संयुक्त किसान मोर्चा और केन्द्रीय श्रमिक संगठनों के संयुक्त आह्वान पर किसानों-मजदूरों की 23 सूत्री मांगों को लेकर पटना में ऐतिहासिक “किसान-मजदूर महापड़ाव” आज दूसरे दिन में प्रवेश कर गया।

संयुक्त किसान मोर्चा और केन्द्रीय श्रमिक संगठनों के संयुक्त आह्वान पर किसानों-मजदूरों की 23 सूत्री मांगों को लेकर पटना में ऐतिहासिक “किसान-मजदूर महापड़ाव” आज दूसरे दिन में प्रवेश कर गया।


संयुक्त किसान मोर्चा और केन्द्रीय श्रमिक संगठनों के संयुक्त आह्वान पर किसानों-मजदूरों की 23 सूत्री मांगों को लेकर पटना में ऐतिहासिक “किसान-मजदूर महापड़ाव” आज दूसरे दिन में प्रवेश कर गया। महापड़ाव के दूसरे दिन दस हजार से अधिक किसान और मजदूर पटना के गर्दनीबाग धरनास्थल पर एकजुट हुए। इस अवसर पर उन्होंने मोदी सरकार की किसान-विरोधी, मजदूर-विरोधी, जन-विरोधी और राष्ट्र-विरोधी नीतियों के खिलाफ अपना मुकम्मल विरोध जाहिर किया एवं भाजपा सरकार नीत कॉरपोरेट-सांप्रदायिक गठजोड़ को ध्वस्त करने का संकल्प लिया। 


महापड़ाव को संबोधित करते हुए मजदूर व किसान नेताओं ने कमरतोड़ महंगाई, चरम बेरोजगारी, निजीकरण,  ठेकाकरण और संविदाकरण की नीतियों पर जमकर हमला बोला | उनका कहना था कि एमएसपी की कानूनी गारंटी और किसानों की आय दुगुनी करने के वादे के साथ सत्ता में आई मोदी सरकार ने स्वामीनाथन कमीशन की सिफारिशों को लागू करने और एमएसपी को कानूनी हक का दर्जा देने की जगह किसानों के साथ विश्वासघात किया है। किसानों की आय दुगुनी होने की जगह कृषि आय में गिरावट आई है। वहीं खाद, डीज़ल, पेट्रोल के दामों में अभूतपूर्व बढ़ोत्तरी हुई है। श्रमिक एवं किसान नेताओं का कहना था कि केन्द्र सरकार की साम्राज्यवादपरस्त और कॉरपोरेटपरस्त नीतियों ने श्रमिकों को एक भयानक त्रासदी में धकेल दिया है। बढ़ती बेरोजगारी, घटती आय और महंगाई ने श्रमजीवियों पर कहर ढा दिया है। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी नीत केंद्र सरकार संविधान और कानून का राज खत्म करने का षड्यंत्र रच रही है। 


उनका यह भी कहना था कि सरकार द्वारा स्वीकृत आईएलओ कन्वेंशन का पालन नहीं करने, काम के घंटे को 8 से बढ़ाकर 12 घंटे करने, त्रिपक्षीय वार्ता का पालन नहीं करने, नई पेंशन योजना लागू करने आदि के विरुद्ध अब निर्णायक संघर्ष करने का वक्त आ चुका है और यह महापड़ाव उसी दिशा में एक महती कदम है। ठेकाकरण, निजीकरण, संविदाकरण आदि के खिलाफ किसानों व मजदूरों का आंदोलन अब देशव्यापी स्वरुप ले चुका है। 


