य है, जहाँ कृषि रोड मैप के माध्यम से कृषि एवं संबद्ध विभागों की योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है। कृषि रोड मैप में अगले 5 सालों की रणनीति तय कर ली गई है। उन्होंने बताया कि माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा 13 अक्टूबर को रबी प्रचार रथों को हरी झंडी दिखाकर रबी महाभियान का शुभारंभ किया जा चुका है। इसी क्रम में किसान चौपाल का आयोजन किया जा रहा है। बिहार राज्य के सभी जिलांतर्गत प्रत्येक ग्राम पंचायतों में रबी किसान चौपाल कार्यक्रम का आयोजन 10 नवम्बर से 15 दिसम्बर तक किया जा रहा है। रबी मौसम में राज्य के कुल 8058 ग्राम पंचायतों में रबी किसान चौपाल का आयोजन किया जायेगा। रबी किसान चौपाल कार्यक्रम में लगभग 10 लाख किसानों को नवीनत्तम तकनीक की जानकारी के साथ-साथ कृषि विभाग के योजनाओं की भी जानकारी दी जायेगी। रबी किसान चौपाल कार्यक्रम में वैज्ञानिक] कृषि विशेषज्ञ] प्रसार पदाधिकारी एवं कर्मचारीगण के माध्यम से किसानों के बीच कृषि एवं संबद्ध विभाग की योजनाओं एवं आधुनिक तकनीक से खेती करने का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। किसान चौपाल में किसानों को विभिन्न फसलों की खेती, कीट-व्याधियों नियत्रंण के साथ-साथ सरकार द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं के बारे में जानकारी दी जाती है।

उन्होंने आगे बताया कि पटना जिला में रबी मौसम में 1.62 लाख हे0 में रबी फसलों की खेती की जाती है] जबकि 1.02 लाख हे0 में उद्यानिक फसलों की खेती। कृषि समन्वयक एवं किसान सलाहकार का विभागीय योजनाओं की सफलता में महत्वपूर्ण योगदान होता है। इनका दायित्त्व है कि किसानों को उर्वरक] बीज एवं वैज्ञानिक तरीके से खेती के संबंध में किसानों को आवश्यकतानुसार जानकारी दें। उन्होंने कहा कि आजकल मोबाईल के माध्यम से ही किसान बीज] कृषि यंत्रों आदि सारी चीजों के लिए आवेदन कर सकते हैं। उर्वरक दुकानदार भी सोशल मीडिया के माध्यम किसानों को जानकारी देते हैं। मौसम बदल रहा है] अनियमित वर्षा हो रही है] जिससे कभी बाढ़ तो कभी सुखाड़ का सामना करना पड़ता है। ऐसी स्थिति में किसानी करना काफी कठिन काम हो गया है। खेती की लागत खर्च बढ़ गयी है। ऐसी स्थिति में 10-15 साल पहले वाला खेती का तरीका बदलने की जरूरत है। कृषि निदेशालय स्तर पर एक कोषांग गठित किया गया है, जिसमें किसानों की शिकायतों पर कार्रवाई की जाती है। कम पानी में मक्का की खेती की सकती है और 1.5 गुणा तक लाभ कमाया जा सकता है। किसानों को मड़ुआ आदि मोटे अनाजों की खेती करना चाहिए] जिसमें पानी की कम आवश्यकता होती है] दक्षिण बिहार में इसे अपनाया जा रहा है] शेष जिलों में भी इसे अपनाये जाने की आवश्यकता है।  

उन्होंने किसानों के प्रश्नों का जवाब देते हुए कहा कि बिहार में 18 से 23 घंटे तक बिजली रहती है। खेती के लिए प्रथम चरण में] जहाँ पूर्व से संरचना है] वैसे स्थानों के लिए अलग से कृषि फीडर की व्यवस्था की जा रही है। बिहार राज्य बीज निगम द्वारा उपलब्ध कराये गये बीजों से राजकीय बीज गुणन प्रक्षेत्रों में खेती की जाती है] जहाँ आवश्यक शष्य क्रियाओं अपनाने के कारण फायदा होता है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक प्रखण्ड में 5 जगह फसल कटनी जाँच किया जाना है। उन्होंने निदेश दिया की स्थानीय पदाधिकारी एवं कर्मचारी वहाँ जाकर देखें। उन्होंने आगे बताया कि बिहार राज्य बीज निगम द्वारा बीज की व्यवस्था में व्यापक परिवर्तन करते हुए किसानों को 15 नवम्बर तक फसलों का बीज उपलब्ध करा दिया जायेगा। 

उन्होंने कहा कि चतुर्थ कृषि रोड मैप के तहत् 10 सीड हब के निर्माण की योजना है] जो स्थानीय एवं एफ0पी0ओ0 द्वारा संचालित किया जायेगा। इसके उत्पादित बीज बिहार राज्य बीज निगम खरीदेगी। इस प्रकार] अगले 4-5 साल में 100 सीड हब का निर्माण किया जायेगा। बीजों की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिया जायेगा। उन्होंने अपील किया कि स्थानीय कृषि पदाधिकारी एवं कर्मचारी किसानों से अपना मोईबल न0 साझा करंे] ताकि किसानों की समस्या का समाधान समय पर किया जा सके। किसानों को विकसित होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि ड्रोन के माध्यम से दवाओं का छिड़काव किये जाने की योजना है। ड्रोन के माध्यम से मात्र 3 मिनट में एक एकड़ क्षेत्र में दवा का छिड़काव किया जा सकता है तथा खर्च मात्र 1/10 भाग होता है। इस योजना के क्रियान्वनय से इच्छुक युवाओं को रोजगार भी मिल सकेगा तथा नई वैज्ञानिक प्रद्धति को अपनाने से कृषि लागत में में कमी भी आयेगी। कृषि विभाग डिजिटल क्रॉप स्कीम लाने जा रही है] जिससे फसल विशेष एवं मौसम के बारे में जानकारी दी जायेगी। डिजिटल क्रॉप सर्वे कराने की योजना है। 

कृषि निदेशक ने कहा कि कृषि यांत्रिकरण योजना के अन्तर्गत जिलावार आवश्यकतानुसार कृषि यंत्रों का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। पटना जिला में कृषि यंत्रों के लिए अभी तक 450 आवेदन प्राप्त हो चुका है। कृषि यांत्रिकरण योजना में ‘‘पहले आओ, पहले पाओ’’ के स्थान पर अब लॉटरी के माध्यम से कृषि यंत्र दिया जायेगा। 20 हजार रूपये मूल्य तक के कृषि यंत्रों के लिए जमीन के किसी कागज की आवश्यकता नहीं है, पहले यह सुविधा 10 हजार रूपये मूल्य तक के लिए थी। उन्होंने कहा कि अभी तक राज्य के 4.25 लाख किसानों खाते में 68 करोड़ रूपये डीजल अनुदान दिया गया है। 

इस कार्यक्रम में निदेशक बसोका श्री शंकर कुमार चौधरी, निदेशक बामेती श्री आभांशु सी0 जैन, पटना प्रमंडल के संयुक्त निदेशक श्री संतोष कुमार उत्तम, संयुक्त निदेशक, पौधा संरक्षण डॉ0 प्रमोद कुमार] पटना के जिला कृषि पदाधिकारी श्री विकास कुमार, नौबतपुर के प्रखण्ड विकास पदाधिकारी सुश्री मनीषा कुमारी, नौबतपुर के प्रखण्ड प्रमुख श्रीमती शुभंती देवी, उप प्रमुख श्री अनीश कुमार, साबरचक पंचायत के मुखिया श्रीमती अर्चना कुमारी, किसानश्री श्री अखिलेश कुमार सिंह, कृषि अनुसंधान परिषद के क्षेत्रीय निदेशक, डॉ0 रणधीर कुमार ने अपने विचार रखें। इस अवसर पर विभागीय पदाधिकारी, कर्मचारी तथा बड़ी संख्या किसानगण मौजूद थे।

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