किसान-मजदूर महापड़ाव के माध्यम से एमएसपी की कानूनी गारंटी करने, चार श्रम संहिताओं को रद्द करने, योजनाकर्मियों को नियमित करने, पुरानी पेंशन स्कीम (ओपीएस) को पुनः बहाल करने, बिहार में एपीएमसी अधिनियम को पुनः बहाल करने, बटाईदार किसानों का निबंधन करने, किसानों को उनकी जमीन का उचित मुआवजा देने, प्रगतिशील भूमि सुधार को लागू करने, युवाओं को रोजगार देने, निजीकरण को बंद करने, मनरेगा की मजदूरी और कार्यदिवस बढ़ाने, महंगाई पर रोक लगाने, खाद्य सुरक्षा की गारंटी करने, सहित अन्य मांगों को उठाया गया।


महापड़ाव में सीटू, ऐक्टू, एटक, एआईयूटीयूसी , टीयूसीसी, यूटीयूसी, इंटक, बिहार राज्य किसान सभा (केदार भवन), बिहार राज्य किसान सभा (जमाल रोड), अखिल भारतीय किसान महासभा, अखिल भारतीय किसान खेत मजदूर संगठन, जय किसान आंदोलन, अखिल भारतीय खेत मजदूर किसान सभा, अखिल भारतीय किसान मजदूर सभा, बिहार किसान समिति, क्रांतिकारी किसान यूनियन, जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय (एनएपीएम), अग्रगामी किसान सभा, जल्ला किसान संघर्ष समिति, ऑल इंडिया किसान फेडरेशन, स्वामी सहजानंद विचार मंच, किसान मजदूर विकास संगठन से जुड़े मजदूर व किसान शामिल हुए। 


महापड़ाव की अध्यक्षता एटक के अजय कुमार, सीटू के अरूण कुमार मिश्र, इंटक के नंदन मंडल, ऐक्टू की शशि यादव, टीयूसीसी के बलिराम विश्वकर्मा, बिहार किसान समिति के पुकार, अखिल भारतीय किसान मजदूर सभा के शंभू प्रसाद सिंह, जल्ला किसान संघर्ष समिति के शंभूनाथ मेहता, अखिल भारतीय अग्रगामी किसान सभा के अमेरिका महतो और एनएपीएम के उदयन चन्द्र राय ने की। 


संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े किसान संगठनों की तरफ से  बिहार राज्य किसान सभा (जमाल रोड) के उपाध्यक्ष अवधेश कुमार, बिहार राज्य किसान सभा (केदार भवन ) के महासचिव अशोक प्रसाद सिंह, अखिल भारतीय किसान महासभा (बिहार)के प्रांतीय सचिव उमेश सिंह, अखिल भारतीय किसान खेत मजदूर संगठन के नेता इंद्रदेव राय, बिहार किसान समिति के नेता बलदेव झा, अखिल भारतीय खेत मजदूर किसान सभा के नेता सुभाष यादव, जल्ला किसान संघर्ष समिति के नेता शंभू नाथ मेहता, अखिल भारतीय किसान मजदूर सभा के नेता अयोध्या राम,  क्रांतिकारी किसान यूनियन के नेता मनोज कुमार, जितेंद्र पासवान, जय किसान आन्दोलन के नेता ऋषि आनंद,  किसान मजदूर विकास संगठन के नेता प्रमोद कुमार, खेत मजदूर किसान सभा के सुभाष यादव ने महापड़ाव को संबोधित किया।


केंद्रीय ट्रेड यूनियनों की तरफ से एटक के नेता डीपी यादव, बलिराम सिंह, ऐक्टू की नेता सरोज चौबे, एआईयूटीयूसी की नेता अनामिका कुमारी, अजय शर्मा, श्याम नंदन ठाकुर, एआर सिंधु, सुरेश दास कनौजिया, मिंता देवी, चंद्र प्रकाश, कौशलेंद्र कुमार वर्मा, शत्रुघ्न सहनी, रंजीत कुमार आदि ने महापड़ाव को संबोधित किया। जल्ला किसान संघर्ष समिति के क़िसान नेता शम्भूनाथ मेहता के अध्यक्षीय भाषण के साथ आज के महापड़ाव का कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।


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